Saturday, 22 August 2020

लघुकथा श्रृंखला--क्रमांक 18 ---कलंक नही गरीबी,वह भयावह रात,मजदूर की बेटी

प्रमाणित किया जाता है कि, समारोह  प्रस्तुत लघु कथा मेरी मौलिक रचना है 
एवम कॉपी राईट का उल्लंघन नहीं करती..........
चंद्रावती नागेश्वर

 शीर्षक---*  गरीबी  कलंक नही है  *

  बलराम आज बेटी के नौकरी मिलने  की खुशी में  उसे लेकर उसके लिए बढ़िया सी ड्रेस खरीदने कपड़े की दुकान गया  वहां काउंटर पर अचानक उसके बचपन का सहपाठी प्रीतेश मिला ।  दोनो को बचपन के दिन याद आ गये।
 प्रीतेश --  बल्लू कई बरसों बाद मिले हो ।मैं तो तुम्हें पहचान ही नहीं पाया यार । एकदम बदल गए हो। काम धंधा कैसा चल रहा है ? 
अच्छा चल ऊपर चलकर बैठते हैं
वहीं बैठकर बताना।
बलराम  --  वो मेरी बेटी हैतब वह भी तकआराम से कपड़े पसन्द कर लेगी।
फिर  उसने बताया  -- तुम तो जानते हो बचपन में ही मां बाबूजी गुजर गए। ताऊ जी ने मुझे सहारा दिया है ।सब्जी बेचकर हमारा गुजारा चलता था।गांव के स्कूल में आठवीं पढ़ने के बाद मैं एक रेंजर साहब के घर में खाना बनाने का काम करने लगा। पढ़ाई भी करता रहा।
 उनको देख मेरे मन मे साहब बनने की इच्छा जागी । मेरे दसवीं पास करते ही उनकी बदली हो गई  वो चले गए ।पेट पालने के लिए मैं फिर सब्जी बेचने लगा।लेकिन अबआलू प्याज का
थोक दूकान लगा लिया। खेतों से माल 
लाताऔर उसी दिन बेच देता। खूब पैसा कमाया ।घर बन गया, शादी हो गई ।पर मैंने महसूस किया कि समाज में सब्जी बेचने वालों की उतनी इज्जत नहीं होती जितनी नौकरी वालों की।

    प्रीतेश तू तो बड़ा बिजनेस मेन बन गया गया है ।अपनें परिवार के ----
 प्रीतेश का बेटा आकर नमस्ते करके
चाय मंगवाया ।दूसरा बेटा नीचे दुकान से उसकी बेटी रोशनी को साथ ले आया ।
  रोशनी से प्रीतेश ने कहा-- बेटा हम 
आपके चाचा हैं। सबसे पहले तो इंडिगो कम्पनी में तुम्हे एरोनॉटिक इंजीनियर  की नौकरी लगने की खुशी
में बहुत बहुत बधाई देते हैं ।
 प्रीतेश का छोटा बेटा फ़ोन करके  अपने पत्रकार दोस्त हिमांशु को उसके इंटव्यू के लिए बुला लिया।उसने भी बधाई दी फिर पूछा---रोशनी जी  हमारे इस शहर के लिए यह बड़े गर्व की बात है ,कि आपके  जैसी होनहार प्रतिभावान 
हस्ती भी यहां हैं।
रोशनी ---धन्यवाद हिमांशु जी
हिमांशु  --आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देती हैं ।
   रोशनी ---सबसे पहले अपने पिता को और उसके बाद ---गरीबी को ----
 इस मंजिल तक पहुंचने का सपना तो बचपन से मेरे पिता ने मेरे मन में बोया था। जब वो गांव में रहते थे और छोटी  सी दुकान लगाकर सब्जी बेचा करते थे । छोटा सा मकान और बड़ा सा परिवार था हमारा । ताऊ ,ताई उनके तीन बच्चे और हम चार ।
          पिताजी कहा करते थे --- गरीबी कलंक नहीं है। गरीबी से हार कर बैठ जाना कलंक है। काम छोटा बड़ा नहीं होता । मेहनत करने में शर्म कैसी ? पिता का कर्ज बच्चे  ही चुकाया करते हैं। तो  उनके सपने भी उनको ही पूरा करना चाहिए न ?
   हम जहां थे वहां से ऊपर उठने का प्रयास थोड़ा उन्होंने किया और थोड़ा हमने किया ।प्रयास ईमानदारी से और सही दिशा में किया जाय तो मंजिल मिल ही जाती है-------
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
मध्य प्रदेश ,सिवनी
22/8/2020
शीर्षक - *वह भयावह रात*
                             
