Friday, 7 December 2018

आल्हा छन्द --क्रमांक - 6

1  वक्त पड़े तो करे खुशामद,फिर वे बनते है अनजान
बच के  रहना इन  लोगों  से,  काम बने भूले पहचान ।

2  अपनों से जो रखते दूरी,रखें नहीं उनसे ब्यौहार
  इन लोगों से बच के रहना,सबसे करते हैं तकरार ।

3 चाहे आये विपदा कितनी,अचल बने रहते है वीर
   समझ बूझ कर रखें कदम,खोते नहीं कभी वे धीर ।

4   सागर मंथन करके देख,रत्न मिलेंगे तब अनमोल
व्यर्थ नहीं जाता है श्रम तो,बदले धरती का भूगोल ।

5   सूरज को भी आलस आता, देख देर तक वह भी सोय
मन लगे ना काम में उसका , रोक सके ना उसको कोय ।

6  मन में कर लो निश्चय अब तो,करना होगा प्रबल प्रयास
देख अकेला ही सूरज भी, घोर तिमिर में भरे उजास ।

7 श्रमिकों की मेहनत ही होती ,उनकी ढाल और तलवार
है श्रम का संचय मुश्किल, काम मिले तो ही त्यौहार ।

8  सूर्य तेज है कोमल ऐसा, सुन्दर है मन भावन धूप
  थोड़े दिन के बाद में ही,निखरे धरती माँ का रूप ।

9     ठंड का मौसम बड़ा प्रचंड,थर थर करते पीले पात
   देख हौसला इन दूबों का,खड़ा ओस में सारी रात ।

  
10 पीछे  जिनको हमने छोड़ा , रोक रहें हैं  वे तो राह
       बाधा बनके वही खड़े हैं, कैसे होवे पूरी  चाह।

No comments:

Post a Comment