Saturday, 28 November 2020

लघुकथा श्रृंखला क्रमांक -24 कमाल दो मुट्ठी चावल का ,शादी से इनकार , दसवीं सालगिरह

लघुकथा श्रृंखला क्रमांक -24    : ------

कमाल दो मुट्ठी चावल का, *फैसला शादी का*

लघु कथा समारोह 46 -( प्रथम )   आदरणीय संचालक महोदय एवम कथाप्रेमी मित्रो को सादर ------

" शीर्षक-" - "कमाल दो मुट्ठी चावल का "

 सर्दी के मौसम में आंगन में बैठ कर धूप सेंकते हुए अखबार पढ़ने का अपना ही आनंद है। श्रेया और प्रिया भी धूप में बैठ कर अपना अपना पन्ना ले कर अखबार पढ़ रही थी । अचानक श्रेया अपनी बहन कंधे हिला कर बोली --- दीदी देखो तो अखबार में अपने गाँव की  फुलबासन जो अपने घर के पास वाले चाय के ठेले में जूठे बर्तन धोती थी, उसी की  बडी सी तसवीर छपी है । उसे पद्मश्री अवार्ड मिला है।

  प्रिया --उसी नाम की दूसरी भी तो हो सकती है।उसने ऐसा क्या महान काम

कर दिया कि पद्मश्री मिल गया।

श्रेया -- इसमे लिखा है कि फुलबासन 

बचपन मे बहुत गरीब थी चाय के ठेले में जूठे बर्तन धोती थी तब कहीं एक टाइम का खाना मिल पाता था ।उनकी जाति में कम उम्र में शादी हो जाती है। 

         12वर्ष की उम्र मेंउसकी शादी हो गई।पति भी रोजी मजदूरी करते थे। कभी काम मिलता कभी नहीं । मात्र 20 वर्ष की उम्र में 4 बच्चों की माँ बन गई ।गायत्री परिवार के सम्पर्क में आई । दिन में काम पर जाती और  रात में प्रौढ़ शिक्षा केंद्र जाने लगी।  सर्व शिक्षा अभियान स्कीम के तहत 8वीं ,फिर 10 वीं ,12वी की पढ़ाई की     

          उसके बाद 2002 से "दो मुट्ठी

चावल" का अभियान शुरू किया। गांव के हर घर से  दो मुट्ठी चावल मांग कर जमा किया। 10 महिलाओं का एक समूह बनाया। उन सदस्यों से हफ्ते में 

2 -2 रु जमा करने की योजना बनाई। इससे गरीब बच्चों को खाना देना शुरू किया । शुरू शुरू में किसी ने साथ नहीं दिया।यहां तक कि पति ने भी साथ नहीं दिया। गरीबी और मुसीबतों

ने उसे मजबूत बनाया।

      उसकी हिम्मत और संघर्ष ने उसे हारने नहीं दिया। लोग उसके साथ जुड़ने लगे।  

        " ये दो मुट्ठी चावल की योजना"  का ही कमाल देखिए ,  कि आज उनके 10,000 स्व-सहायता समूह चल रहे हैं जिनकी कुल मिलाकर 

150 करोड़ की सम्पति है।

   अब वे निराश्रित महिलाओं के लिए काम करना का संकल्प लिया है । 

k B C से अभी कुछ दिनों पहले ही 50 लाख की राशि जीती है। इससे महिला आश्रम बनवाएंगी। निरीह महिलाओं को  प्रशिक्षण दे कर उन्हें

 आत्म निर्भर और सशक्त बनाएंगी।  

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर

रॉयपुर  छ ग

9425584403

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लघुकथा समारोह 46/द्वितीय

संचालक आदरणीया संगीता मिश्रा जी एवम संरक्षक आदरणीय ओम नीरव जी को सादर ----


शीर्षक - * फैसला शादी का *

        

    उमाकांत जी ने पत्नी से कहा --   शोभा जी कालेज में पढ़ाती हैं लेखिका भी हैं ।उनका बेटा दिल्ली के गंगाराम हास्पिटल में डॉक्टर है। उन्होंने अपनी शुचि के लिए रिश्ते की बात  चलाई है । 

 इला --ठीक है ।जिनके यहां विवाह योग्य लड़के या लड़कियाँ  हैं, तो रिश्ते की खबर आती ही है । देखने और दिखाने से  ही सिलसिला शुरू होता है। कब आ रही है ?

