Tuesday, 1 January 2019

विष्णुपद-,क्रमांक- 5

1 सत्कर्मी  को शुभ फल मिलता,कष्ट मिटे उसका
  रहें प्रेम से हिल मिल कर तो,दुख विनशे सबका ।

2      धर्म कर्म का जीवन हो तो,सुख से वक्त कटे
        कपट भरे मन रहते जिनके,जीवन चैन घटे ।

3       नफरत का यदि रोग लगे तो, सदा कष्ट रहता
          मिले प्रेम का मरहम तब ही,कष्ट वही हरता ।

4.      नवल वर्ष के नए रूप में,हम सबको ढलना
      नव संकल्पों के संग हमे,नव पथ पर चलना।

5     मन के सारे द्वेष मिटा कर,आओ गले मिलें
     रिश्तों में मनुहार प्रेम हो, मन केसुमन खिलें ।

      
6       :हुई प्रार्थना पूरी सबकी,प्रभु की कृपा रही
      हमें राह वह दिखलाएगा, उसकी रीति सही।
    

7     चरणों मे अर्पित है जीवन, संकट दूर करो
     तुम बिन कोई और नहीं जो, हमरे कष्ट हरे ।

8   मुस्कानों से रिश्ता जोड़ो, सबको खुशी मिले
    अनजानों से हो अपनापन, चाहत पुष्प खिलें ।

9   कुछ कर दिखलाने के वादे,पथ अब नया गढ़ें
     आशाओं की डोर थाम कर,नव सोपान चढ़े।

10  व्यर्थ करें न कोई बात जो, दिल को दुखी करे
       बोल प्रेम के बोलो वह तो ,मन के ताप हरे ।

     

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