Sunday 31 March 2019

विधाता छन्द क्रमांक - 1

चार  चरणों का लोक प्रिय छन्द है
प्रत्येक पंक्ति में 28 मात्रा होती है 14  -14 पर यति
1222 -1222 -1222 -1222-----28 मात्रा
उदा हरण  --
सजन रे झूठ मत बोलो ,ख़ुदा के पास जाना है
न हाथी है न घोडा है ,वहां पैदल ही जाना है ।

2 दया कर दान भक्ति का,हमे परमात्मा देना
दया करना हमारी आतमा में शुद्धता देना ।
------/------/-------/-----/-/------/--------

1  सुनो बादल बहकना ना,इसी दहलीज पर आना
   रुको कुछ दिन अभी तो तुम,सखे फिर नेह बरसाना ।

2   न तोड़ो प्रीत का बंधन,अजी अब रीत कर जाना
        निभाना जान देकर भी,यही है रीत समझाना ।

3      तुम्हारे प्रेम में डूबी,सभी कुछ छोड़ आई हूं
    सही है या गलत जाने ,बिना मनमीत आई हूं ।

4      छुपा लो अंक में मुझको,सदा तेरी मैं हो जाऊं
     कभी मीरा कभी राधा,कभी मन मीत हो जाऊं ।

5         सुहाने फूल बागों के,इशारों से बुलाते है
      न जाना दूर तुम हमसे,यही कहते लुभाते हैं।

6    सुबह की धूप आती है,पलक को चूम जाती है
    तितलियाँ पास आती हैं, कली तो झूम जाती है ।

7            हवा के पंख में बैठें, हमे तो दूर जाना है
      हमे उस पार जाना है,दुआ करना सिखाना है।

8    बनें हम शूल के साथी, उन्ही से प्यार करना है
       मिटा कर के खुदी को ही,जमाने को पढ़ाना है ।

9   अगर चाहें खुशी हम तो,खुशी देकर भंजाना है
     यही तो मन्त्र जीवन का,इसे सबको बताना है ।

10  

No comments:

Post a Comment