1 नभ ने सुंदर मंच बनाया ,
मेघों की माला पहनाया ।
है बरखा की मुख दिखलाई ,
तड़ित आरती थाल सजाई ।
2 भर भर मोती नेंग दिलाया ,
सबने दावत खूब उड़ाया ।
बजती अम्बर में शहनाई ,
सज धज कर पुरवा भी आई ।
3 मोर मोरनी नाच दिखाये ,
दादुर झींगुर मंगल गाये ।
उमड़ घुमड़ कर बादल आये,
पावस राज बहुत हर्षाये ।
4 नभ में बादल की छवि न्यारी,
मेघा रानी लगती प्यारी ।
खुश हो देखे दुनिया सारी,
स्वर्ण परी सी है सुकुमारी ।
5 है चीर धरा की हरियाली,
करना है इसकी रखवाली ।
यह है बिल्कुल भोली भाली ,
देती है जग को खुशहाली ।
No comments:
Post a Comment