शीर्षक --परिक्रमा.
मेरी 12वीं बोर्ड परीक्षा पास आरही है ।मैं पढ़ना तो चाहती हूं, अपने घर केपास की मस्जिद से सुबह
से शाम तक हर 2 घण्टे में अज़ान की आवाज आती रहती है ।शादी ब्याह का सीजन है मोहल्ले में 'राज श्री
पैलेस ' है जंहा आये दिन शादी ,पार्टियां चलती है लाऊड स्पीकर पर डीजे ,गाना बजता रहता है।अपने घर के पास
जो छोटा सा मैदान है सुबह -शाम छोटे बच्चे क्रिकेट खेलते हुए बहुत शोर मचाते रहते हैं। बता भाई ऐसे में कोई कैसे अच्छी तैयारी कर पायेगा ?
अपने बड़े भैया हिमांशु से पूजा बता रही है ।
हिमांशु उसे समझाते हुए कहा- मेरी बहना एग्जाम की तैयारी कर रही है ,यह सोचकर न अजान बंद हो सकता है, न बच्चों का शोर मचाना ।इन सब के बीच ही उसी घर में रहते हुये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करके अपनी मंजिल तक पहुंचा हूँ न....तुम्हे भी पढ़ने का टाइम ऐडजस्ट करना है ।
दादा जी बैठक में अखबार पढ़ते हुए दोनो भी बहन की बात सुनते रहे । उन्होंने बहू को कहा-आज शाम तुलसी में तुम दीपक मत जलाना ।ये काम आज पूजा को करने दो ।
सूर्यास्त के समय दादाजी ने पूजा बुलाकर बड़े प्यार से कहा -बेटा आज सोमवती अमावस्या है ।तुम्हारी मम्मी
किचन के काम में व्यस्त है ।तुम हाथ मुंह धोकर आओ,
मैं दीप बाती तैयार कर देता हूँ
'ॐ नमः सोमाय ' मंत्र बोलते हुये इसे तुलसीचौरा की पांच परिक्रमा करके प्रणाम कर तुलसी जी के नीचे रखकर प्रणाम करना है।तुमसे हो पायेगा या नहीं बता दो। हां हो जाएगा कहते हुए .......पूजा दादा जी लाइए दीपक । दादाजी ने कहा -- देखो सावधानी से परिक्रमा करना। दीपक तेल से पूरा भरा है । छलकना औरबुझना नहीं चाहिये ।वह दीपक लेकर आंगन की तरफ चली ।
उस छोटे से जगह की परिक्रमा पूरी करने में काफी समय लग गया ।इस काम को जितना आसान समझ रही थी ।
उतना था नहीं ।
परिक्रमा के बाद दादा जी को प्रणाम किया तो उन्होंने पूजा से पूछा -तुम परिक्रमा कर रही थी तब डीजे में
कौन सा गाना बज रहा था ?
पता नहीँ ...
क्रिकेट खेलने वाले बच्चे तो खूब शोर मचा रहे थे न...
नहीं मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दिया ।मेरा पूरा ध्यान तो
तेल कहीं छलक न जाये इसी में लगा था ....
बेटा इसी तरह पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगाना है .........
. डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर , छ ग
9425584403
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(2)
लघुकथा समारोह 15 /द्वतीय
मंच एवम स्नेही मित्रों --
लघुकथा -शीर्षक *टर्निंग प्वाइंट *
राहुल आज ही नई कार लेकर रायपुर से अपने गृह नगर अनूपपुर पहुंचा ।नाश्ता करते समय उसकी नजर टेबल पर पड़े तूलिका के शादी के कार्ड पर पड़ गई । दिल मे एक धक्का सा लगा। शाम को मार्केट से गिफ्ट लेकर एक सहपाठी मित्र के साथ तूलिका के घर पहुंचा ।तूलिका को उनके आने की सूचना मिल गई थी ।उसने चहक कर दोनो का स्वागत किया --वाव राहुल ...
तुम तो एकदम बदल गए हो।विनोद और तुम उपर आओ टेरिस में बैठ कर बातें करेंगे ।
राहुल --तूलिका तुम्हें बहुत बहुत बधाई । मैं तो तुम्हें थैंक्स देने आया हूँ ।
तूलिका - मुझे थैंक्स ?किस बात का ...
राहुल --तुली ...मैं सच कहता हूं आज मैं जो भी हूँ तुम्हारी बदौलत हूँ ।
तुली --तुम क्या बोल रहे हो ? मैं कुछ समझी नही।
राहुल --याद करो उस दिन को ,जब मंदिर में मैंने तुमसे
अपने प्यार का इजहार किया था , और गुस्से में तमतमाते हुए बड़ी हिकारत से मुझे कहा था -अपनी हैसियत देखी है कभी ? पढ़ने में फिसड्डी, न बोलने का
सउर ,न रहने का ढंग ,बस दादागिरी करते फिरते हो ।
चले आये मजनू बनकर ।
विनोद तो मूक दर्शक बना कभी राहुल को कभी तुली को देखता रह गया।
राहुल -- तब से मैंने ठान लिया कि अब तो जिंदगी में कुछ बनकर ही इस शहर में लौटूंगा । मैंने खूब मेहनत से पढ़ाई की,नेटवर्क बिज़नेस से खूब पैसा कमाया । तुम्हारे वो हिकारत भरे बोल ही मेरी जिंदगी के लिये टर्निंग प्वाइंट था ।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
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( 3)
लघुकथा समारोह- 14 (द्वितीय)
समीक्षा हेतु लघुकथा प्रस्तुत है ....
