Thursday, 16 July 2020

लघु कथा श्रृंखला- क्रमांक /15 दि--- 16 , 7, 2020 इज्जत ढंकना ,अनुकरणीय विवाह,मनिषा पुस्तक सदन रिश्तो का नवीनीकरण,





 *शीर्षक-इज्जत ढांकना है *
आदरणीय संचालक महोदय सम्मान्य
 एवम कथाप्रेमी मित्रों को सादर...
लाघुकथा लोक समारोह 24 (द्वितीय )
    
                 आज शाम को वसुधा  घर के आंगन में टहल रही थी दुआ सलाम के बाद पड़ौसन ने पूछा -- बेटे बहू के घर से  जल्दी ही लौट आई हो मेडम ???
  ---- हम तो  पन्द्रह दिन के लिए ही तो गए थे  । वहां के
हालात ठीक नहीं हैं सिर्फ दो दिन पहले ही तो लौटे हैं---
------ उनकी बातें सुन दो पड़ोसिनें मिसेज तिवारी और मिसेज मेहता भी आ गईं।
वसुधा -- अरे आइये न थोड़ी देर बैठ कर चाय पीते हुए बातें  भी करते  हैं ।
मिसेज तिवारी भी उन्ही के स्कूल में टीचर है - उन्होंने पूछा -- लोग विदेश जाते हैं तो ढेर सारे गिफ्ट लाते हैं।
आपने क्या क्या लाया है  ????
दूसरी बोली -- बेटे की शादी के बाद पहली बार उनके घर  गईं थी ।  आपने तो अपने पूरे गहने बहू को दे दिए थे बिना तिलक  दहेज  के शादी किया था। 
मिसेज तिवारी --  कितना हेंडसम  हाईप्रोफ़ाइल वाला है तुषार । हमारे समाज में तो उसके वजन भर का सोना खुशी से बेटी वाले दे देते  ।
 वसुधा --- अरे छोड़िये न आपलोग भी कहाँ की बातें लेकर बैठ गई । मेरा तो एक ही बेटा है  भगवान का दिया सब कुछ है हमारे पास । 
    और अब ये  उमर गहने पहनने की नहीं रही ।अब तो सजने पहनने के बहू ,बेटियों के दिन हैं।
लीजिये ये स्पेशल चॉकलेट पेस्ट्री खासकर आप लोगों के लिए भेजा है तुषार ने ।
 ये बॉडी लोशन,लिपस्टिक, स्प्रे  जो पसन्द है एक एक ले
जाइये ।
 थैंक यू तुषार को और आपको भी ।
 अब बहू ने जो दिया है आपको वो भी तो दिखाइए 
आप लोग चाय पीजिये मैं  लेकर आती हूँ ---
  सिल्क की सुंदर सुंदर साड़ियां ,मंहगे गाउन, लेडिस पर्स
लिपस्टिक ,कास्मेटिक  और एक हजार डालर भी दिए हैं।
   उनके जाने के बाद वसुधा के पति ने कहा ---पड़ोसियों से बहू की  तारीफ में बड़े कशीदे पढ़े जा रहे थे । क्यों इतना झूठ पर झूठ बोले जा रहीं थी तुम ।
जबकि दीप्ति का व्यवहार बहुत ही बेकार था । न खाना  
पकाने में ढंग न बोलने का शऊर । लौटते में हमे कुछ भी तो नहीं दिया।  मेरे लिए भी वीकेंड सेल  से सस्ती फटीचर शर्ट ,ट्राउजर खरीदे उन्होंने । सारे समान बेकार।
वसुधा ने कहा --- देखो जी  हमारे पास कपड़ों की कोई कमी तो नहीं है । और जिसके पासजो है वही तो देगा ।
 जैसे जिसकी नीयत -जैसे जिसके संस्कार  वैसे उसका व्यवहार । आप दुखी क्यों होते हो। 
        बहू हमारे बेटे की पसंद है ।वो खुश तो हम खुश।
 बेटा हमारा बहू हमारी। उनकी इज्जत  ढँकना हमारा काम है ।
डॉ च नागेश्वर
 --7  -7- 2020

