देश भक्त सीमा के सैनिकों को समर्पित
छंदपताका -1222 1222 1222 1222
पताका देश का हम तो ,सदा उँचा रखा करते
वतन की शान के खातिर कफ़न पहने सदा रहते।
दुश्मनी जो करें हमसे उसे , जिंदा नहीं छोड़ें
हर इक जर्रा सलामत हो ,दुआ इसकी किया करते।
रहे आबाद गुलशन ये , यही कोशिश हमारी है
रहे आजाद भारत यह,----------------------------
चढ़ा कर भाल अपना हम, मरण उत्सव कहा करते।
चढ़ाकर शीश अपना हम , -------------------------
बहाकर खून की नदियाँ , दामन रखें सदा पावन
जला कर दीप प्राणों का, सफल/ धन्य जीवन किया करते।
रक्त चंदन बनाकर के ,सजाया भाल में माँ के
सदा ही गर्व हम पर हो ,यत्न इसका किया करते।
पखारें रक्त से अपने , चरण तेरे हमेशा माँ
दुआ करना यहीं जनमें ,यही हम कामना करते।.....
सुखी रहना वतन वालों ,तिरंगा हम तुम्हे सौंपें
बचाना लाज भारत की, भरोसा हम यही करते ।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
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आल्हा छंद 16--15 अंत मे गुरु लघु (2 - 1)
मुक्तक लोक समारोह- 319
“मुक्तक मेला”
१.झेल रहा है देश अभी तो , संकट का चौतरफा वार
एक तरफ डर कोरोना का, दूजी है बारिश की मार।
डोल रही नीयत सीमा पर , वो हैं पाक चीन नेपाल
सौ बीमारों के खातिर है ,लगता जैसे एक अनार ।
डेरा डाले ताक रहे सब,जो हैं धूर्तों के सरताज
बढ़ कर तो देखो एक कदम,शेर हमारे हैं तैयार।
भारत माँ के वीर बहादुर, माँ दुर्गा की हम सन्तान
एक साथ हम सबसे निपटें, हममें साहस शक्ति अपार।
सेवा और समर्पण सीखा , हमसे डरते हैं तूफान
जो जिस लायक बना हुआ है, पाते हैं वैसा व्यवहार।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
दिनांक 20. 9. 2022
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भारत भू पर जन्म मिला है,आभार करें हम रब का
शीश चढ़ाकर कर बेटा तुमने ,मान बढ़ाया हम सबका।
सीमा पर उत्पात मचाये , उन सबको मजा चखाया
शूर वीर हो तुम धरती के ,मान बढ़ाया हम सबका ।
लिए तिरंगा बढ़ते आगे , मन मे कोई ख़ौफ़ नहीं
मातृ भूमि के राज दुलारे , मान बढ़ाया हम सबका।
वीर सिपाही तुम्हें नमन है , मार भगाया दुश्मन को
प्राण गंवाया हंसते हंसते, मान बढ़ाया हम सबका
च नागेश्ववर
कनाडा----
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आधार छंद मरहट्ठा
विधान -दोहे का विषम चरण ×2
समान्त -आन
पदान्त -है
गीतिका
माटी अपने देश की ,मांगे ये बलिदान है
भारत माँ देती सदा, ममता का वरदान है।
धरती देती देश की ,आशीषों की सौगात
अतिथि देव होते यहां, पाते जो सम्मान हैं।
मधुरम सत्यम शिवम तो,है जीवन का आधार
इसका पालन सब करें ,भारत देश महान है ।
वीरों की जननी यही, शत शत करें प्रणाम हम
मानव सेवा के व्रती, का होता गुणगान है ।
सुखमय धरती देश की, अति सुंदर है परिवेश
अखिल विश्व मे देश यह ,रखे अलग पहचान है ।
भारत में सबको मिला ,मानवता का संदेश
हम हों भले विदेश में ,दिल में हिंदुस्तान है ।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
-------------------- * -------------------*------------------शब्द मंथन समारोह!!
