Sunday, 24 March 2019

लावणी छन्द --8


1    हमे लिखा था खत प्रियतम ने,होली साथ  मनाएंगे
        रंग लगाएं इतना गहरा,जिसको छुड़ा न पाएंगे ।

2     पता नहीं था उनको भी तो,दुश्मन घात लगाएंगे
     लहू बहा कर खेले होली ,माँ का तिलक सजायेंगे ।

3          संग तिरंगे के तुम आये,कैसे धीर बंधाएंगे
     रोक लिया है आंसू हमने,अब यह कसम उठाएंगे ।

4          फर्ज अधूरे जो हैं तेरे ,उनको हमीं निभाएंगे
      देश धर्म का पालन करके,जीवन सफल बनाएंगे ।

58 इक दिन बोली पृथा कुमारी, काम नया कुछ करना है
   ध्यान लगा कर सुन लो भैया,बात नई अब रखना है।

6  विविध रूप के जीव जंतु का,सृजन यहां पर करना है
        पंच तत्व में शक्ति निहित है,रूह इसी में धरना है ।

7  कर्म नीति से जग संचालन, कर्म परिधि पर रहना है
     रचें चलो मिलकर जीवों को,ईश सहायक बनना है।

8    हम सब भारत में जन्मे हैं, यही हमारी माता है
       ममता के आंचल ने पाला ,माँ बेटे का नाता है ।

9    शीश उतारें हम उन सबका,जो हमसे टकराता है
  खून खौल जाता है जब भी,दुश्मन आंख उठाता है।

10 जन्म  भूमि हम सबको प्यारी,सारे जग से यह न्यारी
     धरती माँ का कर्ज चुकाना, हमको भी तो आता है।

No comments:

Post a Comment