Wednesday, 9 January 2019

छन्द -विष्णुपद - क्रमांक-10 माधवनल- कामकन्दला,नारी पर दोहे :---


1   रूप नगर का वैभव अद्भुत, आंखों में रहता
    साधना करे जहां रूपसी,   झरना था बहता।

2      राज नर्तकी काम कंदला, का था नाम बड़ा
    कला उपासक दूर देश का,अचरज में खड़ा।

3    दिव्य स्वरों के आकर्षण से,राज महल पहुंचा
     अद्भुत नृत्य देख कर वह ,    खो गया समूचा ।

4       प्रेम पाश में बंध गए वो, सबका मन खटका
       राज कोप का भागी वह तो,रहा वहीं अटका।

5   राज दंड की गाज गिरी जब,तब मन को खटका
     निष्कासन की सजा सुनी तो ,मन दर्पण चटका 

6       

7          

9      भाग दौड़ की जिंदगी हमें, चैन नहीं मिलता
     करें काम हम समझ बूझ कर, सदा चैन रहता।

10       फूल भरे मैंने दामन में,तुझ पर बरसा दूं
    भाल चूम कर प्यार करूँ आ,चिंता मैं हर लूं ।

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[28/08, 11:53] Chandrawati 


अस्थि चर्म मय देह यह ,मन तो करे कमाल

हृदय गुफा में बैठ कर , चलता अपनी चाल।


देवालय सा देह  है ,चेतन मन भगवान

गो धन सारी  नाड़ियां , हांक रहे गोपाल।


जड़ चेतन मय जगत यह , दोनो की दरकार

इक दूजे के मेल से , करते खूब कमाल।


दृश्य जगत के ज्ञान को ,   परखता  ये  विज्ञान

भौतिक सुविधा दे रहा, मन में मचा बवाल।

विवेक जगता जब रहे ,जड़ता खुद मिट जाय

अमन शांति जग में रहे , जीवन हो खुशहाल।

 डॉ चन्द्रावती नागेश्वर

रायपुर छ ग

27  , 8  ,2021

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 नारी सम्बंधित दोहे

 1 -  नारी शक्ति स्वरूप है,  देती जीवन दान

 हर बाधा  को पार कर  , रखती सबका ध्यान।

2 -बहन सखी बेटी यही,    है यह देवी रूप

  नारी ही है सहचरी ,      है बदली में धूप।

3 - कोमल तन है  मन प्रबल, संकल्प शक्ति अपार

  -मिले न जब तक मंजिलें , कभी न मानें हार ।

4 - हिम्मत दीप लिए चली , स्वयं बनाये राह

 चली चाँद  पर पांव रख , इच्छा शक्ति  अथाह।

5- जननी के मन मे सदा , ममता और दुलार 

रह कर उसकी  छांव में , खुशियां मिले अपार।

6 -बेटी है  चंचल नदी ,    बहती समतल  धार

घर की रौनक है यही           ,है बसन्त बयार।

7 -बिटिया  तो नाजुक कली ,हमको इस पर नाज

इसकी क्षमता देखकर ,       अचरज होता आज।

8-  चंदा की यह चांदनी , सावन की बरसात 

घर की शोभा  ये बनी , चहकें है दिन रात ।

 9-  नारी है वमंगिनी , सहज  सरल मन प्रीत

सीधे पन में छली गयी , कैसी है यह  रीत।


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