लघुकथा समारोह- 14 (द्वितीय)
आदरणीय संचालक महोदय सम्माननीय मंच ,प्रिय मित्रों
समीक्षा हेतु लघुकथा प्रस्तुत है .समीक्षार्थ
* छद्म वेश धारी दुश्मन *
साहिल और आर्यन दोनो पक्के मित्र हैं ।दोनों ही बड़े चुलबुले और शरारती हैं ।एक ही स्कूल के एक ही क्लास में पढ़ते हैं ।लॉक डाउन के कारण मम्मी पापा घर के बाहर जाने नहीं देते । दस बीस मिनट के लिए मम्मी या पापा की नजर बचा कर बाहर ये भाग ही जाते हैं। अपने दरवाजे के सामने या छत पर बैडमिंटन ,सांप सीढ़ी, लूडो खेलते साइकिल चलाते हैं।
ऐसे ही कल साहिल अपनी छोटी साइकिल चला रहा था उसी समय कंधे पर दो झोला टांगे एक फेरी वाला बच्चों के लिए रंग बिरंगे फुटबाल ,रैकेट,चिड़िया, गुड़िया,मोटर
पिट्टूल बहुत ही सस्ते दाम में बेचने आया जो खिलौने देखने आता उसे किटकैट, टॉफी मुफ्त में देता । आसपास के कई छोटी बच्चे भाग कर फेरीवाले के पास आकर खड़े हो गए। रोहित दो रैकेट लेने की जिद करने लगा ।उसकी दीदी प्रिया को कुछ सन्देह हुआ ।उसने सुमित भैया से सुना था कि ---शहर में छद्मवेश धारी कोरोना प्रसारक सब्जी,फल, ,खजूर, ब्रेड,टोस्ट लेकर, सस्ते में बेच रहे हैं इनसे कोई सामान न खरीदें । कबाड़ीवालों से भी सावधान रहिए । बच्चों को घर से बाहर न निकलने दें ।
पापा को दिखाने बॉल लेकर साहिल घर मे तेजी से दौड़ता हुआ आया ।उसके पास 2 मिल्क चाकलेट था उसकी बड़ी बहन तान्या ने तुरंत 100 नम्बर डायल कर पुलिस को इस फेरी वाले कीसूचना दी। आनन फानन में पुलिस आ गई। फेरी वाला बेग छोड भागने लगा ।पुलिस दौड़ा कर उसे पकड कर ले गई ।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
राय पुर छ ग
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लघुकथा समारोह 14-- ( प्रथम )
आदरणीय संचालक महोदय ,सम्माननीय मंच एवम स्नेही मित्रों प्रस्तुत है मेरी लघु कथा ---
शीर्षक -- अच्छे काम की शुरुआत
सी टी चैनल के प्रमुख श्री गिरीश श्रीवास्तव लॉक डाउन अवधि में ही अपने आसपास रहने वालों को फोन कर
ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन रखा । कहा - साथियों
कोरोना की महामारी का विश्वव्यापी कहर , लॉक डाउन ही इससे बचाव का एकमात्र उपाय, काम बंद,दुकाने बंद
सोशल डिस्टेंस का पालन भी जरूरी है । इस समय में
स्लम एरिया ,दिहाड़ी मजदूर ,प्रवासी मजदूरों के लिए
ऑटो ,रिक्शा चालकों,फुटपाथ पर रहनेवालों, की संख्या में दिनोदिन बढ़ोतरी हो रही इनके लिए भोजन की व्यवस्था विकट समस्या बन गयी है ।
सरकार अपनी तरफ से बहुत कुछ कर रही है
छोटी छोटी आहुतियों से महायज्ञ सम्पन्न होता है
हम सबको अपने अपने स्तर पर इस राष्ट्रीय संकट के समय कुछ नकुछ योगदान देना है
क्या और कितना सहयोग हम कर सकते हैं कृपया
बताएं ....
