1 नव सम्वत की भोर, कहती कानों में सुनो
करो नया संकल्प , करें नया अब हम गुनों |
तभी मिलेगा ठौर , जगाना सबको होगा
बनना है सिर मौर , सुनो श्रम करना होगा |
2 तरह तरह का वेश , सभी को बहुत लुभाता
होली का पर्व , मन में उमंग जगाता |
मची रंग की धूम , लाल गुलाबी रंग हैँ
बजते ढोल मृदंग , सब मिल खेलें संग हैं|
3 रंग भरा यह पर्व , सभी के मन को भाता
मिट जाते हैं भेद , यही खुशियाँ बरसाता |
फागुन के ये रंग , हंसी ठिठोली संग है
करते सबको दंग , मचे रंग में जंग है |
4 करे वही तो दान ,तिल तिल खुद को जगाता
मन में कर संकल्प , धर्म पथ को अपनाता |
कितना मोहक जोत , हृदय में सदा जलाये
दीपक है वह नाम , रौशनी जग में लाये |
5 कितना सुंदर बाग , जहां मन खुश हो जाता
रंग बिरंगे फूल , सभी के मन को भाता |
कण कण भरा सुगन्ध ,सभी को हर्षित करता
गर्मी या बरसात , सदा ही हंसता रहता |
6 सब धर्मों का सार , गुरुवर कुछ तो सिखा दो
इतना हो उपकार , रास्ता हमे दिखा दो ।
माया है संसार , लोभ से बच के रहना
प्रीत नहीँ व्यापार , सदा इसे याद रखना ।
7 आओ मिलकर मीत , गीत वसुधा के गायें
नया सबेरा आज , तिमिर का राज मिटायें |
मन में है उल्लास , स्वप्न तुम खूब सजाना
आया है दिन खास , ख़ुशी के दीप जलाना ।
8 मैं तो हुई विभोर , प्रेम से रहते सारे
जागें आलस त्याग ,देश के पुत्र हमारे |
बने सभी शालीन , देश का मान बढायें
ऐसा हो भगवान , जीवन सफल बनायें |
9 कल कल करती धार, हृदय में सुख उपजाती
नदिया हो या झील ,जगत की प्यास बुझाती ।
प्रीत गंग की धार , सदा निर्मल ही रहती
बाधा है अभिमान , भ्रमित वह मन को करती।
10 दुष्टों की पहचान , सिखा दे माँ तू मुझको
कहती नन्ही जान, मिटा दूँ जग से उनको ।
देकर के बलिदान , जग से दुर्मति मिटाऊं
मन में है संकल्प , नया पद चिन्ह बनाऊँ ।
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