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चित्र गीत मुक्तक लोक
द्वार खड़ी है व्याकुल बहना, पीहर से आया संदेश
संवदिया है यह पीहर का, भली करे भगवान गणेश.
लगता है कुछ गड़बड़ कोई, किसका आया अंतिम वक्त
घुमड़ रही मन में आशंका, धनी गए मेरे परदेश.
धड़क रहा दिल जोरों से है, मन काबू कर खोला द्वार
सुना तभी - मैं दुख का मारा, भाई तेरा नाम महेश.
मैं अनाथ हूं बचपन से ही, लौट रहा हूं बरसों बाद
मामा मेरे- पिता तुम्हारे, तुम सुगना- जीजा अवधेश.
मामा ने भेजा है मुझको, देकर कपड़े चिट्ठी
संग
करो तैयारी अब चलने की, तीज के दिन है गृह प्रवेश-
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बमलेश्वरी की पावन नगरी मेरी जन्मभूमि और माँ सर्वमंगला की ममतापोषित आँचल की छाया मेरी कर्म भूमि रही है। उन्हें बारम्बार नमन है।
--मां शारदे की कृपा - माता पिता और गुरुजनों केआशीर्वाद से शून्य से शिखर कीओर मेरी जीवनयात्रा
छोटे छोटे कदम बढ़ाते हुए कष्ट कंटकों के बीच से लहरों और तूफानों से लड़ते हुए आगे बढ़ रही है ।
--आप सब का स्नेह,अपनत्व इस पथ का पाथेय बना हुआ है जो मुझे थकने नहीं देता।
--आज से 7 दशक पूर्व बहुत ही साधारण आर्थिक स्थिति वाले लेकिन असाधारण संस्कारों के धनी परिवार में छोटे से कस्बे में स्व. गोकुल प्रसाद स्व. महती बाई
के घर मे मेरा जन्म हुआ था।
--शिक्षा --मिडिल स्कूल तक की
पढ़ाई निर्बाध रही ।नवमी से मेट्रिक तक की पढ़ाई बाधित होती रही ।फिर भी प्रथम श्रेणी मिली ।उसके बाद पढ़ाई बंद कर दी गई ।क्योंकि पढ़ा लिखा लड़का मिलना मुश्किल था।
--पढ़ने की ललक थी- डॉक्टर
बनना चाहती थी
-- सिलाई कर कर
के परीक्षा फीस का जुगाड़ किया प्राइवेट बी ए कर लिया क्योंकि मेरी कुंडली मे मंगल योग था
मंगली वर नहीं मिल रहा था ।
जीवन का टर्निंग प्वाइंट...
सन 1970 से 71 में 3 बार नौकरी लगी पर पिता नहीं भेजे
अंततः नवम्बर 1971 में कन्या शाला मे बडे स्कूल में ज्वाइन
किया।लेखन यात्रा भी
यहीं से शुरू हुई सन 1972 में नवभारत में पहली कहानी छपी। नाम है *वासन्तक *
उसके बाद पीछे मुड़ कर नहीं देखा वासन्तक मेरी पहली प्रकाशित कहानी थी इस बीच मैने
एम ए अर्थशास्त्र किया।
---/सन 1975 में विवाह नागेश्वर जी से इनकी कोरबा में नौकरी
6 साल हम लोग नौकरी के कारण अलग रहे। फिर बच्चे हुए पहला बच्चा नहीं रहा। लेखन छूट गया ।
---ससुराल में बड़ा 7भाईबहन का बड़ा परिवार ढेर सारे बच्चे कमाने वाले सिर्फ हम पति पत्नी । सबके
शादी -ब्याह,बीमारी- हारी ,लेंन-देन । वो भी दिन निकले।
--जिंदगी की गाड़ी पटरी पर आई
दोनो बच्चे पढ़ने लगे ।बहुत ही नम्र ,प्रतिभावान ,समझदार होनहार, मेरा मातृत्व धन्य हो गया।
जब बड़े बेटे का P E T,P M T
C P M T में और छोटे का PE T
के 3 प्रतियोगी परीक्षा में चयन ।
