1 काम भी तुम खूब करती,फिर कभी थकती नहीं
घोर तम में पथ दिखाती,दीप जैसी हर कहीं ।
साथ तेरे हौसला भी,खूब बढ़ता है सखी
प्रेम घर सुंदर बना है,नींव भी हमने रखी ।
2 भूल बैठे जो हमे तो,ध्यान उन पर ही रहे
जान के अनजान बनते,बेरुखी अब तक सहे।
साथ जो रहते सदा हैं, रार उनसे ना करें
प्रेम जो करते हृदय से, दुख सदा उनका हरें
3 सोचते जब हम नहीं थे ,मूक बन के दुख सहे
आ गई हमको अकलअब ,यत्न मन करता रहे।
दौर यह मुश्किल बहुत है,सूझता कुछ भी नहीं
हो गये हर पल हिसाबी, चूक ना होवे कहीं ।
4 गैर के सुख सह न पाते, सोच-छोटी क्या कहें ।
दर्द रखते हम छुपाकर, भाग्य का लिखा सहें ।
जो मिला अपना लिए हम,चैन से दिन काट लें
चार दिन की जिंदगी है,दुख अगर हो बांट लें ।
5 कामना होती अधूरी ,पूर्ण ये होती नहीं
है यही सच जिंदगी का,ढूंढ लो सब में यहीं।
सादगी ही तो बढ़ाती, है यहाँ सम्मान भी
मोहता है गुण सभी को ,है यही अरमान भी।
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