बात अच्छी मान लें हम ज्ञान की
सीढियां बनती यही अरमान की
भोर ने दस्तक दिया है द्वार पर
स्वागत करें आज हम दिन मान की।
वक्क्त बदले संग में दिन रात भी
क्यों न बदले फ़ितरतें इंसान की।
लांघ बाधा नित बढे हम लक्ष्य को
मंजिल मिले बात है यह शान की।
हर चुनौती से निपटना फर्ज है
गूंजती आवाज है जय गान की।
काम हमने किया पूरी लगन से
चाहतें मन मे रही सम्मान की।
कठिन श्रम हमने किया है ध्यान से
फिक्र नही हमको कभी थी जान की।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
सिवनी 15 ,8 ,2020
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