--आज बड़ा बेटा अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के मेडिकल विंग में केंसर स्पेसलिस्ट है।
छोटा बेटा गूगल कम्पनी में केलिफोर्निया में I T सेक्टर में पदस्थ है
--- मैंने पुनः लेखनी थाम लिया। साथ साथ पढाई की टूटी बिखरी कडियों को जोड़ लिया
---38 साल में होमियोपैथी में पत्राचार त्रिवेंद्रम से M H M किया,42 साल में ज्योतिष रत्न,45 साल में M A हिंदी, 50 साल की उम्र में,Ph D, करके अपना सबसे बड़ा सपना पूरा किया।
सन 1992 से1997 तक 5साल लगातार नवभारत के सुरुचि अंक में धाराप्रवाह हर महीने मेरी कहानियाँ,समसामयिक आलेख,
संस्मरण,नाटक ,कविताएं,एकांकी,साक्षात्कार, छपते रहे।
साथ ही साथ यश और अनेक राज्य,राष्ट्र स्तरीय,अंतर-राष्ट्रीय सम्मान भी मिले इन मंचों में मंच संचालन करने,उदघोषक केरूप में लोकप्रियता,और ख्याति मिली।
-आज बड़ा बेटा अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के मेडिकल विभाग में रक्त केंसर विशेषज्ञ है
---38 साल की उम्र में होमियोपैथी में त्रिवेंद्रम से पत्राचार
शिक्षण के माध्यम M H M किया,42 साल में ज्योतिष रत्न,45 साल में M A हिंदी, 50 साल में,Ph D, करके अपना सबसे बड़ा सपना पूरा किया।
सन 1992 से1997 तक 5साल लगातार नवभारत के सुरुचि अंक में धाराप्रवाह हर महीने मेरी कहानियाँ,समसामयिक आलेख,
संस्मरण,नाटक ,कविताएं,एकांकी,साक्षात्कार, छपते रहे।
साथ ही साथ यश और अनेक राज्य,राष्ट्र स्तरीय,अंतर-राष्ट्रीय सम्मान भी मिले इन मंचों में मंच संचालन करने,उदघोषक केरूप में लोकप्रियता,और ख्याति मिली।
प्रकाशित पुस्तकें --/
1 छ ग के लोकाचार की कथाएं
2 अनाम रिश्ता (मलयाली में शिक्षा सचिव के द्वारा अनुवदित)
3 सप्तक खंड 2काव्य संग्रह
4 सफलता के सात सोपान
5पुरान के गोठ
6मेरे आँगन की धूप
7 काव्य त्रिधारा
8दुलारी की वापसी (एकादश एकांकी संग्रह)
9 बूढ़ी दाई के कहिनी
10 ममा दाई के किस्सा( 24 कहानी)
11 जिंदगी की मशाल
12 गियान के जोत
13 वासन्तक (कथा संग्रह)
14 छत्तीसगढ़ी लोक कथाएं
15 आलेख माणिका
16 प्रेमचंद के उपन्यासों में नारी अस्मिता
(350 पेज) का शोध ग्रंथ
17 आधी अधूरी रोशनी
अनेक राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगभग 350 रचनाएं प्रकाशित -
राष्ट्रीय सम्मान ---
1. लोक गौरव सम्मान (उ प्र सुल्तानपुर )
2 .2010 छ ग से रायपुर से लाइफ टाइम अचिवमेंट अवार्ड
3 .भारती भूषण सम्मान (उ प्र इलाहाबाद)
4 . आचार्य श्री सम्मान (बालाघाट म प्र )
5 सूर्य विनय सम्मान छ ग कोरबा
6 कृति रत्न सम्मान (अम्बिकापुर )
7 कविता लोकरत्न सम्मान (हिसार हरियाणा )
8 मित्र सम्मान (उ प्र झांसी)
9 विशिष्ट हिंदी सेवी सम्मान (दिल्ली)
10 प्रेरणा सम्मान कोरबा
11 आदर्श शिक्षिका सम्मान ,कोरबा
12 . 2010 छ ग से रायपुर से लाइफ टाइम
12.विशिष्ट अकादमी सम्मान 2013जालन्धर ( पंजाब
13.दिनकर सम्मान -राष्ट्रीय कवि संगम 2019
