Monday 22 June 2020

दोहेसंकलन ---- सुप्रभात -शुभ विहान ,,पावस गीत ।सावन झूम के,नारी पर दोहे, जन्मदिवस,वस्त्र,राम जन्म भूमि पर दोहे,

नमन करें हम सूर्य को,पुलकित भू आकाश
कर लें स्वागत सूर्य का,कण कण भरे प्रकाश।
सूर्यदेव से ऊर्जा लेकर ,आया नवल प्रभात
झूम उठे हैं तरुवर सारे,पुलक भरे हैं पात।
फूल खिले भँवरें मुस्काऐं ,गाते स्वागत गान
उजली किरणें ले कर आई,खुशियों की
सौगात।
चंद्रावती नागेश्वर

छुप गये झिलमिल तारे उषा ने खिड़की खोली 
चुपके  चुपके चपल सूर्य ने पलकें खोली 
रंग रंग के  फूलों ने सजाया स्वागत द्वार 
उपवन में गूंजी चिड़ियों की मीठी बोली 
 डा च नागेश्वर




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घर की जो मेरी रौनक,नायरा का जन्म दिन  है
   उजालों  की दीप है वो, नायरा का जन्म दिन है। 
आई है दर पे  मेरे ,चाँद सितारों के नगर से 
गोदी में मेरे आई, नायरा का जन्मदर्द  दिन है ।
 हौले से जगाए हमे ,गुनगुना के प्यार से  जो
उत्सव है आज दुलारी ,नायरा का जन्म दिन है ।
लाई बरसात ख़ुशी की , झूम झूम नाचती परी , 
कुनबे की चाहत है जो ,नायरा का जन्म दिन है ।
आनंद भरे जीवन मे,  बसन्त की बहार  सी सदा
बागों की मेरी कोयल  ,नायरा aकाe जन्म दिन है ।
 हमे पल पल लुभाये जो,चंद्र सूरज की आभा है
बुजुर्गों के दुआओं की  हिफाजत का जन्मदिन है

 प्रथम जन्म दिवस पर अनंत आशीषों के साथ दादी 
10 ,3, 2021
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छुप गये झिलमिल तारे उषा ने खिड़की खोली 
चुपके  चुपके चपल सूर्य ने पलकें खोली 
रंग रंग के  फूलों ने सजाया स्वागत द्वार 
उपवन में गूंजी चिड़ियों की मीठी बोली 

            डा च नागेश्वर

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नमन करें हम सूर्य को,पुलकित भू आकाश
कर लें स्वागत सूर्य का,कण कण भरे
प्रकाश।
शुभ स्वागत नव सूर्य का,बोलें हम सुप्रभात
शुभ स्वागत तव आगतम,कहो सब सुप्रभात।
डॉ च नागेश्वर

[03/07, 1:36 pm] चन्द्रावती 
 बरसें बादल झूम के,भीगा हुआ प्रभात
आज खिला दिल फूल सा, बोल भई 
सुप्रभात।

 रिमझिम बारिश हो तभी,औचक निकले धूप,
इन्द्रधनुष का मोहता, है सतरंगी रूप।

डॉ च नागेश्वर
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चित्र मंथन समारोह - 346


लोकतंत्र पर वार ये ,बनकर करें किसान
आन देश की दांव पर , ये  जुल्मी शैतान।

गीत प्रीत संगीत तो ,समझे मानव जात
दानव के वंशज सभी,छिपकर करते घात ।

देश प्रगति की राह पर,कैसे आये रास
देश घात का लक्ष्य ले,सबको देते त्रास।

चक्र चले अब अंत हो,क्षम्य नहीं अपराध
शंख नाद जन जन करें , हो पूरी अब साध।

 डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
 रायपुर छ .ग.
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प्रातः वंदन आपको,दिन हो शुभ यह आज
संग रहे प्रतिपल खुशी,हो पूरण सब काज

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[10/07, 2020] Chandrawati 
आशीषों का दरिया बहता,जन्मदिवस में आज
बनें सार्थक जन्म तुम्हारा,खूब करो शुभ काज।
मिले सभी का नेह हमेशा,मुख पर हो मुस्कान
बार बार  दिन ये आएगें ,गूंज रही आवाज

 लोक सदन के मंच को,  देते है आधार
भाव है माधुर्य भरा ,   लेखन में है धार 
मंगलमय हो जन्म दिवस,प्रिय सबके घन श्याम
दीर्घ आयु की कामना, खुशियाँ मिले अपार।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
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शुभ मंगल मंगल मंगल हो
दिन मंगल हो निशि  मंगल हो।
धरती का कण कण मंगल हो
रवि मंगल हो शशि मंगल हो।
अवनी अम्बर सब मंगल हो
जीवन का पल पल मंगल हो ।
मौसम का रूप सुमंगल हो 
रिश्तों के धागे मंगल हो ।
नभ के तारे सब मंगल हों
नदिया पर्वत सब मंगल हो ।

