1 नित घटती सुंदरता तन की,मन सुविचार भरो
कर्म करे से सुंदरता है,सदा सुकर्म करो ।
2 बीज रहे मन स्वाभिमान का,ऐसी कोशिश हो
मूल सोच में हो परिवर्तन,नव प्रगति नित हो ।
3 राम नाम की राजनीति से ,देश नहीं चलता
लोगों की है सोच बदलना ,तभी देश बदलता ।
4 उमर बढ़े घटती सुंदरता, मन सुविचार भरो
कर्म करे नित सुन्दर रहते,सदा सुकर्म करो।
5 माँ साँचा तन मन गढ़ने का,हर पीढ़ी निखरे
अगर ठान ले हर जननी तो,सद्गुण ही बिखरे ।
6 उनका ही व्यक्तित्व निखरता,खुद को जो समझे
समय साध कर जीवन जीते, रहते वो सुलझे ।
7 दृढ़ निश्चय जो करें हृदय में, नित नव पथ गढ़ते
लक्ष्य साधकर जो चलते हैं, शिखर वही चढ़ते।
8 साथ हौसलों के जो रहता,नित आगे बढ़ता
बाधाएं भी शीश झुकाती,राह स्वयं गढ़ता ।
9 आने वाले कल की चिंता,,कभी नहीं करना
कल क्या होगा सोच सोच कर ,हमें नही डरना ।
10 अंधकार पूरित वे रातें, बीत गईं अब तो
धीरज का फल मीठा चख लो,भोर हुई अब तो।
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