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डोल रहा है मन मयूर सा ,मीत कुछ गुनगुना दे
अंग अंग मेरे थिरक रहे ,गीत मन का सुना दे ।
नूपुर हुए हैं बागी मेरे , खनकती ये चूड़ियां
बंध तोड़ के बहके चितवन,गीत मन का सुना दे।
देख तुम्हें महकें ये गजरे , प्रिय मधुर आलाप ले
कहते झुमके कानों के हैं, गीत मन का सुना दे।
लाल लाज से हैं कपोल ये,मतवाली है करधन
बाजूबन्द भी अनमनी है, गीत मन का सुना दे
सूर्य झांकता दूर क्षितिज से , आई है पुरवाई
करें मेघ का स्वागत हम,गीत मन का सुना दे।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
कोरबा छ ग
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