* छद्म वेश धारी दुश्मन *
साहिल और आर्यन दोनो पक्के मित्र हैं ।दोनों ही बड़े चुलबुले और शरारती हैं ।एक ही स्कूल के एक ही क्लास में पढ़ते हैं ।लॉक डाउन के कारण मम्मी पापा घर के बाहर जाने नहीं देते । दस बीस मिनट के लिए मम्मी या पापा की नजर बचा कर बाहर ये भाग ही जाते हैं। अपने दरवाजे के सामने या छत पर बैडमिंटन ,सांप सीढ़ी, लूडो खेलते साइकिल चलाते हैं।
ऐसे ही कल साहिल अपनी छोटी साइकिल चला रहा था उसी समय कंधे पर दो झोला टांगे एक फेरी वाला बच्चों के लिए रंग बिरंगे फुटबाल ,रैकेट,चिड़िया, गुड़िया,मोटर
पिट्टूल बहुत ही सस्ते दाम में बेचने आया जो खिलौने देखने आता उसे किटकैट, टॉफी मुफ्त में देता । आसपास के कई छोटी बच्चे भाग कर फेरीवाले के पास आकर खड़े हो गए। रोहित दो रैकेट लेने की जिद करने लगा ।उसकी दीदी प्रिया को कुछ सन्देह हुआ ।उसने सुमित भैया से सुना था कि ---शहर में छद्मवेश धारी कोरोना प्रसारक सब्जी,फल, ,खजूर, ब्रेड,टोस्ट लेकर, सस्ते में बेच रहे हैं इनसे कोई सामान न खरीदें । कबाड़ीवालों से भी सावधान रहिए । बच्चों को घर से बाहर न निकलने दें ।
पापा को दिखाने बॉल लेकर साहिल घर मे तेजी से दौड़ता हुआ आया ।उसके पास 2 मिल्क चाकलेट था उसकी बड़ी बहन तान्या ने तुरंत 100 नम्बर डायल कर पुलिस को इस फेरी वाले कीसूचना दी। आनन फानन में पुलिस आ गई। फेरी वाला बेग छोड भागने लगा ।पुलिस दौड़ा कर उसे पकड कर ले गई ।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
राय पुर छ ग
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(4)
लघुकथा समारोह -- 15 ( प्रथम )
आदरणीय संचालक महोदय,सम्माननीय मंच एवम कथाप्रेमी मित्रों ......
लघुकथा शीर्षक *आत्मविश्वासी नीरा *
-मालकिन मेरी परीक्षा है ,एक सप्ताह की छुट्टी चाहिए
---मेरे घर मेहमान आने वाले हैं,तुम नहीं आई ,तो तुम्हारी
-- हमेशा के लिए छुट्टी .....
क्या करेगी पढ़ लिखकर ? क्लेक्टरनी तो नहीं बन जायेगी ....
घर मे दो जून का खाना तो मिल नहीं पाता बड़ी आई पढ़ाई करने वाली ।
-- मालकिन मेरी छोटी बहन को बर्तन पोछा के लिए
भेज दूँगी ।
--- नहीं ---नहीं , उसके काम में ढंग नहीं है ...
नीरा सच मे क्लेक्टर ही बनना चाहती है ।इस मालकिन के घर को छोड़ना नहीं चाहती है।क्योंकि
मालकिन की बेटी सौम्या दी P S C की तैयारी कर रही है। उनके कमरे की सफाई में पुराने एडीशन की किताबें
रद्दी में बेचने निकलवा देती हैं जिसे वह रद्दी वाले से खरीद कर अपने घर ले जाती है ।
सौम्या दी इंदौर से कोचिंग भी कर आई है अब घर पर ही पढ़ाई करती हैं। पढ़ते पढ़ते बोर हो कर मूवी देख लेती हैं, दोस्तों के साथ सैर पर निकल जाती हैं, पार्टियों भी करवाती रहतीं है ।
नीरा के पास तो बस अपनी लगन मेहनत और आत्मबल का ही सहारा है । उसके पास तो किताब खरीदने के लिये भी पैसे नहीं है ,परीक्षा फॉर्म भरने और ऊपर के खर्चे के लिए उसे दो घर काम करने जाना पड़ता है ,उसके पिता
एक प्राइवेट स्कूल के चौकीदार हैं। स्कूल अहाते में ही एक छोटी सी कोठरी है ,जिसमे पांच लोग हाथ पांव सिकोड़कर,आड़े तिरछे हो कर बड़ी मुश्किल से सो पाते हैं। ऐसी परिस्थिति में नीरा बड़े अभावों के बीच बी ए तक की पढ़ाई प्रथम श्रेणी में पास की है। अब दिन में काम पर जाती है और रात में 6 से 8 घण्टे पढ़ाई करती है ।
उसकी मेहनत रंग लाई । P s c की मुख्य परीक्षा में भी वह चयनित हो गई । साक्षात्कार में भी
पूरे आत्म विश्वास से प्रश्नों का उत्तर दिया ।
अंततः छात्रावास अधीक्षिका के पद पर उसे नियुक्ति मिल गई ।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
राय पुर छ ग
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