1 सत्कर्मी को शुभ फल मिलता,कष्ट मिटे उसका
रहें प्रेम से हिल मिल कर तो,दुख विनशे सबका ।
2 धर्म कर्म का जीवन हो तो,सुख से वक्त कटे
कपट भरे मन रहते जिनके,जीवन चैन घटे ।
3 नफरत का यदि रोग लगे तो, सदा कष्ट रहता
मिले प्रेम का मरहम तब ही,कष्ट वही हरता ।
4. नवल वर्ष के नए रूप में,हम सबको ढलना
नव संकल्पों के संग हमे,नव पथ पर चलना।
5 मन के सारे द्वेष मिटा कर,आओ गले मिलें
रिश्तों में मनुहार प्रेम हो, मन केसुमन खिलें ।
6 :हुई प्रार्थना पूरी सबकी,प्रभु की कृपा रही
हमें राह वह दिखलाएगा, उसकी रीति सही।
7 चरणों मे अर्पित है जीवन, संकट दूर करो
तुम बिन कोई और नहीं जो, हमरे कष्ट हरे ।
8 मुस्कानों से रिश्ता जोड़ो, सबको खुशी मिले
अनजानों से हो अपनापन, चाहत पुष्प खिलें ।
9 कुछ कर दिखलाने के वादे,पथ अब नया गढ़ें
आशाओं की डोर थाम कर,नव सोपान चढ़े।
10 व्यर्थ करें न कोई बात जो, दिल को दुखी करे
बोल प्रेम के बोलो वह तो ,मन के ताप हरे ।
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