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     गरिमामय अनुकरणीय विवाह*
 लॉक डाउन में शादी
अनुज नगर निरीक्षक है ।उसके माता पिता शादी के लिए लड़की तलाश करने लगे ।कई रिश्तेआने लगे। उसे फ़ोटो दिखाए गए।तब उसने वैशाली के बारे में बताया कि वह भी सब इंस्पेक्टर है वे दोनो एक ही बैच के हैं ।
ट्रेंनिंग के दौरान दोनों की मुलाकात हो चुकी है। हमने शादी के बारे में सोचा नहीं था ,पर वो मेरी पहली पसंद है ।मैं उसकी राय जान कर आपको बताता हूँ।  अनुज के पूछने पर वैशाली ने कहा --मैं थोड़ा अलग ढंग से शादी करना चाहती हूँ। सादगीपूर्ण और गरिमामय तरीके से ।
         जीवनसाथी के रूप तुम मुझे पसंद हो।मैं फूलों के गहने पहन मात्र दो कपड़ों में  विदा होकर अपने पति के घर जाना चाहती हूं ।बिना तिलक दहेज के ,बिना ताम झाम की शादी हो, लेकिन लाखों की दुआएं  साथ हो।
                हम दोनो को अच्छी सैलरी मिलती है।अपना घर अपनी कमाई से और अपनी पसंद से सजाएंगे । बोलो मंजूर है आपको ?????
अनुज ने कहा --मुझे गर्व है तुम पर...
  मैं शीघ्र ही अपने माता पिता के साथ तुम्हारा हाथ मांगने तुम्हारे घर आऊंगा ।        
            दोनो पक्षों की सहमति हुई।
अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में  शहर के मंदिर प्रांगण में दिन के 11 बजे फूलों से सजे विवाह मण्डप में फूलों के गहनों में सजी  दुल्हन वनवासिनी कन्या शकुंतला की तरह सौम्य  और सुंदर लग रही थी  ।घराती -बाराती मिलकर कुल 35 लोग विवाह कार्यक्रम में शामिल हुए। विदाई के समय वैशाली के पिता ने 5 लाख का चेक वर कन्या के हाथों में  दिया ।अनुज के पिता ने  नव वधू की मुंह दिखाई के रूप में दिया। 
           जिला पुलिस अधीक्षक ने अपनी तरफ से  एक लाख मिला कर 11रु लाख  प्रधानमंत्री सहायता कोष में जमा करवाने शुभ मुहूर्त में बैंक भेज दिया ।
                        विवाह भोज में उपस्थित मेहमानों
 के अलावा 30 पैकेट कुष्ठाश्रम में 25 पैकेट अनाथ आश्रमऔर 25 पैकेट वृद्धाश्रम में भिजवाया गया।
इस तरह   हज़ारों की दुआ केसाथ वैशाली संग अनुज की  यादगार शादी सम्पन्न हुई-----
डॉ  चन्द्रावती नागेश्वर
शंकर नगर रायपुर
9425584403  

