समीर के माता पिता अपने बेटे की शादी के लिए लड़की तलाश रहे हैं। उसे पुणे के मल्टी नेशनल आई टी कम्पनी में अच्छे पैकेज पर नौकरी मिल गई है। सभी माता पिता को अपने बच्चों शादी का बड़ा अरमान रहता है।
समीर छुट्टियों में घर आया है।इस बार छुट्टियों में पारुल अपनी रूममेट श्वेता के घर छत्तीस गढ़ के दर्शनीय स्थान देखने रायपुर आई हैं,। एक ही शहर में एक ही कॉलोनी के निवासी होने के कारण श्वेता और समीर एक दूसरे को जानते हैं।
श्वेता पारुल को लेकर समीर के घर आती है और
समीर की माँ से परिचय करती है --आंटी ये पारुल समीर के साथ ऑफिस में काम करती है, और मेरी रूममेट है ।हम दोनो समीर के साथ घूमने जा रहे हैं शाम तक लौटेंगे ।
चाय नाश्ता करके तीनो निकल गए। दूसरे दिन समीर ने माँ से कहा - माँ-कल पारुल की वापसी है।आज रात को श्वेता के साथ उसे डिनर पर बुला लेते हैं।
माँ --ठीक है
समीर ने माँ से बड़े लाड़ से पूछा-- माँ पारुल आपको कैसी लगी?
माँ -- अच्छी लगी ।
समीर -- माँ मैं पारुल से शादी करना चाहता हूं ।
माँ --तो कर ले
समीर -- आप तैयार है न??
माँ -- जब तुमने तय कर। ही लिया है । तो हमारे हां या ना की कोई गुंजाईश ही नहीं है । माँ पारुल हमारे घर पहली बार आई है, तो उसके लिए अच्छी सी चेन खरीद दो ।
मुझे मालूम है तू उसके लिए कोसे का कामदार मंहगा सूट खरीद चुका है। वो तो दे रहा है ।
समीर --- माँ आप लोगों की तरफ से भी कुछ अच्छा सा गिफ्ट तो बनता है न ,,,
माँ -- तू ने तो अपने पापा से तो इस सम्बंध में कुछ चर्चा ही नहीं किया है ।
समीर --पापा जी से डर लगता है । आप ही उन्हें मना सकती हैं ।
माँ -- देख बेटा जिस दिन वो मेरे घर की बहू बनकर आएगी। उसे जड़ाऊ हार भी दूंगी ।और भी बहुत कुछ ....
अभी तो जैसे कविता,सरिता ,संगीता तेरी दोस्त हैं वैसे ही मेरे लिए पारुल है
समीर ---माँ मेरी बात को आप सीरियसली नहीं ले रहीं हैं । पारुल बहुत अच्छे घर की संस्कारी लड़की है।
उनके घरवालों से मिल चुका हूं। वह औरों की तरह घर से भाग के ,कोर्ट मैरिज नहीं करना चाहती। माता पिता की मरजी से दुल्हन बनकर पूरे सम्मान के साथ अपने घर से विदा होना चाहती है ।किंतु उसके माता पिताअंतर्जातीय शादी के लिए तैयार नहीं हैं।
----तुम्हारे पापा और मैं तुम्हारी शक्ल देखकर ही तुम्हारे बिना कहे तुम्हारा प्लान समझ चुके हैं।
हम तुमसे बहुत प्यार करते हैं तुम्हारी खुशी के लिए शादी के बाद बहू रूप में पारुल हमे सहर्ष स्वीकार है ।बेटा तुम्हारे पापा का अवलोकन यह कहता है कि -- समीर तो हाथ से गया। अपना सिक्का ही खोटा हो तो सुनार का क्या दोष ??? ये लड़की कितनी संस्कारी है ये तो हमें भी समझ आ गया है ।
अब अपने माता पिता को बताना -उन्हें शादी के लिए मनाना पारुल का काम है। ये काम न मैं कर सकती हूं न तुम कर सकते हो । फिर भी तुम बोलो तो हम प्रयास करें उन्हें मनाने की .....
समीर.-- नहीं माँ पारुल कहती है कि अभी नही ,उचित समय देखकर वह बात करेगी । अगर अभी किसी और से पता चला तो । उसकी नौकरी छुड़ा कर घर में बैठा देंगे । और जितनी जल्दी हो सके अपनी जाति के लडके से शादी कर देंगे ।
जब सिर पर प्यार का भूत सवार रहता है तो युवाओं को कुछ और समझ मे नहीं आता।
उनका प्यार परवान चढ़ता गया । इस बीच समीर के पिताका एक्सीडेंट हो गया। ट्रक वाला उनकी बाईक को ठोकर मरते हुए चला गया ।हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। समीर को उसकी कम्पनी एक प्रोजेक्ट में काम करने U S A भेजने की बात चल रही थी तो माँ ने कहा -- बेटा अभी हमको तुम्हारी जादा जरूरत है।
समीर --- माँ मुझे बड़ी मशक्कत के बाद विदेश जाने का इतना बढ़िया मिल रहा है । मैं इसे छोड़ नहीं सकता ।
पिता का आशीर्वाद रहा तो इससे भी अच्छा अवसर तेरी जिंदगी में जरूर आएगा ।
माँ --- इतनी अच्छी नौकरी तो कर ही रहा है ?
