Thursday, 23 July 2020

गीतिका ---- 7 शुभकामना ,जन्मदिवस, सद्भाव ,बात अच्छी मान,गाड़ी वाले रे,काम नया कर,मेघ परियां।



            हार्दिक ~ बधाई ! बधाई ! बधाई !

 

     पारिजात की कामना ~ आप जियें सौ साल । 
     सुख, वैभव, यश, स्नेह से होकर मालामाल ।। 
                                              - 'पल्लव'
आप सबके स्नेह ने,    कर दिया मालामाल
   जीवन ऊर्जा  मिल गई, देख लेंअगला साल।
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-- मात्रा गणना --- 2122   2122  212


बात अच्छी मान लें हम ज्ञान की
सीढियां बनती यही अरमान की।

भोर ने दस्तक दिया है द्वार पर
स्वागत करें  लोग तो दिनमान की।

वक्त बदले संग में दिन रात भी 
क्यों न बदलें फ़ितरतें इंसान की ।

 लांघ बाधा नित बढ़ें हम लक्ष्य को
मंजिल मिलें  बात है यह शान की ।

हर चुनौती से निपटना फर्ज है
गूंजती आवाज है जय गान की ।

कदम दर कदम  बढ़ें हम भी सदा
चाहतें मन में रही सम्मान की ।


कठिन श्रम हमने किया है ध्यान से
फिक्र नहीं  हमको कभी थी जान की।

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर ,छ ग 

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लव सादर मंच को समर्पित -


हांक रहा त...त... त...ता.. कर बैल,ओ गाड़ी वाले रे  
  संग मुझे भी लेता चल रे ,        ओ गाड़ी वाले रे ।

गांव दूर थके पांव मेरे ,    साथ मुझे लेता चल
 रस्ता सूना डर लगता है,  ओ गाड़ी वाले रे ।

पनही नहीं पांव में मेरे ,लगती धूप बहुत है
दूर दूर तक पथिक न कोई,ओ गाड़ी वाले रे।

जुते बैल गाड़ी में दो हैं ,सवार अकेला बैठ
नहीं शोभता पूछ बैल से ,सुन गाड़ी वाले रे ।

भला लगे तू बात जरा सुन ,कटे न लंबा रास्ता
साथ रहूँ तो वक्त कटेगा ,ओ गाड़ी वाले रे ।

सुखी रहेगा घर परिवार,दुआ मिलेगी मेरी
मैं अकेली वक्त की  मारी,सुन गाड़ी वाले रे।
 डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर ,छ ग
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     काम नया करके हमको दिखलाना है
सुरभि नई हो ऐसे  सुमन खिलाना है।

खुद पर करना है हमको तो गौर बहुत
परिवर्तन  जग में हमको फिर लाना है।

नई चुनौती गतिमय करती जीवन को
मंत्र सफलता का अब हमें सिखाना है।

मेहनत बिना न बदले भाग्य किसी का
आलस तज कर  कर्मठ हमें बनाना है।

 देश बिना अस्तित्व कैसे बचें हमारा
भाव यही जन जन में हमे जगाना है।

देश नहीं बनता नक्शों -प्राचीरों से
सबके श्रम से भारत नया बनाना है।


 वीर हमारे रक्षा करते  जान गवां 
रक्त बूँद   से अपने इसे सजाना है।
डॉ चंद्रावती नागेश्वर


बीती यादों की लड़ी है  जिन्दगी ।
सुख दुख साथ लिए खड़ी है जिंदगी।

नैनों में झिलमिल स्वप्न रचाती है
जैसे जादू की छड़ी है जिंदगी ।

कभी पास आती कभी दूर जाती 
कल और आज की कड़ी है जिंदगी।

प्यार के लिए लगती है छोटी सी
मुसीबत में लगती बड़ी है जिंदगी।

कभी हँसाती  कभी रुलाती यही
खुशी और गम  की घड़ी है  जिंदगी।

हवा के वेग सी भागती है कभी
या बीच राह में अड़ी है जिंदगी।

डॉ चंद्रावती नागेश्वर
25 /9/2020

नृत्य करती  मेघ- परियां  आकाश में
 माला ले खड़ा नभ प्रिय आस में।

गंग की लहरें करें हैं अठखेलियाँ
अप्सराएं गीत गातीं रनिवास में।

शोर है घनघोर नभ का साथ ही
नाचती हैं बिजलियाँ भी अभ्यास में।

बादलों के कैद में है अम्बर अभी
वक्त बाकी है अभी तो  मधुमास में।

कौन सा है जश्न यह व्योम' दरबार का
विरह व्याकुल गोपियाँ कृष्ण प्रवास में।

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर28 /9 /2020




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