Thursday, 9 July 2020

लाघुकथा श्रृंखला 14 --दि 7 ,7 ,2020/ 1 माँ की पीड़ा,वकील की सलाह,(तलाक नहीं इलाज)

 का असर  हमारे बच्चे पर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष पड़ता है यही  हम  नहीं  चाहते ........ 
 इतना सुन कर  माँ   सन्न रह गई   .......
वह   वहीं  सोफे   पर धंस  गई  उसकी  आँखों के  सामने अपने  उस  बेटे का बचपन चलचित्र   की  तरह   एक एक  कर  घूमने लगा ....  बित्ते भर के बेटे का  लम्बा  इलाज  उसके लिए हर पल की जाने वाली  दुआ  पार्थना सब  आंसू बन  बरसती  रही  सारी रात...घड़ी के  कांटे   और अदृश्य परमात्मा ही  मौन साक्षी रहा   ..... उसकी  ममता प्यार  दुलार   समर्पण  आंसुओं  में  पिघलने    लगा  कतरा  कतरा बहता रहा  .......रात  की  नीरवता  में यही  आवाज  गूंजती रही........ माँ दुआओं  का  है घर  ..... हो   खुदा पर  भी  असर,,,,,,,
रात   गहराती   रही   साथ  में  उसके दिल  में  दर्द  का  सागर गहराता रहा....    दर्द के  समन्दर   में   डूब  कर माँ मर गई .......
.डॉ चन्द्रावती   नागेश्वर
11  ,  7    2020
----////--- ----------*--------------///--  ---   ///---/ 
संरक्षक आदरणीय ओम नीरव जी,सम्मान्य संचालक जी एवम मंच को सादर,,,,
लघुकथा शीर्षक-* इलाज करो -तलाक क्यों*
                    तीन साल की नन्हीं रूना को गोद में लेकर 
साबिया रोती हुई अपनी मां के घर आ गई।उसने बताया कि उसके पति ने उसे तीन तलाक कहकर घर से निकाल दिया है ।
           रूना साल भर से बहुत बीमार रहती है ।देखिए न अम्मी कितने पतले पतले हाथ पैर हो गए हैं इसके । और ढोल की तरह पेट फूल गया है । सिर्फ पीर फकीर से झाड़ा कराते, ताबीज बंधाते हम थक गए हैं।दिन ब दिन
इसकी हालत बिगड़ती जा रही है ।  कल ही मेरी पड़ोसन अम्माजी के साथ सरकारी अस्पताल लेकर चली गयी मैं। 
बच्चो की डाक्टरनी  इसे देखकर खूब नाराज हुई । बोली पहले क्यूँ नहीं लाये । ये ठीक हो जाती ।पर अब पता नहीं -----
              मैंने इसके अब्बू से कहा बड़े डॉक्टर के पास ले 
 चलो ।   इसी बात को लेकर हुज्जत करने लगे ।और गुस्से में आकर  तलाक तलाक तलाक बोल दिया.....
खुदा का वास्ता देकर कहती हूँ ।मेरी बेटी को बचा लो अम्मी जान ......मेरी बच्ची का इलाज करा दो ।  भाई जान..... मैं तुम पर बोझ बनकर   नहीं रहूंगी । कहीं भी  काम कर लूंगी।इलाज का पाई पाई चुका दूंगी ।
                  भाई का दिल पसीज गया ।तुंरत बच्चों वाले बड़े डॉक्टर के पास ले गए । उसे भर्ती करा लिया गया 
10,000 रुपये जमा करने कहा गया। बच्ची को जलोदर रोग बताया गया ।   जरूरी जांच के बाद तुरन्त दवा 
 इंजेक्शन  शुरू  कर दिया गया । दूसरे दिन आपरेशन होना है ।   भाई ने घर गिरवी रखकर पैसों का इंतजाम 
किया । जल्दी ही मेहर की रकम मिलने पर घर छुड़ा लिया जाएगा । 
                ऑपरेशन के बाद बच्ची तो ठीक हो गई।
 बच्ची की जान बच गई ।माँ को बेघर होकर इसकी बहुत
 बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। तलाक़ की जिल्लत झेल
 कर  उसे बचा पाई वह ....

