मुक्तक-लोक<>तरंगिनी छंद समीक्षा समारोह-२६४
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सरसी छन्द परआधारित गीतिका--
पेड़ कटे जो देते हरदम ,ठंडी ठंडी छांव
तपन भरी गर्मी में राही, पा जाता था ठाँव ।
तपती धरती लू भी चलती, जीव सभी हलकान
सुई पटक है सन्नाटा अब ,कौवा करे न कांव ।
आज खुशी का दिन है देखो, बरस रहे हैं मेघ
बीत गये हैं दिन गर्मी के , मिला खुशी को ठाँव ।
बाधाओं के चाप खींच कर, छोड़ दिया है तीर
जाल बिछाया था दुश्मन ने,विफल हुआ वह दांव ।
बुरे वक्त का किया सामना, कभी न मानी हार
आज खड़ा है फिर से सन्मुख ,वही खुशी का गांव ।
जीवन गुजरे ठाट बाट से ,मन में हो सद्भाव
सोच समझकर कदम उठाना,कांटा चुभे न पांव
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
कोरबा छ ग
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मुक्तक - लोक _ चित्रमन्थन समारोह _264_/3/7/19
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यह दृश्य है चल चित्र का,लेता मन को मोह
सजी संवरी नायिका,प्रिय से हुआ विछोह ।
एकाकी पथ में चली, यह तो खुल्ले पांव
वीरानी सी जगह में, चिड़िया करे न चांव ।
धरे कमर कलसी चली, पग में चुभते शूल
मग में है खतरा यहां, समय नहीं अनुकूल ।
सास ननद तपते रहें, खूब कराते काम
पिया गये परदेश हैं ,किस्मत भी अब वाम।
शोकाकुल विरही नहीं,कहते इसके भाव
सुन्दर सी तस्वीर हो, यह मन की है चाव।
विज्ञापन देती लगे, नहीं सताई नार
कंचन काया मोहिनी,धरे नहीं है भार ।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
कोरबा ,छ ग
मुक्तक लोक समारोह/263/बुधवार/26/6/2019
।। चित्र मंथन समारोह।।
समारोह अध्यक्ष आदरणीया मिलन सिंह जी,संचालक
आदरणीय श्यामल सिन्हा जी,आद.ओम अभिनव जी
आद.त्रिलोचना कौर जी, श्रद्धेय प्रो.विश्वम्भर शुक्ल जी
एवं सम्मान्य मंच को सादर प्रेषित::------
कठिन डगर यह ऊंची नीची ,मंजिल तक है जाना
पथरीले राहों पर बढ़ना, हिम्मत हमे जुटाना।
रपटीली सर्पीली राहें, सजग सदा ही रहना
अनमोल बहुत ये जीवन है,इसको हमें बचाना।
वाहन में हों या हों पैदल, पल पल में है खतरा
जीवन का मंत्र संतुलन है,इसको नहीं भुलाना ।
सहज नहीं है जीवन का पथ ,सोच समझ हम चलते
पाषाणों को काटा हमने, हार नहीं है माना ।
बाधाओं को सदा हराना , यही सीख है पाया
कंटक चुन चुन सीखा हमने, पथ पर फूल खिलाना।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
कोरबा छ ग
मुक्तक लोक समारोह/263/बुधवार/26/6/2019
।। चित्र मंथन समारोह।।
कठिन डगर यह ऊंची नीची ,मंजिल तक है जाना
पथरीले राहों पर बढ़ना, हिम्मत हमे जुटाना।
रपटीली सर्पीली राहें, सजग सदा ही रहना
अनमोल बहुत ये जीवन है,इसको हमें बचाना।
वाहन में हों या हों पैदल, पल पल में है खतरा
जीवन का मंत्र संतुलन है,इसको नहीं भुलाना ।
सहज नहीं है जीवन का पथ ,सोच समझ हम चलते
पाषाणों को काटा हमने, हार नहीं है माना ।
बाधाओं को सदा हराना , यही सीख है पाया
कंटक चुन चुन सीखा हमने, पथ पर फूल खिलाना।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
कोरबा छ ग
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