Saturday 18 January 2020

मुस्कान पर दोहे


[ कुछ न कुछ दुख हैं सबके, मन में भरे तनाव
खिलता चेहरा देख के,भागे दूर थकान।
अधर मधुर मुस्कान तो,ऊर्जा का भंडार
बिन पैसे का पुण्य ये ,मानो बात सुजान ।

    लालटेन लेकर चली ,     ढूंढे वह नव भोर
   दिशा बदलकर रवि चले,अब उत्तर की ओर।

   तिल तिल कर दिन बढ़ चला,विदा हो रहा शीत
   अपने  बैरी  हो  गये ,     छाया तम घनघोर ।

  देख क्षितिज में  लालिमा , मन में जागी आस
   परिवर्तन का  दौर  है  ,पंछी   करते   शोर  ।

  नारी भी   है   मानवी  ,  कब  समझेंगे  लोग
  मन पतंग बन उड़ चला , थाम आस की डोर ।

   गढ़ना  होगा अब तो ,   एक नया आकाश
     सूरज चांद बनें  हमीं  ,होगा तब नव भोर ।

      डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
 
    : मुख पर लेकर हम चलें, मीठी सी मुस्कान
      अपने इस अंदाज से ,जीतें सकल जहान।

       खुशी बांटना सीख लो ,हँस कर करना काम
         अन्य जीव हँसता नहीं, हंसता है इंसान ।

     कुछ न कुछ दुख हैं सबके, मन में भरे तनाव
          खिलता चेहरा देख के,  भागे दूर थकान।

          अधर मधुर मुस्कान तो,ऊर्जा का भंडार
        बिन पैसे का पुण्य ये ,सुन लो बात सुजान ।

       मुख पर हो मुस्कान तो ,मुख आभा बढ़ जाय
       खुश मिजाज तो आप हैं ,इसकी यह पहचान।
        चन्द्रावती नागेश्वर
प्रदत्त विषय--मधुमास,ऋतुराज,बसंत
     कुसुमाकर आदि

      प्रकृति रानी दिखा रही , अपनी छटा अनूप
      नन्ही बिटिया बन गई  ,   है मन मोहक रूप ।
     मौसम है मधु मास का , स्वागत है ऋतुराज
       देख झूमते बौर हैं ,     खिली सुनहली धूप ।

         झबला पहने पीत है ,    घूमे सरसों खेत
       करता गुन गुन भ्रमर है ,आया साज समेत।
      फूलों का मंडप सजा ,     बजे बधाई खूब
      कोकिल सोहर गा रही , ठुमके हंसिनी श्वेत।

          डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
           रायपुर  ,छ ग
 

No comments:

Post a Comment