श्रीमती वीणा रिटायर्ड शिक्षिका ने कहा -- मैं प्रति दिन पाँच लोगों के लिए रोटी और सब्जी बना कर दूँगी मेरे घर के पास थाना है कोई पुलिस वाले ले जायें तो मैं आभारी रहूंगी ।
सरला जी एकाकी रहती हैं, खुद का घर है बच्चे महानगरों में रहते है ।माँ के लिए दस हजार भेज देते है , उन्होंने कहा -- पांच लोगों के लिए रोज खिचड़ी मै बना कर रखूंगी। आप मेरे घर से ले जाने की व्यवस्था कीजिये ।
सुधा जी नेकहा-- मेरे पास हाथ मशीन है मेरे पास दर्जनों सूती साड़ियां है उनके मास्क बना कर सेनिटाइज
करके बंडल बना कर 3 -3 दिन में रखूंगी उसे गरीब बस्ती में भिजवा दीजिए ।
इसी तरह अत्यंत साधारण मध्यमवर्गीय परिवार के लोगों ने दाल ,चावल, तेल,साबुन वाशिंग पावडर देने कहा ।
मैथ्स, फिजिक्स,इंग्लिश के कोचिंग सेंटर चलाने वाले शशांक पांडे,भुवन वर्मा ,रूमा घोष ने कहा- हम निःशुल्क
1 -1 घण्टे की सुबह 9से 10 ,10 से 11 शाम को 4 से 5 बजे तक-10 वी और 12वी के बच्चों को कोचिंग देंगे
इस तरह बड़े उत्साह से एक अच्छे काम शुरूआतहुई।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
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( 3 )
लघुकथा समारोह 13 ( द्वितीय)
सम्माननीय संचालक महोदय एवम स्नेही मित्रों समीक्षा हेतु प्रस्तुत है मेरी लघु कथा ......
* बून्द बून्द सुख *
अपने घरवालों की इच्छा के विरुद्ध सुजाता ने अपने अजय से प्रेम विवाह कर लिया ।ससुराल में उसके सास ससुर ओर देवर रहते हैं।अजय बुकिंग में गाड़ी चलाता है ।वह अधिकतर बाहर टूर पर जाता रहता है ।विवाह के शुरुआत में सब ठीक ठाक रहा। वह तीन बेटों की माँ बन गई ।
अजय की कमाई भी अच्छी होने लगी उसे मदिरा
पान की लत लग गई ।आये दिन सुजाता से लड़ाई झगडा मारपीट करता रहता । देवर की सलाह से सुजाता प्रधानमंत्री कौशल योजना केंद्र में सिलाई सीखने लगी।ताकि घर की आय वृद्धि में सहयोग कर सके। देवर अपनी साइकिल में बैठा कर सिलाई केंद्र लाना ले जाना कर दिया करता । यहीं से अजय के मन में सन्देह का कीड़ा कुलबुलाने लगा । एक रात अजय ने मारपीट कर सुजाता को घर से निकाल दिया ।तीनो बच्चों को भी छीन लिया । सुजाता अपनी बहन के घर चली गई। अजय किसी के समझाने पर नहीं माना ।
सुजाता सिलाई केंद्र में ही काम करने लगी । उसकी सास का स्वर्गवास हो गया। पति बीमार पड़ गया । आय का स्रोत बंद हो गया।अंततः अजय सुजाता के पास जाकर रोने - गिड़गिड़ाने लगा ।माफी मांगने लगा । सुजाता ने दूसरे दिन सामाजिक बैठक बुलवाया जिसमे पंच ,सरपंचउसके ससुर ,देवर को भी बुलाया । उनके सामने अजय से कहा -- अब जो कहना है कहो --अजय ने हाथ जोड़ कर कहा -- सुजाता तुम निर्दोष हो । मेरी ही संगति गलत थी ,दोस्तों के बहकावे में आ गया था ।मेरा भाई भी निर्दोष है । भगवान ने इसका दंड मुझे दे दिया है । मुझे एड्स की बीमारी हो गई है । मैं जीना चाहता हूं ।शायद तेरी सेवा से बच जाऊं ।कह कर रोने लगा । सुजाता ने कहा -- मुझे अपने जीवन के वो कठिन 16 वर्ष की कीमत दे सकोगे ? निर्दोष होते हुए भी मैने
लोगों की हिकारत झेली,भूखी प्यासी रहकर दिन गुजारा
आज नहीं तो कल तुम्हें अपनी गलती का एहसास होगा
मेरे रहते बच्चे अनाथों की तरह पले और मैं-----
मैं तुम्हारी तरह निर्दयी, और शक्की नही हूँ ।अकेलेपन का दर्द समझती हूं। अब बच्चों और परिवार के साथ रहना चाहती हूँ ।बून्द बून्द सुख को सहेजना है मुझे....