              स्वाति अभी अभी अपना केमेस्ट्री का पेपर देकर घर लौटी है।माँ पिता भाई सब कल ही चाचा के घर शादी में गए  हुए हैं। पति  वीरेन्द्र आज रात  दो बजे की ट्रेन से उसे लेने के लिए आने वाले हैं। शादी के 15 दिन बाद ही उसका  बी एस सी फाइनल एग्जाम था। तो वह मायके में ही है वह पेकिंग की तैयारी करने लगी ।टेलीग्राम वाला आया। टेलीग्राम का नाम सुनकर ही उसके दिल की धड़कन बढ़ गई। (तब घरों में न फोन होतेथे ,न मोबाइल,
न टैक्सी, न आटो ,  न कोरियर)आवागमन के सीमित साधन थे।लेकिन डाक -तार विभाग बड़े चुस्त दुरुस्त थे ।
                    मन  की आशंका-कुशंका को दबाकर टेलीग्राम मेसेज पढ़ा --  "वीरेंद्र  हॉस्पिटलाइज्ड"  
        घड़ी देखा 15 मिनट बाद ही एक्सप्रेस आने वाली है। बैग उठाया दरवाजे पर ताला लगा कर पड़ोसन कोबताया चाबी देकर स्टेशन आ गई। शाम आठ बजे तक बिलासपुर पहुचना ही था वहां से आधे -पौन घण्टे में वह एस,ई,सी एल की कालोनी पहुँच जाएगी कम्पनी का हॉस्पिटल भी वहाँ से पास ही है।
                      ट्रेन में बैठने के 3घण्टे बाद इंजन न में कुछ खराबी आने के कारण ट्रेन आगे बढ़ने से इनकार कर दिया । जैसे जैसे देर होती जा रही थी उसकी चिंता बढ़ने लगी । ट्रेन 4 घण्टे लेट याने  रात 12 बजे पहुंची।
 स्टेशन से 15 km दूर कालोनी है। अंधेरी रात ,सुनसान रास्ता  कोई साधन नजर नहीं आरहा है। वह हॉस्पिटल कैसे पहुंचे  ??? 
22वर्षीया स्वाति वैसे तो बड़ी हिम्मती और सूझबूझ वाली मानी जाती है। पर आज पहली बार लड़की होने पर    बड़ा अफसोस हो रहा  है । खुद पा मंडराने वाले खतरे का  अहसास होने लगा। उसे अपनी विवशता पर रोना भी आरहा है,घबराहट भी होने लगी। 
               ट्रेन में बातचीत करते हुए उसे पता चला कि सामने  बैठासहयात्री युवक भी S E C L कॉलोनी जा रहा
है। उसे हिंदी बोलना नहीं आता है स्वाति को तेलगु नहीं 
आती। देखने मे काला कलूटा  पहलवान जैसा है ।  जैसे जैसे रात गहराने लगी असामाजिक  तत्वों की सुगबुगाहट
बढती सी लगी । स्टेशन के बाहर सारे यात्री जा चुके थे ।
एक आखरी रिक्शा भी जाने लगा । स्वाति ने उसे आवाज लगाई और तुरन्त उस अजनबी सहयात्री के पास जाकर   टूटी फूटी अंग्रेजी में अपने साथ रिक्शे में   बैठने का रिक्वेस्ट किया।
               रास्ते भर ईश्वरसे अपनी सुरक्षा की गुहार लगाती रही ।  पहले वह S E C L के हास्पिटल गई।वहां 
 उसे रुकने को कहकर आकस्मिक चिकित्सा कक्ष में पता लगाया। एडमिट मरीजों में उसका नाम नहीं मिला । 
       फिर उसी व्यक्ति के साथ उसी रिक्शे में कॉलोनी में अपने क्वाटर गई जहां बड़ा सा ताला लटक रहा था। तब तक रात के 1 बज गए  उसने पड़ोसियों को जगाया ।  ताला तोड़ा गया ।  उसने उस अजनबी सहयात्री को पानी पिलाया, बारम्बार थैंक्स दिया । अब वह पूरी तरह सुरक्षित जगह पहुंच गई । पति की चिंता मेंआंखों ही आंखों में उसकी रात
कटी ।सबेरे पड़ोसी के द्वारा पता लगवाया ।  उसके पति का बाइक से एक्सीडेंट हो गया है ।पांव  में फेक्चर हो गया है। 
                आज भी स्वाति का रोम रोम उस अजनबी सहयात्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता है--------
    
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
शंकर नगर ,रायपुर 
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आदरणीया संचालक महोदया एवम कथाप्रेमी मित्रों को सादर .....
 शीर्षक -"मजदूर की बेटी"
                     
