1 यह छंद दोहा और रोला का युग्म है जो 6 चरणों का होता है ---
2 प्रथम 2 चरण दोहा और शेष 4 चरण रोला का होता है ।
3 दोहा के पहले चरण (विषम चरण ) का पहला शब्द/ शब्दांश/शब्द समूह
रोला के आखरी चरण का शब्द/शब्दांश/ शब्दसमूह क्रमशः समान होता है ।
4 दोहा का दूसरा चरण को रोला के प्रथम चरण में हूबहू उदृत किया जाता है
या दोहा के दूसरे चरण की पुनरावृति करके रोला का प्रथम चरण बना दिया
जाता है ।
उदा---/ 4 - 4 - 3 - 2 - ---, 4-----4--- 3
3 - 3 - 2 - 3 - 2--, 4 - 4 - - 3
4 - 4 - 3 ----, 3 - 2 - 4 - 4
4 - 4 - 3 --- , 3 - 2 - 4 - 4
4 - 4 - 3 --- , 3 - 2 - 4 -- 4
4 - 4 - 3 --- , 3 - 2 - 4 - 4
उ दा ---
बिना बिचारे जो करे , सो पीछे पछताय
काम बिगारे आपनो , जग में होत हंसाय ।
जग में होत हंसाय , चित में चैन न पावै
खान पान सम्मान , राग रंग मन ही न भावै ।
कह गिरधर कविराय , दुःख कछु टरहिं न टारै
खटकत है जिय माहि , किये जो बिना बिचारे ।
1 - दोहे का प्रारम्भ (शुरुवात ) या विषम चरण-- त्रिकल से हो तो --या
विषम शब्दो से 3 - 3 - 2 - 3 - 2 मात्रा वाले शब्द होंगे और ्।
चरणान्त में----
र ग ण ( 2 1 2 ) ,या न ग ण ( 1 1 1 ) होगा
2 दोहे का प्रारम्भ (शुरुवात) सम शब्दों से --द्विकल या चौकल से हो तो
संयोजन -- 4 - 4 - 3 - 2 होगा और चरणान्त में
र ग ण ( 2 - 1 - 2 ) या न ग ण (1 -1- 1 )
3 दोहे के सम चरण का संयोजन - 4 -- 4 -- 3 या 3 -3 - 2 -2
होता है
4 रोला के विषम चरणों का संयोजन --दोए के सम चरण की तरह होता है
अर्थात 4---4 -- 3 -- 2 या 3 - 3 - 2 - 2
5 रोला के सम चरण का संयोजन --- 3-- 2 - 4 - 4 या 3--2 - 3 - 3 - 2
होता है
उ दा -----गुन के गाहक सहस नर , बिनु गुन लहै न कोय
जैसे कागा कोकिला , शब्द सुनै सब कोय ।
शब्द सुनै सब कोय , कोकिला सबै सुहावन
दोउ को एक रंग , कागा भये अपावन ।
कह गिरधर कविराय , सुनो हो ठाकुर मन के
बिनु गुन लहै न कोय , सहस नर गाहक गुन के ।
No comments:
Post a Comment