Sunday, 6 January 2019

छन्द -विष्णुपद - क्रमांक--9


1    नित घटती सुंदरता तन की,मन सुविचार भरो
            कर्म करे से सुंदरता है,सदा सुकर्म करो ।

2    बीज रहे मन स्वाभिमान का,ऐसी कोशिश हो
     मूल सोच में हो परिवर्तन,नव प्रगति नित हो ।

3       राम नाम  की राजनीति से ,देश नहीं चलता
       लोगों की है सोच बदलना ,तभी देश बदलता ।

4      उमर बढ़े घटती सुंदरता, मन सुविचार भरो
      कर्म करे नित सुन्दर रहते,सदा सुकर्म करो।

5      माँ साँचा तन मन गढ़ने का,हर पीढ़ी निखरे
    अगर ठान ले हर जननी तो,सद्गुण ही बिखरे ।

6   उनका ही व्यक्तित्व निखरता,खुद को जो समझे
        समय साध कर जीवन जीते, रहते वो सुलझे ।

7  दृढ़ निश्चय जो करें हृदय में, नित नव पथ गढ़ते
    लक्ष्य साधकर जो चलते हैं, शिखर वही चढ़ते।

8    साथ हौसलों के जो रहता,नित आगे बढ़ता
    बाधाएं भी शीश झुकाती,राह स्वयं गढ़ता ।

9       आने वाले कल की चिंता,,कभी  नहीं करना
     कल क्या होगा सोच सोच कर ,हमें नही डरना ।

10       अंधकार पूरित वे रातें, बीत गईं अब तो
     धीरज का फल मीठा चख लो,भोर हुई अब तो।
    
  

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