समीर - मेरे साथी मुझसे आगे बढ़ जाएंगे । और विदेश चला जाऊंगा तो पारुल से शादी भी जल्दी हो जाएगी ।
माँ -- हम ने शादी करने को मना तो कभी नहीं किया ।
समीर --- माँ आप इस बात को समझो न कि पापा मेरे अतीत हैं ,पारुल मेरा भविष्य है.....
समीर अपनी आंखों में भविष्य के सुनहरे सपने लिए U S
चला गया। माँ पिता की आँखों गीली हो गई मन हा... हा...
हा... कार कर उठा ।
महीने भर में पिता स्वर्ग सिधार गए।
पारुल से समीर के बारे में जान कर उनके माता पिता दोनो को शादी के लिए स्वीकृति दे दी । उन्हें तो बिना तिलक दहेज के बेटी के इशारों में नाचने वाला N R I दामाद जो मिल गया । अभी पिता की मृत्यु को दो महीने ही हुए थे । बिना किसी रिश्ते दार को बुलाये ।समीर को बुला कर आर्य समाज मंदिर में शादी करवा दी ।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
दिनांक 13 ,3 ,2021
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लघुकथा समारोह -61 (प्रथम)
शीर्षक। "नजरिया अपना अपना"
मालती जी अपने बेटे पुनीत के लिए लड़की देखने आईं हुई हैं वे पढ़ी लिखी समझदार और सुलझे हुए विचारों वाली महिला हैं। उनकी भाभी सुमित्रा लड़की वालों से सुपरिचित हैं उन्होंने मालती जी के बारे में बताया---
मालती जी के पति शिवेंद्रजी गांव के रहने वाले हैं।बहुत पुराने विचारों के हैं । उन्हें लड़कियों का नौकरी करना, अकेले बाहर आना जाना बिलकुल पसन्द नहीं है। पास के शहर में किराने की दूकान चलाते हैं। मालती जी Bsc पास हैं । वह नौकरी करना चाहती थी, किंतु शादी के बाद घर गृहस्थी में बंध कर रह गई। उसकी दो बेटियां सोनम और पूनम तथा एक बेटा पुनीत है।
पति से लड़ भिड़ कर अपनी बेटियों को ऊंची शिक्षा दिलवाई । बेटे का ख्वाब है कि पढ़ लिख कर वह बड़े शहर में नौकरी करे। वह विदेश जाने का सपना पाले हुए है।
शिवेंद्र जी की सोच यह है ,कि घर के काम और बच्चों की जिम्मेदारी पत्नी की होती है। पुरुषों का काम पैसे कमाना होता है । इस मुद्दे पर किसी तरह का कोई समझौता उन्हें मंजूर नही है। घर खर्च और बच्चों की पढ़ाई के लिये जब जितने पैसे की जरूरत हो ,उसे पूरा करना अपना फर्ज समझते हैं।
बच्चों को पढ़ाना- लिखाना, होमवर्क कराना, किताबें, खरीदना , गाइडेंस देना ये काम मालती जी बखूबी करती हैं। रिश्तेदारी निभाना, बच्चों के टीचर से मिलकर उनकी प्रोग्रेस लेना ये सब काम मंदिर और भजन कीर्तन में जाने के बहाने से करती रहीं हैं।
अपनी दोनो बेटियों के साथ बेटे को भी रसोई के काम, साफ सफाई के काम में भी प्रशिक्षित किया है।मालती जी का मानना है ,कि बेटी हो या बेटा दोनों को पढ़ाई के अलावा घर के काम भी आना चाहिए। आगे चलकर दोनो को घर गृहस्थी भी सम्हालनी है ।
उनकी बड़ी बेटी सोनम कालेज में प्रोफेसर है। छोटी कलेक्टर बनना चाहती हैं। उसकी तैयारी बड़ी लगन से कर रही है। सोनम के लिए उसके लायक लड़का मिला तो शादी कर दिया।
पुनीत भी B E करके मुम्बई में जॉब कर रहा है । जल्दी ही वह आस्ट्रेलिया में जॉब के लिए उसका सेलेक्शन हो गया है। उसके लिए बहू देखने का काम जारी है। दो -तीन जगह से बात चल रही है । लड़कियाँ तो ठीक हैं ,पर उनमें से किसी को घर के काम या खाना बनाने में कोई रुचि नहीं है ।
उन लड़कियों के माता -पिता का कहना है कि-- हमारी बेटी इतनी पढ़ी है तो खाना क्यों बनाएंगी ? नौकर रख लेंगी ।
जितने लोग उतनी बातें ।उन्हें तिलक दहेज नहीं चाहिए पर बेटे के समकक्ष पढ़ी लिखी ,संस्कारी, बड़ों का सम्मान करने वाली , समय के अनुसार ढलने वाली लड़की चाहिए।
कोई कहता -- आपको बहू से खाना ही बनवाना है और घर का काम करवाना है, तो इतनी पढ़ी लिखी लड़की क्यों ढूंढ रहे हैं। कम पढ़ी या मैट्रिक बी ए ,लड़की देखिए न ।
डेंटिस्ट लड़की की माँ बोली --हमारी बेटी डॉक्टर है। डॉक्टरी की पढ़ाई आसान नहीं है। खूब पढ़ना पड़ता है। हम तो अपनी बेटी को रसोई से दूर ही रखे हैं ।तभी तो पढ़ पाई है । नौकरी करेगी तो एक नहीं चार नौकर रख लेगी ।
उनकी बेटी भी N R I लड़के से ही शादी करना चाहती है। पर उन्हें ये नहीं पता कि विदेशों में घरेलू नौकर आसानी से नहीं मिलते । जो मिलते भी हैँ तो इतने मंहगे कि आपकी आधी से ज्यादा तनखा लग जायेगी ।
वो भारतीय भोजन नहीं बनाएंगे । चाउमीन बर्गर सेन्डविच केक ही बनाएंगे खाने के टेबल से आपके प्लेट उठाकर आपको खुद ही रखना पड़ेगा। तबआप क्या करोगे ?
