Monday, 25 March 2019

लावणी छन्द --क्रमांक 9

1  सैनिक देश के रक्षक होते,सीमा पर पहरा देते
     गर्मी सर्दी बारिश में भी,दिन रात डटे रहते ।

2   रहें दूर  अपने प्रिय जन से,तूफानों से लड़ते
    सीने पर झेलें वार सदा, दुश्मन से लोहा लेते ।

3 उजड़ा है सुहाग जिनका अब,उनका भी तो मान करो
जिसने बेटा खोया अपना, उन पर तो अभिमान करो।

4  जिनके घर मे मातम छाया ,उनके दुख का भार हरो
  तजो जरा स्वार्थ को अपने, कुछ तो अपना फर्ज करो।

5 हर सुबह नमन इनको कर लो, प्रणाम इनको हर शाम करो
दीप याद के रोज जलाओ,श्रद्धा आठों याम करो ।

6   छुटकी सोचे भर पिचकारी,अभी रंग दूँ मैं सबको
     राधा सी मैं बाट जोहती, कृष्ण कहाँ पूछे रब को।

7इन हाथों से छू लूँ इनको,धमा चौकड़ी कर लूं मैं
रंगों की ढेरी मन भाये,   चाट दिखाऊँ मैं लब को ।

8  हम  सब भारत में जन्मे हैं, यही हमारी माता है
    ममता के आंचल ने पाला ,माँ बेटे का नाता है ।

9   वीर शिवा राणा के पथ पर,चलना हमको भाता है
  खून खौल जाता है जब भी दुश्मन आंख उठाता है ।

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