1 पावस शीत करें गठबंधन ,इक दूजे के संग
इक थैली के चट्टे बट्टे,ख़ूब करेंगे तंग।
2 गुनगुनाती है हर सुबह ये,शीतल मंद समीर
भरे ताजगी तन मन में यह,हर लेती है पीर ।
3 सोच समझ कर काम करे जो,फिर काहे पछता
लोभ हमेशा मोहित करता, उसकी संगत भाय।
4 बदला हवा ने अपना रूप ,खूब करे है वार
शीत से मिल करती षड्यंत्र ,लगती तेज कटार ।
5 हम रहते बंधकर रिश्तों में,रहें प्यार में कैद
रिश्ते जो बीमार पड़े तो, बने प्रीत ही वैद ।
6 भारत की संस्कृति हमारी ,देती है सन्देश
प्रेम -अहिंसा -सदाचार से ,मिटे सभी का क्लेश ।
7 कहते हैं सब नोंक झोंक से ,बढ़ता रहता प्यार
ये भी तो हो सकता है सुन,बढ़ जाये तकरार ।
8 . पंख पसारे उड़ते पंछी ,गाते स्वागत गान
देख भोर की किरणों को ,जागे मन अरमान .|
9 महकें हैं मकरन्द कमल दल, रवि का लेकर नाम
बहे झूम के पुरवाई भी, करती उन्हें प्रणाम ।
10 ढली दुपहरी जीवन की अब,सफर रहा है बीत
चिंता कल की हमे नहीं है,मन मे सुखदअतीत ।
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