Sunday, 2 December 2018

आल्हा छन्द--क्रमांक- 4

1 मेरे देश के वीर जवान,दुश्मन से कह दो ललकार
बहुत हो चुका अब न सहेंगे, तेरा ये आतंकी वार।

2  नही अगर सुधरे तुम मूरख ,मरने को हो जा तैयार
कोई दुश्मन नहीं बचेगा, लें हाथों में जब हथियार ।

3 साथ ना देता भाग्य कभी,वक्त रहे जब भी प्रतिकूल
    कर्म करें जी जान लगा के,धीरे से बनता अनुकूल।

4  खुद पर हो जब तक विश्वास,देते साथ जगत के नाथ
   बाल न बांका हो सकता है,उसका हाथ रहे जो माथ ।

5 बहुत दे चुके हम समझाइश,मेट दो अब नामो निशान
समझ न आवे भल मनसाहत,  डोले है इनका ईमान ।

6   छोटे छोटे कदम समय के, बहुत तेज है इसकी चाल
सपनों को नित पोषण देना,करते हैं ये खूब कमाल ।

7 मिलकर करें आज हम सब ही,कुछ तो ऐसा एक प्रयास
परिजन पुरजन को समझाएं,बढ़ता रहे प्रेम विश्वास ।

8   माना कि कुछ काम है मुश्किल,मिले सफलता
   करके अभ्यास
धीरे से ही बात बनेगी ,इक दिन पूरी होगी आस ।

9 वक्त वक्त की बात यही तो ,कोई भला बुरा ना होय
सबकी होती समझ अलग है ,वैसे काम करे हर कोई ।

10 चलो छोड़ कर देखें अब तो ,जग मग करता झूठ लिबास
सच का वरण करें अति पावन, अंतर मन का करें विकास ।

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