1 खूब हरियाली यहां है,पेड़ यूँ कटते नहीं
हैं लगाते पेड़ दस तब, सात भी कटते नहीं ।
हर गली चौराह पर तो, बाग की भरमार हैं
जिधर भी उठती नजर है,फूल के दीदार हैं।
2 सप्त सुर में हैं बजे ये,गम खुशी के तार ही
समय जो रो कर गुजारें , वे रहें बेजार ही।
धीर धर ये दिन भी कटें, जी रहें सब आस में
अब खुशी के गीत गाओ,आ रहा सुख पास में ।
3 राह में कांटे बिछाना,है बना दस्तूर ये
लोग अपना घर भरें अब,है लोभ से मजबूर ये
मां भारती के लिए ही,हो सुधार जरूर ये
देश सेवा ही हमारा,धर्म है मशहूर ये।
4 काम करो दिन भर तुम तो,फिर कभी थकते नहीं
घोर तम में पथ दिखाती,दीप तुम बनके रही।
साथ तेरे हौसला भी,खूब तो मिलता रहा
जिंदगी यह उपवन बनी,मन सुमन खिलता रहा ।
5 हे महादेव शिवशंकर,सुध हमारी लीजिये
आशुतोष अवढरदानी,पार नैया कीजिये ।
हे महेश्वर राजशेखर ,मुक्ति हमको दीजिये
हे महाकाल हितकारी ,हित हमारा कीजिये ।
[12/10, 10:20] डॉ चंद्रावती नागेश्वर: [11/10, 21:46]
: सप्त सुर में हैं बजे ये,गम खुशी के तार ही
समय जो रो कर गुजारें , वे रहें बेजार ही।
धीर धर ये दिन भी कटें, जी रहें सब आस में
अब खुशी के गीत गाओ,आ रहा सुख पास में ।
राह में कांटे बिछाना,है बना दस्तूर ये
लोग अपना घर भरें अब,है लोभ से मजबूर ये ।
मां भारती के लिए ही,हो सुधार जरूर ये
देश सेवा ही हमारा,धर्म भी मशहूर ये।
[12/10, 14:18] डॉ चंद्रावती नागेश्वर: नमन
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