  मंगलमय हो दिवस सब ,मंगलमय सुप्रभात
   करें सुकर्म सदा सभी  ,  मंगल मय हो रात।
 
च नागेश्वर
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[03/07, 1:36 pm] Chandrawati Nageshwar: बरसें बादल झूम के,भीगा हुआ प्रभात
आज खिला दिल फूल सा, बोल भई 
सुप्रभात।

 रिमझिम बारिश हो तभी,औचक निकले धूप,
इन्द्रधनुष का मोहता, है सतरंगी रूप।


सूर्यदेव से ऊर्जा लेकर ,आया नवल प्रभात
झूम उठे हैं तरुवर सारे,पुलक भरे हैं पात।
फूल खिले भँवरें मुस्काऐं ,गाते स्वागत गान
उजली किरणें ले कर आई,खुशियों की सौगात।
डॉ च नागेश्वर
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सूरज निकल कांपते ,  इतनी शीत प्रचंड
ओढ़े चादर ढूंढ की ,     करे शरारत ठंड ।
तेज चाल से सूर्य भी , सरपट भागे जाय
लोग सभी सिमटे रहें , मौसम हुआ उद्दंड।
डॉ च नागेश्वर

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डगर डगर शहर शहर ,चल पड़ी ये लेखनी ,,,,,,
,दिलों को जोडती ,जातिधर्म की दीवार तोडती .
 प्रीत का संदेश दे रही है  लेखनी  ........
हम कहाँ तुम कहाँ आ मिले हैं एक राह पर 
साथ सबको ले के जा रही है  लेखनी ...........
भावना की धार है ,शब्दों की नाव है 
पतवार बनके  पार ये लगा रही है लेखनी .......
भोर में विभोर कर ,यामिनी में स्वप्न बन 
मन में चाहतें जगा रही है लेखनी ......
.गीत गजल काव्य के लोक में पांखियों सी 
चहचहाती जा रही है लेखनी .......
डा चन्द्रावती नागेश्वर [ कनाडा ]
देश भक्ति ---( 1)

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डा चन्द्रावती नागेश्वर [ कनाडा ]
भारत भू पर जन्म मिला है,आभार करें हम रब का
शीश चढ़ाकर बेटा तुमने  ,मान बढ़ाया हम सबका।

सीमा पर उत्पात मचाये , उन सबको मजा चखाया
शूर वीर  हो तुम  धरती के ,मान बढ़ाया हम सबका ।

लिए तिरंगा बढ़ते आगे , मन मे कोई ख़ौफ़ नहीं
मातृ भूमि के राज दुलारे , मान बढ़ाया हम सबका।

वीर सिपाही तुम्हें नमन है , मार भगाया दुश्मन को
प्राण गंवाया  हंसते हंसते,  मान बढ़ाया हम सबका

 च नागेश्वर
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बरसे मेघा
। विभोर।


चढ़ा कर भाल ( शीश ) हम अपना ,मरण उत्सव कहा 
करते।........

रक्त चंदन चढ़ाया है   , सजाया भाल को माँ के
 रहे अभिमान से ऊंचा।  ,यही हम कामना करते ।.......
.

बहा कर खून की नदियां ,  धरा रखते सदा पावन 
जलाकर दीप प्राणों का ,  सफल  (धन्य) जीवन किया 
करते।......
.

पखारें रक्त से अपने,         चरण तेरे  हमेशा माँ
दुआ करना यहीं जनमें,  यही हम कामना करते .....

सुखी रहना वतन वालों,     तिरंगा अब  तुम्हें सौंपे
बचाना लाज भारत की ,  भरोसा हम यही करते ।
डॉ चंद्रावती नागेश्वर
 5  ,7 , 2020
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   आशीषों का दरिया बहता,जन्मदिवस में आज
बनें सार्थक जन्म तुम्हारा,खूब करो शुभ काज।
मिले सभी का नेह हमेशा,मुख पर हो मुस्कान
बार बार  दिन ये आएगें ,गूंज रही आवाज        
   च नागेश्वर   रायपुर

विदा मुस्कुरा कर करें ,बीत रही है रात 
 पहर है जागिये ,स्वागत करे प्रभात।
पँछी सारे चहक रहे ,   करते स्वागत गान
लेकर प्रभु का नाम तुम , करो दिवस शुरुआत।
च नागेश्वर
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सावन गीतिका ::---
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सावन आया झूम के,   मन में भरे उमंग
सूखी  
कोयल गाये गीत है ,  नाच रहा मन मोर
कजरी राखी तीज सब , लाया सावन संग

छलके मन आनंद है   ,सब  हैं हर्ष विभोर 
ऋतु सुहानी पावस की ,पुलक भरे सब अंग।

हरियाली का पर्व है , जल ही जल चहुँ ओर
सुंदर मौसम देख लो  ,करता  संयम भंग ।

गले लगे हैं डालियां , पवन चले झक झोर
भीगी भीगी रात है  ,दादुर  बने बनें दबंग ।

घोर अंधेरा छा गया , बिजली की हड़ताल
बादल बिजली साथ मिल ,मचा  रहे हुड़दंग।L

बीर बहूटी मखमली, मन भरती रोमांच
रक्त बूंद  सी घूमती , सबको करती दंग।

च नागेश्वर
13  , 7  ,2020
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पावो में जब बेड़ियां ,बनी नही पहचान 
संकट में अस्तित्व जब , लिया तभी संज्ञान ।