 उनकी बेटी मेरे मित्र की बहू है । बेटी  की शादी की सालगिरह में अपने बेटे के साथ  दो दिन बाद  आ रही  है। वहीँ मुलाकात होगी । हमे भी  एनिवर्सरी में जाना है। 

      सुंदर प्रतिभा वान शांत स्वभाव की शुचि को शोभा जी ने पहली नजर में ही  पसन्द कर लिया।  अब बात उनके बेटे की है। दूसरे दिन उनके साथ सपरिवार महादेव घाट पिकनिक जाने का प्रोग्राम बना। 

  दोनो को आपस मे बातचीत करने  का एक दूसरे के विचार जानने का मौका  मिल गया। 

  डॉ प्रवीण -  आप इंटर्नशिप कर रही हैं ।

 शुचि - जी 

 प्रवीण -आगे क्या करने का विचार है।

शुचि -  मैं तो P G करना चाहती हूँ पर 

 माँ पापा तो शादी के लिए लड़का देखने की बात कर रहे हैं ।  

प्रवीण --    तुम्हे कोई पसन्द  है क्या ?

 शुचि -- मैंने इस बारे में सोचा ही नहीं।

  किसमे P G करना चाहिए  ?आप बताइए न ...

प्रवीण -- जिसमे आपका इंटरेस्ट हो ।

शुचि -- माँ कहती है जब शादी करनी ही है तो  सही उम्र में होनी चाहिए । मैं उनसे सहमत हूँ।

 मैं सोचती हूँ घर गृहस्थी और कैरियर में संतुलन के  लिए रेडियोलॉजी ,ऑप्थोलोजी, MD मेडिसिन, E N T आदि ठीक रहेगा।

         डॉ प्रवीण  शिशुरोग विशेषज्ञ हैं। शुचि का जिंदगी के प्रति  सोच,आपसी तालमेल,व्यवहारिकता, दूरदर्शिता

 उसे अच्छे लगे ।दोनो  में दोस्ती  हो गई । छै महीने के बाद शुचि का  P G में मेडिसिन के लिए चयन हो गया ।फिर दोनो ने  शादी का फैसला कर लिया ---  

 डॉ चन्द्रावती नागेश्वर

रायपुर छ ग

9525584403
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   लघुकथा समारिह - 47(प्रथम)

सञ्चालक - Madhuri Shukla जी, संरक्षक आदरणीय ओम नीरव  जी एवम कथा प्रेमी मित्रोँ को सादर ---

  शीर्षक  --" शादी से इनकार "

         गांव में  मुनादी करा दी गई ।आज  रात पंचायत की बैठक है । राधेलाल ने बीरसिंग के बेटे से अपनी बेटी की शादी करने से इंकार कर दिया है। 

  गांव के लोगों  के मन में तरह तरह के सवाल उठ रहे हैं?

  कोई कहता -- दोनो एक ही क्लास में पढ़ते थे । लड़की पास हो गई और लड़का फेल हो गया इसीलिए ।

 कोई कहता  -- इसलिये तो लड़की जाट को ज्यादा नहीं पढ़ाना चाहिए ।

  कोई कहता -- लड़की का किसी लड़के से चक्कर चल रहा होगा । 

 कोई कहता --  अब तो राधे लाल जी को जात-समाज से बहिष्कृत कर दिया जाएगा । रोटी -  पानी बन्द हो जाएगा ।

  निश्चित समय में गांव के लोग पंचायत भवन में जमा हुये।

 मुखिया जी के आने के बाद  पंचायत की कार्यवाही शुरू हुई ।  बीरसिंग ने कहा -  मेरे बेटे राजेश और  राधे की बेटी रूपा की सगाई पिछले साल दोनो परिवार की मर्जी से की गई थी  बारहवीं  बोर्ड की परीक्षा के बाद आखातीज के दिन शादी होना तय हुआ था । लेकिन राधे  दो महीने हो गए  शादी  को टालते  जा रहा है।  हमे तो लगता है कि उसकी बेटी पास हो गई है तो वह अब शादी नही करना चाहती ।

              राधे ने हाथ जोड़ कर कहा --मुखिया जी मैट्रिक पास और फेल होने की नहीं है 

 वो तो अगले साल फिर से पढ़ाई करे तो पास हो जाएगा। ।

 और शादी से हमारा इंकार भी नहीं है । बीरसींग जी से  आप सबके सामने हमारा  निवेदन  यही है कि --  अपने लड़के को आगे की ऊंची पढ़ाई करवाएं । फिर पांच साल बाद  हम इन दोनों को शादी जरूर करवा देंगे।

    बात यह है कि मेरी बेटी नीलू का PMT परीक्षा में भी डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए चयन हो गया है।

 आप जानते हो मुखिया जी आज तक हमारे जाति में एक भी लड़का /लड़की डॉक्टरी की पढ़ाई नहीं कर सका है।  मैं ये मौका नहीं गंवाना चाहता ।