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर                        
शंकर नगर रायपुर 
7587097051

-------- -*- --------- *-- -------------- *-------------/
प्रमाणित किया जाता है ,कि प्रस्तुत लघु कथा मेरी मौलिक रचना है,एवं कॉपी राइट का उल्लंघन नहीं करती .........
                                  डॉ चंद्रावती नागेश्वर
-
                        " वकील की नेक सलाह"
रामसिंह बहुत निराश हताश और दुखी मन से  आज अपने  छोटे भाई मोहन पर केस दायर करने शहर के बड़े वकील अशोक मेहता के पास गए ।बैठे बैठे सुबह से शाम हो गई तब  कहीं उसे बुलाया गया ।उसने सुना था कि बड़े नामी वकील हैं कोई केस नहीँ हारते ।पैसे बहुत लेते हैं। बहुत जरूरत मन्द की मदद भी कर देते हैं।
 उन्होंने पूछा क्या चाहते होऔरक्यों ? 
 सारी बातें सच बताना वर्ना उल्टा फँसा दूंगा ।
 राम सिंह ने कहा - मेरा छोटा भाई मोहन 8साल का था पिता नहीं रहे ।मैन बेटे की तरह पाला है ।उसी पर केस करना है।  
गांव में 2एकड़ असिंचित जमींन है बारिश भरोसे साल भर का अनाज हो जाता है मिट्टी का छोटा घर है। मेहनत मजदूरी ,कर्जा करके किसी तरह आठवी के बाद  शहर भेज कर के पढ़ाया।इंजीनियरिंग में पढ़ता था, एक बार टाइफाइड मलेरिया हो गया , घर गिरवी करके इलाज कराया, अपनी देह का खून चढ़ाया।आखरी साल में था ,किडनी खराब हो गई, अपनी एक किडनी देकर घर बेचकर उसेबचाया।
   बंगलोर में अच्छी नौकरी मिली। हमने सोचा चलो हमारे अच्छे दिन आएंगे। हमारे बाल बच्चे भी पढ़ लेंगे।किसी लड़की से शादी कर लिया  अब न घर आता है न चिट्ठी पत्री भेजता है।
     ये देखो साहब मकान बना रहा है उसे पैसा चाहिए ।खेती में बंटवारे के लिये नोटिस भेजा है। इतना बताते हुए उसकी आँखों से झरना बहने लगा.....
           मुझे भी  उसके बन रहे मकान
पर स्टे लगवाना है ।उसकी पढ़ाई और 
पालन पोषण का सारा खर्चा वापस चाहिए।
    वकील साहब ने सारी बातें ध्यान से सुनी । फिर कहा -- राम सिंह तुम सही सोच रहे हो।तुम केस जीतोगे भी जिन खर्चों का दावा कर रहे हो वो मिलेगा ।
 पर -"तुम्हारी दी हुई किडनी  और खून तो नहीं मिलेगा"
तुम जैसे महान बहुत बिरले ही होते हैं
ऐसे केस का फैसला होने में बरसों लग
जाएंगे तारीख पे तारीख पैसे की बर्बादी होगी, उन्ही पैसों से अपने बेटे को पढ़ाओ ।बेटी की शादी तय होने पर मुझसे जितना पैसा चाहिए  बिना 
जमानत उधार ले जाना। अपने त्याग को छोटा मत बनाओ।
   मेरी  सलाह मानोगे तो एक बात कहता हूं ---अपने मन से ये मुकदमा लड़ने का विचार बिल्कुल त्याग दो ....
    वकील की सलाह सुनकर रामसिंह
का मन हल्का हो गया। नए सिरे से जुट गया फिर एक बेटे को पढ़ाने का संकल्प लेकर .....
 डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
शंकर नगर, रायपुर छ ग
9425584403
 14  ,7  ,2020

No comments:

Post a Comment