कठपुतली बन घूमती, समझ सकी न  चाल 
मानव है मादा नही, किया यही ऐलान ।

नारी नर की खान है, प्रतिभा क्षमता वान
पीढ़ियों को जन्म दिया,पालन पोषण ज्ञान।

खुद पर रख विश्वास वह ,चली गगन के पार
पदतल भी समतल नही, चढती है सोपान।

अब नारी दुर्गा बनी,अष्टभुजी अवतार
काट रही है बेड़िया ,देती शक्ति प्रमाण।

कुशल प्रबंधन वह करे,नही मानती हार
किया देहरी पार  जब, पग पग पर तूफ़ान।

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर(रायपुर)।
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  -मनुज सभ्यता की कथा,जग विकास सोपान
    जैसा हमने था सुना ,    उसका किया बखान।

   सभ्य बना मानव तभी, पहना जब से चीर 
   वन-वन में विचरण कर , बना बलिष्ठ शरीर।

    अम्बर का परिधान था ,गुफा पेड़ पर वास
    जीव जंतु भक्षण करे ,    देवे    मौसम  पीर।

      बचने वर्षा धूप से   ,  वसन बना तब छाल
    फल अन्न की खोज किया,  भाया नदिया नीर।
    
       पशुपालन भी सीख वह ,   चाहे घर परिवार
       संग साथ अपने रहें ,      पाया  मन  में धीर।

         बोली भाषा सीख कर  , बदला जीवन रूप  
         सभ्यता  का सार यही , तन मन सुंदर चीर।

         डॉ चंद्रावती नागेश्वर
           रायपुर  छ ग 15 /7 /2020
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शुक्रवार : मुक्तांगन 
समारोह : 321

बना बीस  तो विष भरा, हुए सभी हलकान 
सावन में हरिया गया, करता है हैरान।

बन्द हुए हैं काम सब,सभी हाल बेहाल
खाने के लाले पड़े,सूखा बाढ़ अकाल।

काम दिहाड़ी बन्द है,बनते नहीं मकान
रिक्शा ऑटो बन्द हैं ,पंचर रेल विमान।
चन्द्रावती नागेश्वर
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दि- 9-9-20
चित्र मंथन समारोह -326
आद... सुनीता पाण्डेय सुरभि जी, श्यामल सिन्हा जी, श्यामराव धर्मपुरीकर जी, सुधा अहलूवालिया जी, प्रो80 शुक्ल जी व सादर मंच कोसादर समर्पित -.....

मुक्त गगन में उड़ता पंछी,    लक्ष्य सदा ऊंचा रखता
मुक्तक लोक इसे मन भाया, कविता प्रेमी भी लगता।

आधार उसे देती धरती ,  पलता बढ़ता धरती पर
नजर रखे है आसमान पर, दाना धरती  से चुगता।

उड़कर वापस रोज लौटता,    प्रेम करे जन्मभूमि से 
रखे भरोसा खुद पर पंछी,  नील गगन नापा करता।

अपनी क्षमता आप बढ़ाता ,    बातें करे हवाओं से
एकलव्य सी लगन रखे है ,  खुद वह अपना पथ  गढ़ता।

अभ्यास करें नित नित वह तो,पा लेता अपनी मंज़िल
एक अकेला सैर करे वह ,     बाधाओं से ना डरता  ।      

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
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शिला न्यास भी हो गया, बने यहीं आवास
राम लला तो आ रहें, करके दीर्घ प्रवास ।

जन मंगल की सोचते,धीर वीर प्रभु राम
गणपति जी को ला रहे,बनें सभी के काम।
"
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
शंकर नगर रायपुर
9425584403
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न कान्हा हो न माधव हो ,बताओ कौन हो अब तो
छली हो या सखा संगी ,बताओ कौन हो अब तो ?


 बनाया  वेश मोहन का, नहीं हो श्याम तुम मेरे
मुरलिया मोहिनी तेरी ,बताओ कौन हो अब तो?


सच सच  कहो  हम से  ,नहीं तो बच न  पाओगे
न समझो गांव की नारी , बताओ कौन हो अब तो?
 

किया है प्रेम कान्हा से , मिली है  प्रेम की ताकत
यशोदा भी हमी  राधा , बताओ कौन हो अब तो?


हमीं से वो उन्हीं से हम ,   ब्रह्मजीव सम है नाता
छुपाना ना  कभी हमसे , बताओ कौन हो अब तो?


सलोना रूप है तेरा  ,        मधुर बंशी बजाते हो
धरा में पाप बढ़ता क्यों , बताओ कौन हो अब तो?


 परीक्षा अब तुम्हारी है  ,  अभिमन्यु फिर अकेला  है
 मिटे  दुविधा चक्र धारी  ,  बताओ कौन हो अब तो?

डॉ चन्द्रावती  नागेश्वर
रायपुर  छ ग  
29   ,09  ,2921
 
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