            काफी हाउस के सामने एक बिल्डिंग बन रही है। उसमें कई मजदूरों के साथ रामलाल भी काम करता है।एक दिन रामलाल की बेटी कमला उसके लिए
दोपहर का खाना लेकर वहां आई।  उसने काफी हाउस में कुछ लोगों को वहां कुर्सी टेबल पर बैठकर कुछ गोल गोल सफेद रंग की चीज  कटोरे में डुबा डूबा कर खाते देखा ,तो पिता से से पूछा --बप्पा  कुर्सी में बैठ कर वो सफेद सफेद क्या खा रहे हैं ????
 बप्पा --- बेटा उसको इडली कहते हैं।  उसको साम्भर में डूबो के खाते हैं।
कमला -- बप्पा वो कैसा लगता है ?
बप्पा -पता नहीं बिटिया । 
कमला -- कितने में मिलता है ??
बप्पा -- बहुत मंहगा मिलता है । पैसे वाले लोग खरीदते हैं।  हम लोग तो बहुत गरीब हैं ।
कमला- बप्पा पैसे वाले कैसे बनते हैं ?
बप्पा -जो स्कूल में पहला नम्बर आते हैं । खूब ऊंची  पढ़ाई करते हैं।उनको अच्छी नौकरी मिलती है । तो खूब पैसा मिलता है।
कमला -- बप्पा  मैं  पहला नम्बर लाऊंगी तो मुझे वो खिलाओगे क्या ?
बप्पा - हाँ मेरी रानी बेटी तू पहला नम्बर तो ला । तुझे जरूर खिलाऊंगा । 
  उसके बाद वह खूब मेहनत से पढ़ाई करने लगी। परीक्षा के बाद   आज कमला के रिजल्ट का दिन है । अपने बप्पा को साथ लेकर  रिजल्ट लेने स्कूल लेने आई है ।बडी मास्टरनी जी ने रिजल्ट बताया कि  - कमला पांचवी क्लास में पहले नम्बर पर आई है । उसे सबने खूब शाबासी  मिली। वह खुशी खुशी अपने बप्पा की उंगली पकड़ काफी हाउस आई है।
        उसे सामने वाले कुर्सी पर बैठाकर एक प्लेट इडली मंगवाया ।  बिटिया को खुश होकर खाते देख रहा है । उसी समय रामलाल का ठेकेदार भी अपने एक मित्र के साथ वहां काफी पीने आया। रामलाल को वहां देखकर पूछा --तुम आज काम पर नहीं आये । 
       साहब आज बेटी के लिए छुट्टी लिया है। साहब मेरी बेटी पहले नम्बर  पर आई है  । उसे नाश्ता कराने लाया हूँ। यह सुनकर  ठेकेदार  ने कहा - तुम भी नाश्ता कर लो।
 हां अपने घर वालों के लिए भी नाश्ता और मिठाई भी ले जाना  सबका बिल मैं दे रहा हूँ ........

 डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
    शंकर नगर  रायपुर
9455584403
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        आदरणीया संचालक महोदया आदरणीय संरक्षक जी एवम स्नेही मित्रों के समक्ष समीक्षार्थ प्रस्तुत है मेरी लघुकथा ::::

 शीर्षक  * ऑनलाइन पितृदोष निवारण*          .                       
        पितृ पक्ष प्रारम्भ हो चुका है। आज पंचमी तिथि है। विगत छै महीने से  वेणुमाधव और उसकी पत्नी विभा को इसी दिन का इंतजार था।  जब से हरिद्वार के विख्यात ज्योतिषी हरि शंकर जी ने उनके   तीन वर्षीय पुत्र  रौनक
 एवं वेणु की जन्म कुंडली मे पितृ दोष बताया है ।  इसके निवारण के लिए पति पत्नी बेचैन हो उठे।
        रौनक बचपन से बहुत बीमार रहता है  । ये सब
 u s a के सेनहोजे शहर में रहते हैं।शहर के बड़े बड़े स्पेसलिस्ट से इलाज करवाया  एक समस्या ठीक होती तो दूसरी नई समस्या उठ खड़ी होती है। 
        पितृ दोष निवारण पूजा का उपाय ही नहीं करवा पाए थे  जो आज सम्पन्न होना है । हरिद्वार के प्रख्यात आचार्य सदानंद स्वामी के आश्रम में ये पूजा ऑन लाइन करवाई जा रही है। 20 फरवरी 2020 से 85000/-रु का एडवांस चेक भेजकर  रजिस्ट्रेशन करवाया गया है।
                    आज सुबह 7 बजे 11 बजे तक पूजा सम्पन्न होंनी है।  भारत और अमेरिका में साढ़े बारह घण्टे का का अंतर है। भारत का सुबह अमेरिका की शाम का वक्त है। आचार्य जी के निर्देशानुसार  सामग्री की तैयारी रख  इधर हरिद्वार आश्रम में लेपटॉप  ऑन हुआ उधर सेनहोजे में  वेणु ऑन लाइन हुए।  आचार्य जी मंत्रोच्चार करते -करवाते । पूरे विधि विधान से पूजा सम्पन्न हुई ।
इस तरह पितृ दोष निवारण पूजा सम्पन्न हुई।
         इसमें  दोषनिवारण हुआ या नहीं ये वक्त ही बताएगा ......

     डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
   रायपुर छ ग

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