Saturday 15 August 2020

गीतिका क्रमांक 3 ** (2122)

2122  - 2122   -  212

बात अच्छी मान लें हम ज्ञान की
सीढियां बनती यही अरमान की

भोर ने दस्तक दिया है द्वार पर
स्वागत करें आज हम दिन मान की।

वक्क्त बदले संग  में दिन रात भी
क्यों न बदले फ़ितरतें इंसान की।

लांघ बाधा नित बढे हम लक्ष्य को
मंजिल मिले  बात है यह शान की।

हर चुनौती  से निपटना फर्ज है
गूंजती आवाज है जय गान की।

काम हमने किया पूरी लगन से
चाहतें मन मे रही सम्मान की।

कठिन  श्रम हमने किया है ध्यान से
फिक्र नही हमको कभी  थी जान की।

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
सिवनी 15  ,8 ,2020



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