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         लघुकथा लोक समारोह-26 /(द्वितीय)
आदरणीय संचालक महोदय,सम्मान्य मन्च, मित्रों को सादर....
*मनीषा पुस्तक सदन*
 बच्चों की शादी के बाद मनीषा को एकाकीपन ,उदासी ,निराशा ने घेर लिया।उसकी दीदी की बेटी की शादी है शादी में गई ।बिदाई के बाद  बाथरूम में पांव फिसलने से पैर में फैक्चर हो गया। दीदी ने उसे रोक लिया है।  उसे अपनी शादी की  याद आ गई  ।दीदी से बता रही है --
मेरी शादी होने वाली थी। बड़ेभैया ने फोन करकेपूछा मनु तुम्हरी खास पसंद हो बताओ मैं लेते आऊंगा।
भैया कांच वाली आलमारी  ...
उन्होंने  फ्रीज ला दिया,चाचा ने कलर टी वी दिया ,मामा ने कान के बुंदे और ड्रेसिंग टेबिल दिया,पापा ने भी गृहस्थी के समानो के साथ गोदरेज आलमारीआभूषण वस्त्र सब मिला पर कांच वाली आलमारी नहीं मिली ।
     शादी और विदाई के बाद मैं गृहस्थी में व्यस्त हो गई।
 पर वो आलमारी की साध अधूरी ही रही।  दो बच्चे हुए उनकी शादी हुई अपनी नौकरी में दूर चले गए ।
     घर मे सन्नाटा पसर गया । उदासी बढ़ती गई।कितना शौक था मुझे पढ़ने का।जिस उम्र लोगचूड़ियां,बुंदे ,पायल 
,कपड़े ख़रीदते वह अच्छी अच्छी किताबें खरीदती, उन्हें सम्हाल कर रखती ।जब भी मायके जाती अपने साथ किताबों के गट्ठा जरूर लाती। जो स्टोर में,अलमारी के ऊपर रखी रहती। जब पढने का मन होता खोजते खोजते परेशान होजाती।
           मेराबहुत मन है कि आस पड़ोस की बच्चियों, महिलाओं के लिये छोटी सी लाइब्रेरी खोलूं।लोग पढ़ें  इस बहाने घर मे चहल पहल हो।उनका स्वस्थ मनोरंजन हो। मुझे बड़ा दुख होता है, कि महिलाएं ब्यूटी पार्लर में ,सौंदर्य प्रसाधन में बड़ी रकम खर्च कर देतीं हैं ,पर  मैगजीन अखबार,अच्छी किताबें नहीं खरीदतीं।मुफ्त में मिले तो पढ़ ही लेती हैं।
   शायद यह टेलीपैथी का प्रभाव ही रहा होगा
इधर मनीषा के पति ने सोचा-पत्नी को आज तक कोई ढंग का गिफ्ट नहीं दिया । दो  दिन बाद उसका जन्मदिन है बैठक में तीन बड़ी कांच की आलमारियां मंगवा कर रखवा दी  ।गठरी खोल खोलकर उसकी सारी किताबें जमवा दी। बाहर बोर्ड बनवा कर लगवाया  
"मनीषा पुस्तक सदन "
 फिर मनीषा को लेने के लिए गये।
घर आकर मनीषा ने घर का बदला हुआ रूप  ,कांच की आलमारियों में सजी किताबें देखकर उसका मन खुशी से पागल हो गया........
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग 
22  ,  7  , 2020


     *  जीवन मे सबेरा आया  *
               चालीस साल की नर्मदा के लिएअपना जीवन सँवारने का एक अच्छा मौका आया है।  प्रिंसपल मेडम के घर काम करते हुए, उन्होंने स्कूल में फररास की पोस्ट में काम  दिला दिया। अपनी आधी तनखा घर भेज देती । इस साल हाथ मे राखी लेकर सोच मे डूबी  बीते दिनों की याद कर रही है --कौन  किसकी रक्षा करता है, बेटे के रहते जीवन नर्क जैसा है ,तो मरने पर स्वर्ग की क्या गारंटी ?
           हम पांच बहने हैं गंगा ,जमुना नर्मदा,कृष्णा,कावेरी  ।छटवे नम्बर पर पैदा हुआ कुलदीप।खुशी के मारे पिता के पांव जमीन पर नहीं पड़ते थे।  पूरे गांव में लड्डू बांटे। सभी बहने भी ख़ुशी से झूम उठी। राखी ,दीवाली  और कुलदीप का जन्मदिन बड़े धूमधाम से मनाया जाता । जब भाई दो साल का था उसे तेज बुखार  आया उसे पोलियो हो गया फिर भी पिता कहते कुल तारन है बेटा । उसके कंधे पर ही श्मसान जायेंगे तभी स्वर्ग मिलेगा।
एक दिन  पिता बस दुर्घटना के शिकार
होकर  अपंग हो गए ।गंगा जमना की शादी हो गई थी।घर मे कमाने वाला कोई नहीं।चल अचल सम्पति भी नहीं बची।
      आठवी पढ़ी नर्मदा  बर्तन पोछा का काम करती, दोनो बहने भी घरेलू नौकरानी  का काम करती और सरकारी स्कूल में पढती।  उसने अविवाहित रहकर दोनो बहनों की शादी करवाई ।पूरे घर को सम्हाला।  अब तक परिवार की जीवन नैया पार  लगा रही है।
 उसने राखी डाक से भेज दी। बुध राम उसी स्कूल में चपरासी है ।दो छोटी बच्चियां हैं। पिछले महीने उसकी पत्नी कोरोना महामारी के चपेट में आकर स्वर्ग सिधार गई। वही उसके बच्चों की देखभाल कर रही है ।बुधराम हाथ जोड़ कर उससे शादी के लिए मिन्नतें कर रहा है।नर्मदा के माँ पिता ने इस अंतरजातीय विवाह के लिए मना  कर दिया।
 तब उसने अपने जीवन का निर्णय स्वयम लिया।बुधराम से इस शर्त पर शादी कर ली-- कि जीवन पर्यंत अपने परिवार के लिए आधी तनखा भेजती रहेगी ......
  इस तरह उसके जीवन की दिशाविहीन अंधेरी रात का अंत
 हुआ और नन्हे पंछियो का कलरव गूंज उठा  नया सबेरा 
दस्तक देने लगा ........
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
शंकर नगर रायपुर
9425584403