हवा सुनाती है सरहद की बोले मीठी बानी
जीवन तो आनी जानी है ,अमर रहें सेनानी।
सुनो कहानी मैं कहती हूँ, कोटि नमन मैं करती
बहुत कठिन फौजी का जीवन,उनकी धन्य जवानी।
देश भक्त जो वीर साहसी , वे ही फौज में जाते
सदा सतर्क रहा करते हैं, हर पल ये बलिदानी।
दंगे हों या बाढ़ भूकम्प , करें सामना सबका
फौजी बाना जब से पहना ,इसने हार न मानी।
मातृ भूमि के सच्चे सेवक , गर्व करें सब इन पर
कितनी भी भीषण विपदा हो,इनसे मांगें पानी।
इंच इंच धरती के खातिर, अपनी जान गंवाते
रक्त रेख से खींचे नक्शा ,अमर रहें बलिदानी।
डॉ चंद्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
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प्राण की बाजी --------
हमेशा प्राण की बाजी,लगाते देश के खातिर
लुटा देते सभी कुछ हम,वतन की आन के खातिर।
धर्म है देश की सेवा, कर्म है लक्ष्य को पाना
चढ़ाते शीश अपना हम, वतन की शान के खातिर।
सदा ऊंचा तिरंगा हो ,फहरता शान से नभ में
यही हम चाह रखते हैं,गुणों के गान के खातिर।
दुश्मनों को भगाना है , यही जज्बात रखते हैं।
सुरक्षा देश की करना ,हमें सम्मान के ख़ातिर।
यहीं पर जन्म पाया है ,यहीं का अन्न खाया है
शपथ माँ की उठाते हैं, सदा उत्थान के खातिर।
अमर होता नहीं कोई , मनुज जीवन मिला हमको
किसी के काम आना है ,इसी अरमान के खातिर।
लिखें हम खून से अपने ,नया इतिहास अब यारों
उमड़ता है हृदय में जोश ,नव निर्माण के खातिर।
करें कुरबान अपनी जान, यही दिन रात सोचा है
जलाते प्राण का दीपक, नए दिनमान के खातिर।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
3/ 8/ 2020
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15 अगस्त 2020 तिरंगा
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गगन तिरंगा लहराता है
सबके मन को हर्षाता है।
देश हमारा सबसे प्यारा
मन स्वाभिमान उपजाता है।
देश भक्ति का बीज उगाता
धर्म जाति का भेद मिटाता।
बलिदानी को नमन करें हम
गौरव पथ हमको दिखलाता।
विश्व बन्धुता को समझाता
अमन शांति का पाठ पढ़ाता।
न्यारा लगता विश्व पटल पर
सद्भाव प्रेम करुणा लाता ।
योग क्षेम की धार बहाता
भाई चारा हमें सिखाता।
सन्तान सभी परम पिता के
मानवता का भाव जगाता ।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
सिवनी म प्र
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देश के सभी आत्मीय जनों , प्रिय जनों को
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाइयां ....
वन्देमातरम,जय भारत
आजादी का पर्व खुशी से , आज मनाएं हम
देश के लिए कभी किया जो, आज बताएं हम।
स्वाभिमान के पंख लगा कर,खुद को पहचाने
कर्ज बहुत हैं भारत माँ के, शीघ्र चुकाएं हम ।
डॉ चंद्रावती नागेश्वर
सिवनी मध्य प्रदेश
जिंदगी जंग है तो जौहर दिखाना चाहिए
मुश्किलों के बीच रहकरभी मुस्कुराना चाहिए।
डराती खूब मुश्किल है डरें नहीं हम तो
परखना काम इनका है मुस्कुराना चाहिए।
जिंदगी हमेशा सुख दुख -धूप छांव जैसी है
मन में धीर सदा रखकर मुस्कुराना चाहिए।
चलें नही कांटों पर हटाना दूर उनको है,
हटा कर राह से उनको मुस्कुराना चाहिए।
नाही। अवरोध बन सकता राह का पर्वत कभी
चढ़ें यत्न से सीढ़ी बना मुस्कुराना चाहिए।
निकलता रोज सूरज अस्त होकर नया बनता
सूर्य से सीख लेकर भी मुस्कुराना चाहिए ।
बाग में फूल नित झरकर,खिले हैं शान से हरदम।
देखकर उनको हमे भी मुस्कुराना चाहिए।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
25 /8 2020
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जिंदगी है जंग तो जौहर दिखाना चाहिए
मुश्किलों के बीच रहकर भी मुस्कुराना चाहिए
डराती खूब है मुश्किल हम डरें नहीं इनसे ,
परखना काम इनका है मुस्कुराना चाहिए।
जिंदगी सदा सुख -दुख की धूप -छांव जैसी है
रखना धीर मन मे सदा मुस्कुराना चाहिए।
नहीं कंटकों पर हम चलें दूर हम उनको करें
हटा कर राह से उनको मुस्कुराना चाहिए।
बन सकता अवरोध नहीँ राह का पत्थर कभी
चढ़ें यत्न से सीढ़ी बना मुस्कुराना चाहिए।
निकलता रोज सूरज अस्त होकर नया बनता
सूर्य से सीख लेकर भी मुस्कुराना चाहिए ।
बाग में फूल नित झरकर,खिले हैं शान से हरदम।
देखकर उनको हमे भी मुस्कुराना चाहिए।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
25 /8 2020
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रूप लिये गणपति का आना
मधुर मधुर बांसुरी बजाना.
मोहक चितवन वाले कान्हा
मोर मुकुट भी लगे सुहाना.
बाल रूप में दोनों प्रिय हैं
भक्तों को तुम दर्श दिखाना.
विघ्न विनाशक हे शिवनंदन
भक्तों में विश्वास जगाना.
अंतर्मन की कायरता से
हम भक्तों को सदा बचाना.
सन्मति देना बुद्धि प्रदाता
सीखें रिपु दल मार गिराना.
प्रभु अंतर बोध जगा देना
याद रहे बस आन बचाना.
देवभूमि की गौरव गाथा
के ध्वज वाहक हमें बनाना.
डॉ चंद्रावती नागेश्वर
रायपुर,. छत्तीसगढ़
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