1 बेटी बेटा दोनो प्यारे ,भाव नहीं दूजा
होती कन्या देवी स्वरूपा,उसकी हो पूजा।
2 गुणी जनों के साथ रहें तो,मन उत्साह बढे
बनकर नम्र ही विद्या मिलता,नव सोपान चढ़े ।
3 दुखियों के हैं वही सहारे,सब दुख दूर करे
दुख में जीवन अंधकारमय प्रभु सन्ताप हरे ।
4 घोर तिमिर में जीवन ठहरा, गतिमय प्रभु करता
ज्योति आस की वही जलाता , वह प्रकांश भरता ।
5 उमर ढले तो कुछ ना सूझे,काम नहीं बनते
मन में रहे उमंग सदा ही,विनती हम करते ।
6 पाती लिखकर भेजी तुमको, उत्तर भी लिखना
कर्म पुकारे व्याकुल मन से,सत पथ पर चलना।
7 जब पालन हो मर्यादा का,सब कुछ ठीक रहे
रीति नीति के बंधन टूटे,मानव कुपथ गहे ।
8 भेजी पाती प्रियतम को तब,मन बेचैन सखे
जाने कैसे बीत रहे दिन ,उनकी खबर रखे ।
9 कर्म पुकारे व्याकुल मन से, सतपथ पर चलना
जीवन के इस धूप छाँव में,तुम धीरज रखना ।
10 बीत रहे जो दिन चुपके से ,बिन बोले कहते
मौन हुए रिश्ते भी अब तो,गुमसुम से रहते ।
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