Tuesday, 25 December 2018

छन्द विष्णुपद - क्रमांक - 1

परिचय  ---दो पद 4 चरण
प्रत्येक पद में 26 मात्रा
16 - 10 में यति
समान्त में --लघु गुरु(1   -2  )

1       शब्द शब्द में भाव भरे हैं ,गीत नवल रच दो
           मेरे अन्तस् में निर्झर सा, माते रस भर दो ।

2      यहां वहां मैं खोजा उसको,था वह अंदर में
          पता चला हमको मिले नही,वह तो बाहर में ।

 3    हे प्रभु खोज रहा था तुमको,मंदिर मस्जिद में
    हार गया वापस जब वापस पाया,अपने भीतर में।

4        दुल्हन सी उतरी आँगन में ,प्यारी धूप लगे
      झलक दिखाकर शर्माती जब मन में प्रीत जगे ।

     
5         रहता सबका आना जाना ,जग का सत्य यही
          अमर नही है जग में कोई ,यह ही तथ्य सही।
 
6     चमके धूप कभी खुशियों की,मन सन्ताप हरे
    कभी दुखों का अंधियारा भी,मन भय भीत करे।

7   नभ की बिजली चमक चमक कर ,मन शंका भरती
      सुविधा देती घर की बिजली ,मन हर्षित करती ।

8         लगते थे जो भूले भटके, वो तो थे हटके
      ज्ञान ध्यान वो बांटे सबको,बस हम ही अटके ।

9       पोथी पढ़ कर कथा सुनाते, भाषण दें रटके
         मन में चाह रखे हैं हम तो, काम करें हटके ।

10   बारिश की बूंदें धरती को,  हरी भरी करती
    सुखी रहें सब जीव जगत में,आस वही भरती ।

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