l1 इस पीढ़ी की सोच यही है,संचय खूब करें
गुजरी पीढ़ी की चाहत थी,मिल कर सभी रहें ।
2 आँचल में भरकर प्रीत चली,धीमे डग भरती
छलक न जाये प्रीत यही मैं, यत्न सदा करती ।
3 अम्बर छूने की चाहत में ,कुछ तो नया करें
आओ मिल कर साथ सभी हम,उर उल्लास भरें।
4 निभ न सके वादा जो हमसे,दुख कारी बनता
औकात नहीं फिर बात बड़ी, मन घमंड भरता।
5 हाथ जोड़ मैं शीश झुकाती, हे पालन करता
तुम करुणामय जीवन दाता ,सबके दुख हरता
6 कल कल करती बहती सरिता,सबसे नेह करे
हँसती रहती है वह पल पल,सबकी तृषा हरे ।
7 गाती है वह होकर विह्वल,सबके दुख हरती
बहती रहती है हर पल,सबको शीतल करती।
8 सूख रही है उसकी काया, चिंतित वह रहती
मत रोको तुम उसका रस्ता,,सबका हित करती ।
9 निर्मल पावन होवे सरिता,यह सब जतन करें
स्वच्छ नीर हो उसका तब ही,वह भी पाप हरे।
10 निभ न सके वादा जो हमसे,दुख दायी बनता
बड़ी बड़ी बातें मत करना,मान सदा घटता ।
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