14 .इंडियन बेस्टीज अवार्ड ,जयपुर ,राजस्थान,2021
अंतरराष्ट्रीय सम्मान--- 1 श्रीलंका --2012 में मुकुटधर पांडेय सम्मान --
2 मलेशिया 2013 में the blessed juno --award
3 थाईलैंड 2014 में -lady of the age (युग नारी सम्मान)
4 2016 में रूस के पीट्सबर्ग मे-Minerva. Of the East award
5 2018 में मॉरीशस से Pride of India Award
6 हांगकांग मकाऊ से विश्व शिखर सम्मान
अनेक संस्थओं से सम्बद्धता ---
1 संस्थापक एवम अध्यक्ष 2004 से "कृति नारी
साहित्य समिति
2 सचिव आदर्श महिला समिति बालको
3 पूर्व सचिव लायनेस क्लब ,बालको
4 पूर्व सचिव ,छ ग संस्कृत परिषद कोरबा
सम्प्रति - "ए. आई. पी .सी." की अंतराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था एवम अंतरराष्ट्रीय त्रैमासिक पत्रिका " कालजयी" के सम्पादक मंडल में
मध्यप्रदेश एवम छत्तीसगढ़ की प्रभारी ।
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द्वार खड़ी है व्याकुल बहना, पीहर से आया संदेश
संवदिया है यह पीहर का, भली करे भगवान गणेश.
लगता है कुछ गड़बड़ कोई, किसका आया अंतिम वक्त
घुमड़ रही मन में आशंका, धनी गए मेरे परदेश.
धड़क रहा दिल जोरों से है, मन काबू कर खोला द्वार
सुना तभी - मैं दुख का मारा, भाई तेरा नाम महेश.
मैं अनाथ हूं बचपन से ही, लौट रहा हूं बरसों बाद
मामा मेरे- पिता तुम्हारे, तुम सुगना- जीजा अवधेश.
मामा ने भेजा है मुझको, देकर कपड़े चिट्ठी
संग
करो तैयारी अब चलने की, तीज के दिन है गृह प्रवेश.
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डॉ चंद्रावती नागेश्वर sahityik जीवन parichay
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ए अर्थ शास्त्र व हिंदीसाहित्य में पी एच डी
उम्र--70 वर्ष
व्यवसाय -- सेवा निवृत्त व्याख्याता
रुचि ---- लेखन, पठन ,
विधा -गद्य (कहानियां ,संस्मरण,आलेख )
पद्य (अतुकांत एवं तुकांत एवम
छंद बद्ध कविताएं )
[08/07, 18:35] Chandrawati Nageshwar: सन 1992 से1997लगातार नवभारत के सुरुचि अंक में धाराप्रवाह हर महीने मेरी कहानियाँ,समसामयिक आलेख,
संस्मरण,नाटक ,कविताएं,एकांकी,साक्षात्कार, छपते रहे।
साथ ही साथ यश और अनेक राज्य,राष्ट्र स्तरीय,अंतर-राष्ट्रीय सम्मान भी मिले। इन मंचों में मंच संचालन करने,उदघोषक केरूप में लोकप्रियता,और ख्याति मिली
प्रकाशित पुस्तकें -17पुस्तकें --
1 छ ग के लोकाचार की कथाएं
2 अनाम रिश्ता (मलयाली में शिक्षा सचिव के द्वारा अनुवदित)
3 सप्तक खंड 2काव्य संग्रह
4 सफलता के सात सोपान
5पुरान के गोठ
6मेरे आँगन की धूप एकांकी संग्रह)
9 बूढ़ी दाई के कहिनी
10 ममा दाई के किस्सा( 24 कहानी)
11 जिंदगी की मशाल
12 गियान के जोत
13 वासन्तक (कथा संग्रह)
14 छत्तीसगढ़ी लोक कथाएं
15 आलेख माणिका
16 प्रेमचंद के उपन्यासों में नारी अस्मिता (350 पेज) शोध ग्रंथ
