1 भारत मां का रूप दिव्य है,मणियों का ले अनुपम उपहार
तीनो सागर पांव पखारें,दिल में श्रद्धा भाव अपार ।
2 सागर मंथन करके देख,रत्न मिलेंगे तब अनमोल
व्यर्थ नहीं जाता है श्रम तो,बदले धरती का भूगोल ।
3 सूरज को भी आलस आता, देख देर तक वह भी सोय
नाम नहीं लेवे तपने का , ठंड बड़ा अभिमानी होय।
4 अतुलित शक्ति पुंज ये मानव, पतझर को कर दे मधुमास
लेकर के संकल्प उसी ने, बदला है जग का इतिहास ।
5 भेद भाव से आती दूरी, मन दर्पण को रखना साफ
टूट रही रिश्तों की कड़ियाँ ,सबको मिले सही इंसाफ। ✅
6 भूले भटके कोई पहुंचे ,अगर हमारे मन के द्वार हाल चाल पूछें मुस्काकर,दिल से करें बहुत सत्कार ।
7 कभी कभी ही खुले हृदय पट,शायद अतिथि रूप भगवान
जो भी हो अर्पण करना है,दिल का प्रेम और सम्मान।
8 व्यथा सुनो एकाकी मन की,हे प्रभु जग के तारन हार
आंख खुले तो तुमको देखूँ,विनय करूँ तुमसे सौ बार।
9 आती है हर सुबह हमेशा ,देने एक नई सौगात
अच्छे कामो से करना है , हमको हर दिन की शुरुआत ।
10 सिर पर मुकुट हिमालय का,सागर चरणों मे बलिहार
भारत माँ के प्यारे बेटे, शीश झुका करते आभार ।✅
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