1 बरसे आसमान से बादल, तन मन को शीतल कर जाय
सड़कें नदी ताल बन करके,भीगें ख्वाबों को सुलगाय।
2 यादों के पौधे उग आते , कोना कोना मन हरषाय
छोड़ उदासी धरती चहके,माटी का कण कण महाकाय।
3 बनकर मोर नाचता दिल है,आँखें जुगनू सी बन जाय
झींगुर बनकर रातें गाती, बूंदे मोती सी बन भाय ।
4 करवट बदले फिर कागज के,सीने पर मन भावन गीत
छुप छुप कर उनमें से झाँके,रह रह कर मन का वह मीत
5 पंछी देखो डाल डाल पर,गाते मीठे मोहक राग
ऋतु वसन्त का स्वागत करते ,वन उपवन फूलों के बाग
6 होता सुनकर दर्द बहुत है, बाग बने फूलों के खार
हंस ढूंढते जीवन यापन ,बनी जिंदगी उनकी भार ।
7 युवा पीढ़ी हो इस देश की,देह लगे जैसे इस्पात
विपुल शक्ति संकल्प भरा हो, नहीं चाहिए कोमल गात।
8 निर्बल तन और भीरु मन के,मिथ्या मोह छोड़ कर
जाग
धन्य जवानी उनकी जिनमे,जलती देश प्रेम की आग ।
9. अपने भाव समर्पित करके,करो दूर जन मन की पीर
पैनी कर लो धार कलम की,काटो रूढी की जंजीर ।
,रूढ़ियों की सभी जंजीर।
10 तुलसी आँगन में बैठी है,नीम द्वार का पहरेदार
जूही चमेली गेंदा खिलें ,है गुलाब सबका सरदार ।
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