[ कुछ न कुछ दुख हैं सबके, मन में भरे तनाव
खिलता चेहरा देख के,भागे दूर थकान।
अधर मधुर मुस्कान तो,ऊर्जा का भंडार
बिन पैसे का पुण्य ये ,मानो बात सुजान ।
लालटेन लेकर चली , ढूंढे वह नव भोर
दिशा बदलकर रवि चले,अब उत्तर की ओर।
तिल तिल कर दिन बढ़ चला,विदा हो रहा शीत
अपने बैरी हो गये , छाया तम घनघोर ।
देख क्षितिज में लालिमा , मन में जागी आस
परिवर्तन का दौर है ,पंछी करते शोर ।
नारी भी है मानवी , कब समझेंगे लोग
मन पतंग बन उड़ चला , थाम आस की डोर ।
गढ़ना होगा अब तो , एक नया आकाश
सूरज चांद बनें हमीं ,होगा तब नव भोर ।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
: मुख पर लेकर हम चलें, मीठी सी मुस्कान
अपने इस अंदाज से ,जीतें सकल जहान।
खुशी बांटना सीख लो ,हँस कर करना काम
अन्य जीव हँसता नहीं, हंसता है इंसान ।
कुछ न कुछ दुख हैं सबके, मन में भरे तनाव
खिलता चेहरा देख के, भागे दूर थकान।
अधर मधुर मुस्कान तो,ऊर्जा का भंडार
बिन पैसे का पुण्य ये ,सुन लो बात सुजान ।
मुख पर हो मुस्कान तो ,मुख आभा बढ़ जाय
खुश मिजाज तो आप हैं ,इसकी यह पहचान।
चन्द्रावती नागेश्वर
प्रदत्त विषय--मधुमास,ऋतुराज,बसंत
कुसुमाकर आदि
प्रकृति रानी दिखा रही , अपनी छटा अनूप
नन्ही बिटिया बन गई , है मन मोहक रूप ।
मौसम है मधु मास का , स्वागत है ऋतुराज
देख झूमते बौर हैं , खिली सुनहली धूप ।
झबला पहने पीत है , घूमे सरसों खेत
करता गुन गुन भ्रमर है ,आया साज समेत।
फूलों का मंडप सजा , बजे बधाई खूब
कोकिल सोहर गा रही , ठुमके हंसिनी श्वेत।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर ,छ ग
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