Tuesday, 18 December 2018

छन्द सरसी -क्रमांक -6

1       पावस शीत करें गठबंधन ,इक दूजे के संग
                 इक थैली के चट्टे बट्टे,ख़ूब करेंगे तंग।

2      गुनगुनाती है हर सुबह ये,शीतल मंद समीर
         भरे ताजगी तन मन में यह,हर लेती है पीर ।

3   सोच समझ कर काम करे जो,फिर काहे पछता
      लोभ हमेशा मोहित करता, उसकी संगत भाय।

4        बदला हवा ने अपना रूप ,खूब करे है वार
     शीत से मिल करती षड्यंत्र ,लगती तेज कटार ।

5       हम रहते बंधकर रिश्तों में,रहें प्यार में कैद
          रिश्ते जो बीमार पड़े तो, बने प्रीत ही  वैद ।

6          भारत की संस्कृति हमारी ,देती है सन्देश
   प्रेम -अहिंसा -सदाचार से ,मिटे सभी का क्लेश ।

7     कहते हैं सब नोंक झोंक से ,बढ़ता  रहता प्यार
      ये भी तो हो सकता है सुन,बढ़ जाये तकरार ।

8    .  पंख पसारे उड़ते पंछी ,गाते स्वागत गान
       देख भोर की किरणों को ,जागे मन अरमान .|

       
9 महकें हैं मकरन्द कमल दल, रवि का लेकर नाम
        बहे झूम के पुरवाई भी, करती उन्हें प्रणाम ।

 
10  ढली दुपहरी जीवन की अब,सफर रहा है बीत
     चिंता कल की हमे नहीं है,मन मे सुखदअतीत ।

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