Tuesday, 11 December 2018

आल्हा  छन्द --क्रमांक- 9

1   बदले अगर इरादे तो भी ,अपने वादों का रख मान
  सोच समझ को यह दिखलाता,शब्द ब्रह्म है रखना ध्यान ।

2 नहीं बरतना इतनी सख्ती,जो टूटे सबके अरमान
इतना कोमल भी मत बनना,ले लें कोई अपनी जान ।

3  हरियाली से इनकी अनबन,कटे पेड़ जंगल वीरान
     नदी ताल सब हुए विषैले,धरती माता मन हैरान ।

     4   सुनो देश के कर्णधारों,सच झूठ की करो पहचान
इस धरती का कर्जचुका दो,सोच समझ कर दो मतदान।

5 श्वांस श्वास का मोल चुका दें,ऐसा हो दिल में अरमान
     कौन हितैषी कौन लुटेरा,इस पर रखना सारा ध्यान।

6  लील रहे है शहर गाँव को,करते हैं हम बहुत विकास
होते नीर समीर प्रदूषित, होगा कब इसका आभास ।

7  धुंआ उगलती चिमनियां हैं ,फैला है रोगों का जाल
जल थल वायु हो गए दूषित, ,सबका बहुत बुरा है हाल।

8 मुश्किल चाहे  जितनी आये,साहस हो जिसका हथियार
मुश्किलें भी टिक नहीं पाती,खूब करें उन पर ये वार ।

9  हवा किसी की सगी नही है,मौसम संग बदलती रूप
     तपन भरी होती गर्मी में  ,ठंडी में खा जाती धूप ।

10 हवा बांटती रहती सिहरन,धूम मचाती रहती ठंड
कम्बल ओढ़े मौसम रहता,हुआ ठंड को बहुत घमंड।
 

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