Sunday 16 December 2018

छन्द सरसी - क्रमांक-3

1    सहज नहीं है जीवन इतना ,सुन लो मेरे यार
  कदम कदम पर रस्ता रोके,कठिन वक्त की मार ।

2    हाथ जोड़ कर चलते हैं हम,लेकर नरियल फूल
      माथे चंदन सजा हुआ है,छत्तीस गढ़ का धूल ।

3         बंद हुए सारे दरवाजे ,  हुआ नहीं अंधेर
      मन के खोलो द्वार अभी ही,नहीं हुई है देर ।

4        जीव जगत में होता है ,ईश्वर का प्रति रूप
    खोल के मन कीआंखें देख , ,दिखता उसका रूप ।

5     कुछ पल मिले सुकून भरे फिर,मिले सभी का प्यार
        बुरा  वक्त भी कट जाएगा। , मन भाये संसार ।

6       अपनी भूलों से लो शिक्षा,जीवन हो आसान
      बन जाओगे तुम्हीं चहेते , मीठी रखो जुबान ।

7      सरकारें यदि रखे व्यवस्था ,सदा चाक चौबंद
       जनता को भी रहना होगा ,नियमों का  पाबंद ।

8         यादें होती खुशबू जैसी,महकाएं मन बाग
             बंद रहे दरवाजे तो भी,गाती मोहक राग ।

9           हार न माने बाधाओं से ,वह तो है खुद्दार
     नहीं चाहता झुक जाए वह,करे मौत स्वीकार ।

10   जीवन के पन्ने पर लिखलो,सत्कर्मो की चाह
    आये कभी जो मुश्किलें तो ,वही दिखाता राह ।

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