1 उन्नत बीज लगा लो चाहे,डालो जितना नीर
समय आय फलते हैं पौधे,रख लो मन में धीर ।
2 शैशव यौवन और बुढापा,जीवन क्रम हर बार
देह मनुज का मिले नहीं पर ,सबको बारम्बार ।
3 भिन्न भिन्न है सबकी प्रतिभा, भिन्न रहें किरदार
सबकी सोच अलग है जो दे ,जीवन को आधार ।
4 बड़ी बड़ी चट्टान पिघलती, पर्वत शीश झुकाय
हे जग जननी तुझे देख के ,अंतर मन हरषाय ।
5 भरा है मन में यही जुनून,होवे शीघ्र विकास
आगे पीछे बिन सोचे ही , करते रहें प्रयास ।
6 बादल गरजे बिजली चमके,पिया गये परदेश
कैसे इनका करूँ सामना , रक्षा करो महेश ।
7 सही सोच पर पड़ता पाला, संकट में है देश
भ्रष्टाचारी मौज उड़ाते , सबके हरो कलेश ।
8 जीवन के पन्ने पर लिख लो,सत्कर्मो की चाह
बाधाएं भी आ जाएं तो ,वही दिखाता राह ।
9 माह दिसम्बर बैरी लागे, पढ़ने कैसे जाएं
ठंड बहुत है मैया मेरी , चाट पकोड़ी खाएं।
10 हर प्राणी होता है जग का ,ईश्वर का प्रति रूप
,मन की आंखें खोल मनुज तू,दिखता उसका रूप ।
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