Friday 1 February 2019

सार छन्द - क्रमांक- 11


1       भाभी जी केश सँवारे  है ,ननदी भी इतराई
    देखे जो दर्पण में खुद को,मन-मन में मुस्काई ।
 

2          सपनों में खोई है सजनी,लगती है शरमाई
     प्यारी सी ननदी की शादी,अंसुवन बीच विदाई ।

3   तुमने ही चलना सिखलाया,तुमने मुझे सँवारा
       उतर के तेरी गोद से मां, फिरता मारा-मारा ।

4       तेरी उंगली थामी जब-जब,तुमने मुझे बचाया
जब -जब छूटा था हाथ तेरा,कुछ भी समझ न आया।

5       संगी साथी और वक्त ने,ऊंच -नीच समझाया
       कहीं सरल कहीं कठिन राहें, बाँह पसारे पाया ।

6       सफर है लंबा रिश्ते खूब,सुख -दुख दोनों पाया
       जीवन ने है दिया बहुत कुछ,तेरे बिना न भाया ।

7      राह में कांटे मिले भी तो ,   हौसला दिखाना है
    अश्क पीकर भी हमे तो अब , सदा मुस्कुराना है।

8      रिश्तों में तो प्रेम रहे बस ,हम सब करें कामना
   विपदा में भी अडिग सदा हम,मन मे यही भावना।

9   भला काम हमको करना है,तम में दीप जलाना
  देश हित की  हो सोच हमारी ,सपने यही सजाना ।

10 जीवन जब नीरस सा  लगता,मन बोझिल हो जाता
          होता रहता परिवर्तन तब,एक नया पन आता ।

11    तन हो दो पर मन विचार में, भेद न कोई रखना
      इक माला के मोती जैसे,मिल जुल कर ही रहना।

12 अगर कहीं दिल से ना जुड़ते,अलग अलग हम रहते
    तन- मन  से जुड़ काम करें तो,बलशाली हम बनते ।

      

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