1 बीत गई है रात अंधेरी,पूरब में आया है भोर
मन आँगन में चहके पंछी,देख हुआ आनंद विभोर ।
2 डाल दिया नौका सरिता में,जल में उठने लगी हिलोर
खिलने लगे फूल भी देखो,बिखरी खुशियाँ चारों ओर।
3 होती कवि की सुन्दर रचना, सबके मन भरता आनंद
सारे श्रोता सुनते रहते,तरह तरह के मुक्तक छन्द ।
4 मन्त्र मुग्ध रह जाते सब ही, करते काव्य- सुधा रस पान
कविता का यह धर्म सदा ही, करता है सबका कल्यान ।
5 देश की भाषा दिल से बोल, बढ़ जाएगा गौरव मान
ज्ञान सुधा से रहे लबालब, अपने पन का होता भान ।
6 हैं सपूत हम भारत मां के, करना है इसका सम्मान
इसका विकास कर लो पहले,फिर दूजे की भाषा जान।
7 दीन दुखी की सेवा कर लो,दीन बन्धु है उनका काम
यही सुदामा के हैं श्याम,शबरी के भी ये ही राम ।
8 देव पास के जो हैं पूजो,सच मुच जिनका रूप विराट
सोये रहते देव दूर के , काहे देखें मिथ्या बाट।
9 दीवाली में दीप जलाएं, उनके सिर पर रख दें हाथ
बुझ गये जिनके घर के दीप,कठिन घड़ी है देना साथ ।
10 सरहद पर जिनके बेटों ने,किया जान अपनी कुर्बान
उन बहनों की भी तुम सोचो,करती जो सुहाग का दान ।
No comments:
Post a Comment