1 शारदे मां तू हमे भी, ज्ञान इतना दीजिये
शरण तेरी हम गहें अब,रहम हम पर कीजिये।
ज्ञान पथ पर हम चलें,वरदान हमको दीजिये
सुपथ गामी हम सब बनें, शरण हमको लीजिये।
2 कर समर्पण तू सदा ही,प्रेम चाहे है यही
जो जताते हैं सदा ही,प्रेम वो करते नही।
जो हृदय में छल न हो तो,ये बहुत अनमोल हैं
प्रीत तो सौदा नही है,मधुर इसके बोल हैं ।
3 चल पड़ी है ये कलम अब,वेग इसका थामना
यह बनी तलवार सी है ,अरि दमन की कामना ।
देख कर दुख द्रवित होती,दुख हरण की भावना
यह नदी सी बह रही है,नही सीखी हारना ।
4 गीत गाती हो सखी तुम , गुन गुनाती आ यहाँ
कौन बिछड़े कब कहाँ से, पास आ हम हैं जहाँ।
बहुत बीती कम बची अब, है वही तो खास आ
कुछ मजे हम भी करेंगे, जिंदगी अब रास आ।
5 आंसुओं को पी कर चले , थे हम जमाना हुआ
दर्द के मंजर वही अब,सब कुछ पुराना हुआ ।
जिंदगी चलती रही यह, भी इक बहाना हुआ
बिछड़ के हम मिल गये अब,पल यह सुहाना हुआ।
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