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
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लघुकथा समारोह 16 ( द्वितीय )
आदरणीय संचालक महोदय,
सम्मान्य मंच ,स्नेही मित्रों ...
शीर्षक --* मेरा सुनहरा भविष्य *
माँ फोन पर तुम्हारी एक ही रट होती है । शादी करले .... बहुत सेरिश्ते आ रहे हैं। तू कब घर आ रहा है ?मुम्बई जैसी जगह में मुझे सैटल होने में वक्त तो चाहिए न...
-- हाँ तू सही है पर दो साल हो गए । ऐसी कैसी कम्पनी है कि बीमार बाप को देखने दो दिन की छुट्टी
भी नही दे सकती।
कल ही डॉक्टर कह रहे थे ,कि इनके पास अधिक समय नहीं है...रतनपुर छोटी सी जगह है , बेटा हमे भी अपने साथ ले चल।मुंबई में तो बड़े-बड़े डॉकटर हैं वहाँ इलाज करा के देख शायद ठीक हो जावें ...इस बुढ़ापे में अकेले कहाँ कहाँ दौड़ लगाऊं ? घर भी तो गिरवी में है।
-- अच्छा ठीक है जल्दी ही कुछ करता हूँ । सप्ताहांत में ..छुट्टी मिल जायेगी ।ऐसा बॉस कह रहे थे।
ये सुनकर कैंसर ग्रस्त वृद्ध पिता के चेहरे में खुशियां चमक उठी। माँ के थके पके शरीर में नई स्फूर्ति कासंचार होने लगा । घर की नए सिरे से सफाई की अस्त व्यस्त कमरे दुल्हन की तरह सज उठे । बेटे की पसंद के व्यंजन,मिठाई फल ,सब्जियां मंगाई गई ।
शनिवार की शाम तक बेटा इच्छित अपनी प्रेयसी हर्षिता के साथ आया । भोजन के बाद बताया -- माँ हम परसों सुबह हम वापस चले जायेंगे 12 बजे की हमारी हमारी फ़्लाइट है ।
ये तुम्हारी होने वाली बहू है । मेरा और हर्षिता को हमारी कम्पनी न्यूजरसी के प्रोजेक्ट के लिए सेलेक्शन कर लिया है ।
--बेटा इतनी जल्दी वा...प...स ।
पा..पा.. की त..बि..य..त..
-- माँ वो तो ठीक होने से रहे। पैसे चिंता मत करो। मैं पैसे
भेज दूंगा । (माँ समझ गई कि बेटा सब कुछ तय करके आया है। जिद्दी है , कुछ नही सुनेगा ) कुछ सोच कर बोली ...अरे कल का समय है कम से कम कुछ लोगों को बुलाकर सादगी से अंगूठी रस्म तो कर लो ।आज कल सब रेडिमेड मिल जाता है। थोड़ी देर के लिए ही सही पापा अपनी शारीरिक पीड़ा को भुलाकर अपने इकलौते बेटे की शादी की कल्पना में ख़ुशी के कुछ पल जी लेंगे। तुम दोनों को आशीषों का कवच मिल जाएगा ।
-- माँ मेरी बात ध्यान से सुनो और समझने की भी तो कोशिश करो।
मैं ये सब ढकोसले नहीं करूंगा। तुम समझती क्यों नहीं ?
हर्षिता और उसकी फेमिली वालों के भी हमारी शादी को लेकर कई अरमान हैं
"पापा और तुम मेरा गुजरा हुआ अतीत हो --- हर्षिता मेरा सुनहरा भविष्य है ...
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डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
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