17 आधी अधूरी रोशनी
अनेक राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगभग 300 रचनाये प्रकाशित
अंतरराष्ट्रीय सम्मान--- 1 श्रीलंका --2012 में मुकुटधर पांडेय सम्मान
2 मलेशिया 2013 में the blessed juno --award
3थाईलैंड 2014 में -lady of the age (युग नारी )
4- 2015 में रूस का Minarva of the East award
5 मॉरीशस में 2016 काpride of india award
6 - 2017 में हांगकांग विश्व शिखर सम्मान
--***--राज्य व राष्ट्रीय सम्मान में प्रमुख -- 1 . लोक गौरव सम्मान U P
2 भारती भूषण सम्मान U P
3कविता लोक रत्न सम्मान हरियाणा
4साहित्य गौरव सम्मान दिल्ली
4 आचार्य श्री सम्मान M P
5 विशिष्ठ हिंदी सेवी सम्मान दिल्ली
6 लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड 2010 रायपुर
7 दिनकर सम्मान रायपुर राष्ट्रीय कवि संगम 2019
8 कृति रत्न सम्मान अम्बिकापुर
9 आदर्श शिक्षिका सम्मान लायन्स क्लब कोरबा
10 -विद्यासागर सम्मान सन 2012 विक्रमशिला विद्यापीठ उज्जैन
11- भारत गौरव सम्मान सन 2014 में विक्रम शिला विद्यापीठ उज्जैन
12 इंडियन बेस्टीज अवार्ड 2021 जयपुर राजस्थान
-सम्पादन - कृति मंजूषा वार्षिकी की 3 वर्ष तक प्रमुख सम्पादक --- ,1 कृति मंजूषा
2 सद्भावना 3 अनुप्रिया
विशेष ---संस्थापिका कृति नारी साहित्य समिति कोरबा 2004 ,छ ग संस्कृत साहित्य परिषद कोरबा
अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन
A I P C की 20 वर्षों से सक्रिय और सम्माननीय सदस्या ,छ ग और म . प्र . की प्रभारी,
अंतरराष्ट्रीय त्रैमासिक हिंदी पत्रिका * कालजयी * के सम्पादक मंडल की ब्यूरो चीफ
अनेक राष्ट्रीय एवम अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों में काव्यपाठ ,शोध आलेख प्रस्तुति
सम्प्रति - "ए. आई. पी .सी." की अंतराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था एवम अंतरराष्ट्रीय त्रैमासिकपत्रिका " कालजयी" की
मध्यप्रदेश एवम छत्तीसगढ़ की प्रभारी ।
अध्यक्ष कृति नारी साहित्य समिति कोरबा छ ग
पता -हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी खमारडीह, ब्लॉक 6/122 प्रथम तल , कचना रोड,शंकर नगर ,रायपुर कचना रेलवे क्रासिंग के पास
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AIPCian Decade's old Dedicated n Dynamic Dr Chandravati Nageshwar Deedi is here Again in India as our Chhattisgarh n M.P. State In Charge. She has earned a great reverence from our Hon'ble Founder Sir n All the Executives of AIPC. She has been on the envious Board of Editors of International Journal 'Kaljayee' & The Voluminous Book of AIPC 'Ye Jwar Ab Ruke Na'. Most Welcome Deedi again as Dashing Office Bearer of Two States.
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