1 अब बहार आ गई यहां,फूल मन को भा रहे
कोकिला भी गा रही है,सभी खुशी मना रहे ।
बझूम रहें है तरुवर सब,यहां वसंत आ रहा
मोर सा मन नाचता है , पवन कहता जा रहा।
2 : ईश का उपहार जीवन, प्यार हम इससे करें
प्रेम से मिल कर रहें सब,हृदय में खुशियां भरें ।
रात दिन होते नहीं हैं, एक जैसे जान ले
धूप छांव से सुख दुख हैं, ये हम सभी मान ले ।
3 भारती कहती सभी से,देश का उपकार है
सोचने का वक्त है ये ,जिंदगी दुश्वार है ।
जो तुम नहीं तो यहां पे,टूटती दीवार है
ओ प्रवासी भइयों तुमसे, करते हम गुहार है ।
4 भोर आज की कहती है,वक्त यही उजास का
वंदना करें सब मिल के ,ईश के आभास का।
लाभ उठाना सबको है,सूर्य के अवदान का
हित सभी का हो सके इस,देश के सम्मान का।
5 लक्ष्य को निश्चित करें फिर,राह पर बढ़ते रहें
साथ कर लें लगन के क्षण,सीखअनुभव से गहें।
कर्म की पूजा करें हम ,फलित सबकी आस हो
पास आती खुद सफलता,जीत का विश्वास हो।
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