Wednesday 24 July 2019

गीतिका क्रमांक 7

चित्र मंथन समारोह- २६७

~~~~~~~~~~~~~
नन्हीं सी ये राधिका, संग नंद के लाल
पूछे राधा श्याम से,   कैसे हो गोपाल ?

लाई माखन दूर से,    मीठा इसका स्वाद
जल्दी से चख लो जरा,आ जाएंगे ग्वाल।

आ बैठी हूँ पास में  ,देख तुम्हें इस ठौर
मुझे न कोई देख ले , आई घूंघट डाल ।

ओ बंशीधर सुन जरा ,  छेड़ो मीठी तान
तुम मुझको प्यारे लगे,मोर मुकुट है भाल।

सुन्दर तेरा रूप है ,     तू लाखों में एक
मीठी सी मुस्कान है, चुनरी लगे कमाल ।

चाह यही मन मे बसी ,पहनाऊं यह हार
रहूँ देखता मैं तुझे, वन में डेरा डाल ।

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
कोरबा ,छ ग

      तरंगिनी छंद समीक्षा समारोह- पोस्ट  -२६९

जय जय बोलो भारत माँ की, जागी है इसकी संतान
देख फैसला नेताओं का,मन में जागा  है अभिमान ।

   मजा चखाया दुश्मन को है,भागे भागे फिरता आज
सोच देश हित  किया फैसला,डाला संकट में है  प्रान ।

नमन करें उन वीरों को हम ,टूट पड़े बनअरि का काल
करें सफाया जो दुश्मन का ,धन्य देश के वीर  जवान।

   बरसों से धरती पर अपने ,नेता बनकर घूमे व्याल
सर्प यज्ञ करता है मोदी, आफत में है सबकी जान।  

रिसती थी धारा रह रह कर ,ले कर पीड़ा का अम्बार
देश भक्ति बहती रग रग में, करता पल पल वह कुर्बान।

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
कोरबा  ,छ ग
               

No comments:

Post a Comment