 बीरसिंग ने कहा -- हमे तो घर गृहस्थी सम्हालने वाली बहू चाहिए । सुई लगाने वाली नहीं ।

हमारा बेटा आगे पढ़ने  को तैयार नहीं है। हमको तो  अभी  इसी साल शादी करनी है।

    दोनो पक्ष की बातें सुनकर मुखिया जी ने फैसला सुनाया -- ये बड़े गर्व की बात है कि हमारे समाज की बेटी 

अब डॉक्टरी पढ़ने जा रही है । इसे समाज की ओर से  पांच। हजार रुपये का इनाम दिया जाता है,  मेरी तरफ से ग्यारह सौ रुपये की सम्मान राशि दी जाती है।

 इसके साथ ही यह वादा करता हूँ कि समाज के P M T

में चयनित हर लड़का /लड़की को  5000 रु की सम्मान

राशि दी जाएगी।

        अभी तक हमारे समाज मे बाल विवाह प्रथा चलती  आ रही है  आज से मैं ये घोषणा करता हूँ कि अट्ठारह साल से पहले लड़का /लड़की की शादी पर प्रतिबंध  लगाते हैं        

        बीरसिंग जी अपने बेटे की  शादी कहीं और  कर सकते है।

 डॉ चन्द्रावती नागेश्वर

रायपुर छ ग 

9425584403  

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लघुकथा समारोह - 47 ( द्वितीय ) 

संचालक - आदरणीया माधुरी शुक्ला जी 

संरक्षक - परम आदरणीय आचार्य ओम नीरव जी 

       एवं लघुकथा प्रेमी मित्रों को सादर .....


शीर्षक - " शादी की दसवीं साल गिरह "

           


 अरुणा  पति रोहित से बोली -  देखो जी लाली  मेरी पक्की सहेली है और उनकी एनिवर्सरी  में आपको मेरे साथ चलना पड़ेगा ।

 रोहित - लाली के तारीफों के पुल बांधते रहती हो। ऐसी क्या खासियत है तेरी इस सहेली में  ।

 अरुणा --   तीन भाइयों की इकलौती बहन है लाली। बहुत ही साधारण परिस्थिति के माता पिता ने कर्ज लेकर,किसी तरह बेटों को ऊंची शिक्षा दिलाई।बेटे कमाने लायक हुए तो अपनी पसंद की लड़कियों से शादी करके बड़े शहरों में जा बसे। बूढ़े बीमार माता पिता के खतिर लाली ने विवाह न करने का निश्चय किया। L D T में जॉब करने लगी ।हमने साथ ही बी एड. किया है।   हम दोनों डिपार्टमेंटल ट्रेनी थे ।मनोज यादव भी हमारे साथ ही बी एड . करता था ,वह प्राइवेट ट्रेनी था।हम दोनों से उम्र में काफी छोटा था। लाली हंसमुख स्वभाव की मिलनसार और आल राउंडर रही है ।सबकी चहेती थी वह । मनोज उससे बहुत प्रभावित था,  उसकी हर बात मानता। बीएड की परीक्षा के बाद हम सब अपनी अपनी पोस्टिंग पर चले गए । 

       फोन पर  कभी कभी बात होते रहती थी ।करीबन 7 साल बाद लाली ने बताया- कि मनोज उससे शादी करने की जिद कर रहा है। मुझसे उम्र में दस साल  म छोटा है। इसीलिये मैंने  बहुत बार मना कर दिया। मेरे पिता की बीमारी और गुजर जाने के बाद  मैं बहुत टूट चुकी थी।  मनोज ने उस समय हमे बहुत सहारा दिया । मेरी  उम्र चालीस की हो चुकी थी। तब हमारी शादी हुई  थी।

 रोहित --- ये मनोज तो महा पागल निकला। उसे अपने बराबर  उम्र की कोई लड़की नहीं मिली क्या ???  ऐसे बेमेल कोई शादी करता है क्या ?

अरुणा --तुम पुरुष लोग प्रायः शादी के लिए कम उम्रकी गोरी चमड़ी या ससुराल का माल ही देखते हो।

                  कल उसी  लाली और मनोज के शादी की दसवीं एनिवर्सरी के साथ ही लाली के जन्मदिन की स्वर्ण जयंती भी है।आई वी एफ तकनीक के जरिये  उन्होंने पांच साल का एक बेटा भी पाया है ।

             लाली ने अपने आपको ऐसा मेंटेन रखा है कि

 वह अब भी चालीस के पार नहीं लगती। मनोज की भी स्मार्ट और हैंडसम है ।

           आपसी प्यार और तालमेल हो तो  शादी की सफलता में उम्र बाधा नहीं बन सकती। यह उन्होंने साबित कर दिखाया है

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर

रायपुर छ ग

9425584403







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