चार चरणों का लोक प्रिय छन्द है
प्रत्येक पंक्ति में 28 मात्रा होती है 14 -14 पर यति
1222 -1222 -1222 -1222-----28 मात्रा
उदा हरण --
सजन रे झूठ मत बोलो ,ख़ुदा के पास जाना है
न हाथी है न घोडा है ,वहां पैदल ही जाना है ।
2 दया कर दान भक्ति का,हमे परमात्मा देना
दया करना हमारी आतमा में शुद्धता देना ।
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1 सुनो बादल बहकना ना,इसी दहलीज पर आना
रुको कुछ दिन अभी तो तुम,सखे फिर नेह बरसाना ।
2 न तोड़ो प्रीत का बंधन,अजी अब रीत कर जाना
निभाना जान देकर भी,यही है रीत समझाना ।
3 तुम्हारे प्रेम में डूबी,सभी कुछ छोड़ आई हूं
सही है या गलत जाने ,बिना मनमीत आई हूं ।
4 छुपा लो अंक में मुझको,सदा तेरी मैं हो जाऊं
कभी मीरा कभी राधा,कभी मन मीत हो जाऊं ।
5 सुहाने फूल बागों के,इशारों से बुलाते है
न जाना दूर तुम हमसे,यही कहते लुभाते हैं।
6 सुबह की धूप आती है,पलक को चूम जाती है
तितलियाँ पास आती हैं, कली तो झूम जाती है ।
7 हवा के पंख में बैठें, हमे तो दूर जाना है
हमे उस पार जाना है,दुआ करना सिखाना है।
8 बनें हम शूल के साथी, उन्ही से प्यार करना है
मिटा कर के खुदी को ही,जमाने को पढ़ाना है ।
9 अगर चाहें खुशी हम तो,खुशी देकर भंजाना है
यही तो मन्त्र जीवन का,इसे सबको बताना है ।
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