1 वक्त पड़े तो करे खुशामद,फिर वे बनते है अनजान
बच के रहना इन लोगों से, काम बने भूले पहचान ।
2 अपनों से जो रखते दूरी,रखें नहीं उनसे ब्यौहार
इन लोगों से बच के रहना,सबसे करते हैं तकरार ।
3 चाहे आये विपदा कितनी,अचल बने रहते है वीर
समझ बूझ कर रखें कदम,खोते नहीं कभी वे धीर ।
4 सागर मंथन करके देख,रत्न मिलेंगे तब अनमोल
व्यर्थ नहीं जाता है श्रम तो,बदले धरती का भूगोल ।
5 सूरज को भी आलस आता, देख देर तक वह भी सोय
मन लगे ना काम में उसका , रोक सके ना उसको कोय ।
6 मन में कर लो निश्चय अब तो,करना होगा प्रबल प्रयास
देख अकेला ही सूरज भी, घोर तिमिर में भरे उजास ।
7 श्रमिकों की मेहनत ही होती ,उनकी ढाल और तलवार
है श्रम का संचय मुश्किल, काम मिले तो ही त्यौहार ।
8 सूर्य तेज है कोमल ऐसा, सुन्दर है मन भावन धूप
थोड़े दिन के बाद में ही,निखरे धरती माँ का रूप ।
9 ठंड का मौसम बड़ा प्रचंड,थर थर करते पीले पात
देख हौसला इन दूबों का,खड़ा ओस में सारी रात ।
10 पीछे जिनको हमने छोड़ा , रोक रहें हैं वे तो राह
बाधा बनके वही खड़े हैं, कैसे होवे पूरी चाह।
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