*रिश्तों का नवीनीकरण*
    
B E के बाद शिवम को इंफोसिस कम्पनी में बढिया पैके
मिल: B E के बाद शिवम को इंफोसिस कम्पनी में बढिया पैकेज वाली नौकरी
मिल गई। पहली तनखा मिलते ही उसने नमिता के नाम पर हाउसिंग बोर्ड का 2 B H K मकान बुक कर दिया ।  बहुत दिनों से प्लानिंग कर रहा
था  कि मेरे जीवन मे जो स्पेशल हैं। उनके लिए स्पेशल करूँ।  
  इस बार की राखी का त्यौहार उसके लिए स्पेशल है।  क्या हुआ भगवान ने उसे । बहन नहीं दिया तो । बहन तो शादी के बाद पराई हो जाती है । पर मेरी यह बहन तो जीवन भर मेरे घर में
रहेगी । वह खो गया उन दिनों की यादों में जब ये रिश्ता बना था----
  जब वह पढ़ाई करता था उनक माली हालत अच्छी नहीं थी। पिताजी किसानी करते हैं दो बड़े भाई महा नगरों में अच्छी नौकरी पर हैं । छोटे भैया भी खेती करते हैं गुजारे लायक आमदनी हो जाती है बस।
         
 राखी का त्यौहार आने  वाला था कालेज में  फीस भरने की
अंतिम तारीख निकट आ गई  थी। उसे अच्छी तरह याद है कि -- उसके दोनों बड़े भाई अच्छी नौकरी पर रहते हुए भी उसकी फीस भरने के लिए इनकार कर दिए ।जमीन बेच दो आखिर उसमे हमारा भी तो हिस्सा है यह कह कर पल्ला
झाड़ लिए ।
तब छोटी भाभी नमिता ने  मेरे साथ जाकर  बिना किसी से पूछे अपने सारे जेवर बेचकर  फीस के  पैसे दिए । दोनो बड़ी भाभियों ने उन्हें  बहुत खरी खोटी सुनाई। तीन -तीन बेटियां है। कुछ तो सोचा होता ।
      इस तरह उस संकट में रक्षा करने  वाली मेरी भाभी  उस दिन से मेरी बड़ी बहन बन गई । मैंने उनकी कलाई में राखी बांधकर एक नया रिश्ता बना लिया ..........

          नमिता भाभी और तीनो भतीजियां अब मेरी जिममेदारी हैं।  जिसे मरते दम तक मैं निभाउंगा।
 
डॉ चंद्रावती नागेश्वर 
रायपुर छ ग


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