Monday, 17 December 2018

छन्द सरसी- क्रमांक- 4

    
1     उन्नत बीज लगा लो चाहे,डालो जितना नीर
    समय आय फलते हैं पौधे,रख लो मन में धीर ।

2   शैशव  यौवन और बुढापा,जीवन क्रम हर बार
    देह मनुज का मिले नहीं पर ,सबको बारम्बार ।

3     भिन्न भिन्न है सबकी प्रतिभा, भिन्न रहें किरदार
       सबकी सोच अलग है जो दे ,जीवन को आधार ।

4     बड़ी बड़ी चट्टान पिघलती, पर्वत शीश झुकाय
      हे  जग जननी तुझे देख के ,अंतर मन हरषाय ।

5       भरा है मन में यही जुनून,होवे शीघ्र विकास
     आगे पीछे बिन सोचे   ही ,  करते रहें प्रयास ।

6    बादल  गरजे बिजली चमके,पिया गये परदेश
        कैसे इनका करूँ सामना , रक्षा करो  महेश ।

7  सही सोच पर  पड़ता पाला, संकट में है देश
      भ्रष्टाचारी मौज उड़ाते , सबके हरो कलेश ।

  
        
8     जीवन के पन्ने पर लिख लो,सत्कर्मो की चाह
         बाधाएं भी आ जाएं तो ,वही दिखाता राह ।

9          माह दिसम्बर बैरी लागे, पढ़ने कैसे जाएं
         ठंड बहुत है मैया मेरी , चाट पकोड़ी  खाएं।

10      हर प्राणी होता है जग का ,ईश्वर का प्रति रूप
  ,मन की आंखें खोल मनुज तू,दिखता उसका रूप ।

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