Saturday, 9 March 2019

लावणी छन्द 4


1        चिंतन शून्य हुए हैं नेता,धर्म बना इनका पैसा
        सत्ता के पीछे पागल सब,लपक रहे चाहे जैसा।

2   जख्मी है दिल भारत माँ का,मरहम नहीं बना पाये
       देश घातियों को शह देते,वोट बैंक इनको भाये  ।

3     देश भक्ति का मूल न जानें भारत का नाम डुबाएं
     निर्लज्जों सी करें सियासत,दुश्मन से हाथ मिलाएं।
  
4    पहले वार न करते हम तो, बड़े प्यार से समझाते
       फिर भी कोई ना समझे तो,उनको मजा चखाते।

5  रत्न कीमती दिया अनेकों,अनगिन कोख में धारी
    ममता का सागर लहराऊँ ,या फिर तलवार दुधारी।

6 कभी कामिनी कभी कालिके,पत्नी प्रिया सखी प्यारी
   मन को पढ़ना जग को गढ़ना, बहुत बड़ी जिम्मेदारी ।

7  दुश्मन जब कदमों पर आए, दया नीति अपनाते हैं
     प्रेम भाव से जो मिलते हैं,उनको गले लगाते है ।

8       बँधी बँटी कितने रिश्तों में ,माँ बेटी बहना प्यारी,
     धरती, धरा, भूमि महि हूँ मैं ,जीवन सब पर मैं वारी।

9 नहीं किसी की दुश्मन हूं मैं,नाम मिला मुझको नारी
  अगणित रत्न कोख में पाले, एक अकेली ही भारी ।

10    दे कर बड़ी शहादत हमने,ये आजादी पाई है
  भूल गए परहित की बातें,करना उसकी भरपाई है।

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