Thursday, 28 May 2020

गीतिका--क्रमांक -- 1(मुक्तक लोक की )

तरंगिनी छंद समारोह एवं समीक्षा
                               1
बात जरा सी है फिर भी तो,इस पर  गौर जरूरी है
 एक जगह नहीं टिके पर अब ,कोई ठौर जरूरी है।
 मिला नहीं क्यों हमे ठिकाना, आओ मिलकर सोचें तो   
 अगर पेट भरना हो तब तो,मुँह में कौर जरूरी है ।
                                2

खूब हवाई किले बनाये तुम,हाथ रहा पर खाली ही
स्वप्न सुंदरी मिली नहीं फिर ,घर आई देखी भाली ही।
भरोसा बाजुओं पर कर लो,साथ तुम्हें देगी किस्मत
भली सभी को लगे नचनियाँ ,रहे साथ घरवाली ही।
डॉ चंद्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग

शीर्ष पोस्ट-4<>मुक्तक-लोक त्रिशतकीय समारोह-311<>सम्‍मनार्थ<>शब्द-लोक<> मंगलवार, 26.05.2020
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प्रदत्त विषय शब्द- माँ / महतारी / जननी / अम्मा / माता / माई / अंबा

उस बगिया की मालन हो माँ, रंग रंग के जिसमे फूल
तुमने रोपा जीवन मुझमे, पग में तेरे अगणित शूल।
जननी कहकर पूजी जाती, ममता तेरी  है अनमोल
चाहे जितनी बाधा आये ,बाधा को ना दूंगी तूल ।

तेरा कर्ज चुकाऊँ  माता,जीवन लक्ष्य न जाऊं भूल
धन्य हुई माँ पाकर तुझको,रहना तू मेरे अनुकूल।
बनकर वीर प्रसविनी अम्बे,सदा रखूंगी तेरा मान
तन से चाहे जहाँ रहें हम,याद रखेंगे कटे न मूल।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
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कुछ दोहे ....चन्द्रावती वानप्रस्थी की कलम से--
दस्यु चोर डकैत सभी,लूटें सबका चैन
लूटें नेता मौज में, चाहे दिन या रैन ।

जेठ महीना तप रहा ,गर्मी है विकराल
कोरोना सुन लो जरा,नहीं गलेगी दाल।

डूब रही है नाव तब, लगा रहे चौपाल,
नोच रहें है केश अब,चलते उल्टीचाल।

जब आता भूकम्प तो,हा हा कार मचाय
भू के हिय की खलबली, कोई जान न पाय।

नव तपा की आहट से,लोग हुए बेहाल
सूरज आंख तरेरता ,दुश्मन करे बवाल।
चन्द्रावती वानप्रस्थी
रायपुर

-मुक्तक लोक 314,चित्र मंथन,बुधवार/17.6.2020
अध्यक्ष आद यशोधरासिंह जी,संचा आद श्यामल जी सिन्हा,आद सुधा अहलूवालिया जी,आद श्यामराव धर्मपुरीकर जी ,संरक्षक आद विश्वंभर जी शुक्ल तथा मंच को सादर ----
    
  चालबाज है चीन बहुत,धोखे में ना आना है
मीठी मीठी कर बातें  ,इसको तो भरमाना। है।

हाथ बढ़ाता बनकर मित्र ,मक्खन यही लगाता है
काम निकाले झूठ बोलकर , इसे भूल ना जाना है।

सावधान  हमको रहना है,पग धरना है फूंक फूंक 
  घोल चाशनी का रखकर, चाहे हमे लुभाना है ।

झूठों का सरताज बना , कोरोना का बाप यही
अन्य देश की भूमि हड़प,मकसद रौब जमाना है

आस्तीन का सांप यही ,संग नेवला ले जाएं
लिए तिरंगा ड्रेगन को,जल्दी ही निपटाना है ।

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
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Chandrawati Nageshwar: बारिश के मौसम में सर्पों का भय सताता है तो कुछ विचार मन में दोहे बनकर उतरने लगे ---

शांत सदा रहते विष्णु ,रह विषधर के साथ
नमन जगत के ईश को, वही जगत के नाथ।

यमुना के जल में रहें ,   सर्प कालिया नाग
कान्हा जिनके शीश चढ़, मधुर बजाते राग।

बड़े विषैले सर्प जो,    शिव जी  के गलहार
पूजे जाते देव सम ,     होती जय जयकार ।

नाग राज ही शीश पर ,  धरें धरा  का भार
बढ़े बोझ  जब पाप का , करते हैं फुंफकार।

सिर पर नाचे कलयुग जब ,हृदय वासना कीच
मन विचार है विष सना ,मनुज हो गए नीच ।

लोभ के विष दन्त उगे ,लोपित ज्ञान प्रकाश
अपनों को ही दंश दें ,  करते महा विनाश ।

आस्तीन में पल रहे ,      जहर उगलते नाग 
साव धान अब हम रहें ,स्वच्छ रखे मन बाग ।

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
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लोकगीत पर आधारित गीत........
राधा की छवि----
2राधा की  छवि देख मचल गए साँवरिया----
नृत्य करे दिल खोल कमलदल पांवरिया ---.--
वेणु बजावत यमुना तट पर मोहनवा
डूब रहे  इक दूजे के मन बावरिया  .....

वृन्दावन। में  कृष्ण  बजाएँ  बाँसुरिया 
भरन चली जल पनघट पर धर गागरिया
भूल चली सुध राधा रानी  तन मन की
लाल  रंग  की चूनर पीली घाघरिया.....

छिटक रही है धवल चन्द्र की  चाँदनियाँ 
बाज रही वृष भानु सुता की  पैंजनियां
नाच नचायें   मन  मुसकायें   नटवर नागर
रास  रचावत कान्हा  नाचें   ग्वालनियाँ....

डॉ चंद्रावती नागेश्वर
10  ,6  ,2020 

सुप्रभात  :---

नमन करें हम सूर्य को,पुलकित भू आकाश

कर लें स्वागत सूर्य का,कण कण भरे प्रकाश ।

शुभ स्वागत नव सूर्य का,बोलें हम सुप्रभात

शुभ स्वागत तव आगतम,कहें सभी सुप्रभात ।


बैठ गोद  में सूर्य के  ,आया नवल  प्रभात

स्वागत सब उसका करें, कहें सभी सुप्रभात ।

प्राची पहने है खड़ी,  सुखद लाल परिधान

पीत वस्त्र में सूर्य हैं,        करते ऊर्जा दान।


बैठ गोद  में सूर्य के  ,  आया नवल  प्रभात

स्वागत सब उसका करें,  कहें सभी सुप्रभात ।

डॉ च नागेश्वर

7    ,7  ,2020

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पहेली,कूट प्रश्न,प्रश्नदूती,प्रहेलिका ,जनिका

उजला उजला रंग है,   दिनकर की पहिचान

श्याम वर्ण क्यों पुत्र का,    कूट प्रश्न 

यह जान ।

                          2



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