Friday, 28 December 2018

छन्द विष्णु पद क्रमांक- 3

l1          इस पीढ़ी की सोच यही है,संचय खूब करें
      गुजरी पीढ़ी की चाहत थी,मिल कर सभी रहें ।

2      आँचल में भरकर प्रीत चली,धीमे डग भरती
      छलक न जाये प्रीत यही मैं, यत्न सदा करती ।

3     अम्बर छूने की चाहत में ,कुछ तो नया करें
आओ मिल कर साथ सभी हम,उर उल्लास भरें।

4    निभ न सके वादा जो हमसे,दुख कारी बनता
   औकात नहीं फिर बात बड़ी, मन घमंड भरता।

5     हाथ जोड़ मैं शीश झुकाती, हे पालन करता
    तुम करुणामय जीवन दाता ,सबके दुख हरता

6    कल कल करती बहती सरिता,सबसे नेह करे
    हँसती रहती है वह पल पल,सबकी तृषा हरे ।

7       गाती है वह होकर विह्वल,सबके दुख हरती
      बहती रहती है हर पल,सबको शीतल करती।

8     सूख रही है उसकी काया, चिंतित वह रहती
  मत रोको तुम उसका रस्ता,,सबका हित करती ।
         
   
9   निर्मल पावन होवे सरिता,यह सब जतन करें
      स्वच्छ नीर हो उसका तब ही,वह भी पाप हरे।
   
10         निभ न सके वादा जो हमसे,दुख दायी बनता
        बड़ी बड़ी बातें मत करना,मान सदा घटता ।
    

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