1 आए जब जाड़े का मौसम ,खूब रजाई भाय
खींच रजाई रोज सबेरे , मम्मी हमे जगाय।
2 हवा ने बदला अपना रूप,खूब करे है मार
ठंड से मिल करती षड्यंत्र ,बनती तेज कटार ।
3 हर सुबह गुनगुनाती है ये,मन्द शीतल समीर
कर्म पथ पर हँस कर बुलाती,जगाती ये जमीर।
4 दुश्मन से जो मिल कर रहता, निश्चित उसका नाश
देश हित का काम जो करते, रोकें वही विनाश ।
5 आज खुशी का दिन है भाई, दुआ बनी है ढाल
नक्सलियों के हमले में तो, बहुत बुरा था हाल ।
6 मिलती रहे सदा पेड़ों से ,ठंडी ठंडी छाँव
तपन भरी गरमी में राही पा जाता है ठाँव।
7 जीवन भर हो ठाट बाट,सुख सुविधा का भोग
बिन मेहनत के मिले उन्हें भी,चाह रहे हैं लोग।
8 बाधाओं के चाप खींच कर,छोड़ो ऐसे तीर
राहों के अड़चन अनबन की बदलो जी तस्वीर।
9 नये साल की नई, सुबह तो ,करती है फरियाद
छोटे से इस जीवन को तुम,करो नहीं बरबाद ।
10 सपनों की ढेरी से खुद को,कर लो तुम आजाद
अभिलाषाओं की राह मोड़, करो उन्हें आबाद ।
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