Thursday, 23 July 2020

गीतिका ---8 गीतिका छंदबद्ध ---ठीक नहीं, माटी देश की,

छंद  -रास  (8 - 8 -6--:-- कुल मात्रा  22 )

दीन हीन की हँसी उड़ाना ,रीत नहीं
बल -पद-वैभव पर इतराना ,ठीक नहीं।

साथ जमाने के चलना ही ,अच्छा  है
बैर जमाने से करना तो ,ठीक नहीं ।

वचन दिया तो उसे निभाना,अच्छा है
समय पड़े तो नजर चुराना, ठीक नहीं।


देश  प्रेम में जान गंवाना , अच्छा है
युद्ध भूमि में पीठ दिखाना ,ठीक नहीं।

मात पिता की सेवा करना,अच्छा है
चौथा-पन हो तब तरसना, ठीक नहीं।

सोच समझ कर कदम उठाना ,अच्छा है
लोभ क्रोध वश निर्णय करना, ठीक नहीं।

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर ,छ ग
ता, 24 , 7  2020
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आधार छंद मरहट्ठा 
विधान -दोहे का विषम चरण ×2
समान्त -आन
पदान्त -है 
गीतिका
माटी अपने देश की ,मांगे ये बलिदान है
भारत माँ देती सदा, ममता का वरदान है।

धरती देती देश की ,आशीषों की सौगात
अतिथि देव होते यहां, पाते  जो सम्मान हैं।

मधुरम सत्यम शिवम तो,है जीवन का आधार
इसका पालन सब करें ,भारत  देश महान है ।

वीरों की जननी यही, शत शत करें प्रणाम हम 
मानव सेवा के व्रती, का होता गुणगान है ।

सुखमय  धरती देश की, अति सुंदर है परिवेश
अखिल विश्व मे देश यह ,रखे अलग पहचान है ।

भारत में सबको मिला ,मानवता का संदेश
हम हों भले विदेश में ,दिल में हिंदुस्तान है ।

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
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गीतिका गुंजन-३२३, गुरुवार,२०-०८-२०  छंद : तमाल 

आधार छंद : तमाल, विधान चौपाइ तथा अंत मे गुरु,लघु कुल १९ मात्राएं
समान्त: आन,

जीना जिसको आये मिलता, मान
 दुख में भी वह गाता रहता , गान।

घोर तिमिर में देता वही, प्रकाश
देना जिसको है आ जाता ,दान।

समझ बूझ के हमको चलना राह
जीवन तो मेला सा लगता, जान।

जीवन देने वाला दाता ,राम
संकट में तो वही बचाता प्रान।

बोल मधुर जो भरता रहे मिठास
शक्ति हमारी वही परखता  ज्ञान।

पोथी पढ़ लो या जाओ गुरु द्वार
अनुभव बिना अधूरा रहता ज्ञान।

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर ,छ ग
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2212   2212  2212

देव  सरिता   पावनी सुख  दायिनी माँ
मानिनी मन   भावनी  जग  तारिणी माँ।

शिव जटा में      बंध चली   भागीरथी बन
अनगिनत  दै   वी श क्ति की  स्वामिनी माँ।

हरि पद पद्म    विम ल धारा    दुख हरे तू
तव तट रहे      जी व तरु सुख  दायिनी माँ ।

निर्मल अमृत   नीर सुरसरि   भय हारिणी का
मातु गङ्गे      तू स गर कुल     तारिणी माँ ।

भूमि पावन   देश की फूले       फले है
प्रेम ममता     से भरी  मन्दा  किनी माँ ।

चरण रज तेरे  पड़े जब से    यहॉं पर
भक्त जन के     दुख हरे    भव तारिणी माँ।
डॉ चंद्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग


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