परिचय ---दो पद 4 चरण
प्रत्येक पद में 26 मात्रा
16 - 10 में यति
समान्त में --लघु गुरु(1 -2 )
1 शब्द शब्द में भाव भरे हैं ,गीत नवल रच दो
मेरे अन्तस् में निर्झर सा, माते रस भर दो ।
2 यहां वहां मैं खोजा उसको,था वह अंदर में
पता चला हमको मिले नही,वह तो बाहर में ।
3 हे प्रभु खोज रहा था तुमको,मंदिर मस्जिद में
हार गया वापस जब वापस पाया,अपने भीतर में।
4 दुल्हन सी उतरी आँगन में ,प्यारी धूप लगे
झलक दिखाकर शर्माती जब मन में प्रीत जगे ।
5 रहता सबका आना जाना ,जग का सत्य यही
अमर नही है जग में कोई ,यह ही तथ्य सही।
6 चमके धूप कभी खुशियों की,मन सन्ताप हरे
कभी दुखों का अंधियारा भी,मन भय भीत करे।
7 नभ की बिजली चमक चमक कर ,मन शंका भरती
सुविधा देती घर की बिजली ,मन हर्षित करती ।
8 लगते थे जो भूले भटके, वो तो थे हटके
ज्ञान ध्यान वो बांटे सबको,बस हम ही अटके ।
9 पोथी पढ़ कर कथा सुनाते, भाषण दें रटके
मन में चाह रखे हैं हम तो, काम करें हटके ।
10 बारिश की बूंदें धरती को, हरी भरी करती
सुखी रहें सब जीव जगत में,आस वही भरती ।
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