Thursday, 14 March 2019

लावणी छन्द - क्रमांक--6

1   हवा सुनाती है सरहद की, तुमसे  बात बतानी है
   सुनो कहानी ये फौजी की,जिनकी धन्य जवानी है।

2   करूँ बयानी क्या मौसम की ,कहती ये दीवानी है
      यही रवानी है जीवन की ,हार न जिसने मानी है।

3     गर्म हवा की लपटें चलती,रोम रोम सुलगाती है
बिल में छिप जाते जो दुश्मन,उनमें ख़ौफ़ जगाती है।

4  हवा चले है बर्फीली जब,बरछी सी चुभ जाती है
     ओढ़ रजाई दुश्मन सोता,इनमें हिम्मत लाती है।

 5  जब भी घर आते छुट्टी में,परिजन खुशी मनाते हैं
   पर्व दिवाली हर दिन होता,जगमग दीप जलाते हैं।

6   बारिश की बूँदें पडती है,दिल में ठंडक लाती है
     बिटिया की पायल बजती है,गीत सुरीले गाती है।

  

7   हवा बहे जब जब वासन्ती,देख प्रिया मुस्काती है
 रहे साथ जब तक उनके वह,जीवन को महकाती है।

8       हवा सुहानी है सरहद की, बोले मीठी बानी ये
    जीवन तो आनी जानी है, अमर रहें बलिदानी ये।

9   रक्षक देश के सैनिक होते, सीमा पर पहरा देते
    सदा  वार झेलें सीने पर , दुश्मन से लोहा लेते ।

10     लड़ते हैं तूफानों से भी,सदा दीप से जलते हैं
   दूर रहें अपने प्रिय जन से, सदा सजग ये रहते हैं ।

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