नौकर भी तो बीमार पड़ सकता है।
आज कल की माताएं घर गृहस्थी के कामों को बड़ी हेय
दृष्टि से देखती हैं। अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा तो दिलाती हैं । उनका घर भी बसाना चाहती है । पर घर के काम नहीं सिखाती हैं।जो व्यवहारिक जिंदगी का अनिवार्य अंग है।
विश्व व्यापी कोरोना महामारी ने इस बात की अहमियत को प्रमाणित भी कर दिया है।स्वच्छता,घर का बना खाना स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम है ।
अंततः डेंटिस्ट लड़की से पुनीत की शादी हुई। मालती जी को उनकी गृहस्थी जमाने उनके साथ जाना पड़ा । एक महीना साथ रहकर बहू को साधारण दाल चावल ,चपाती, पराठे, 4 -6 तरह की सब्जी बनाना सिखा दिया ।आगे के लिए बेटा सब काम में प्रशिक्षित है ही। जब बहू जॉब करेगी तो दोनो मिल कर काम निपटा लेंगे। अभी तो गृहस्थ जीवन के लिए बहू का प्रशिक्षण काल है।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
दिनांक 20 ,3 ,2021
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लघु कथा समारोह 60 (द्वितीय) - दिनांक 18 ,3 ,2021
" बुनियाद विजेता बुटीक की "
आज विजेता बुटीक का शुभारम्भ दिवस है । एक साल पहले इसकी नींव रखी गई थी । उस दिन नव ब्याहता के शुभ चरण इस घर में पड़े हैं और उसके पगफेरे के बाद वापसी के दिन विजेता उसकी गोद मे आई ।
नन्ही सी विजेता एक मांस के धड़कते पिंड की तरह ही तो थी । जैसे पंख विहीन चूजा हो। जिसकी देह में स्पंदन तो था पर क्रंदन नहीं ।
भाभी बताती है कि माँ बाबूजी दीदी के साथ मुम्बई हॉस्पिटल में थे ।दीदी को देखने वह अपने पति के साथ हॉस्पिटल गई । वहां से इस कुदरत के करिश्मे को घर ले कर आई । जो उसके लिए विकट चुनौती ही थी ।
मुझे पता चला कि तीन भाइयों की लाडली इकलौती बहन सरिता के ग्रेजुएशन के बाद अच्छा घर वर देखकर खूब धूमधाम से यथाशक्ति तिलक दहेज देकर शादी हुई। फिर भी हर पर्व त्यौहार में अक्सर कभी तीन लाख कभी पांच लाख की मांग किसी न किसी बहाने से आ ही जाती ।
शादी के पंद्रह दिन बाद ही उनकी सास ने लॉकर में सुरक्षित रखने के बहाने एक चेन अंगूठी ,कान की बाली के अलावा सारे गहने उतरवा लिए । उसके बाद से तीज -त्योहार शादी ब्याह मेँ भी कभी उसे पहनने को नहीं दिया गया ।
सरिता के पति राजेश की उसके भाइयों के साथ कार रिपेयरिंग की साझा दूकान है। बड़ा सा पक्का मकान है । जिसमे तीन भाइयों का परिवार और सास ससुर साथ रहते हैं
राजेश घर मे सबसे छोटा होने के कारण जादा लाड़ पाकर बिगड़ गये थे। किसी विजातीय लड़की से शादी के पहले प्रेम करते थे । उसकी किसी और से शादी हो गई ।जिसका गम भुलाने को ननदोई शराब पीने की लगे। । दीदी की सास अक्सर सरिता से कहती है --क्या फायदा तेरी इतनी सुंदरता का जो अपने पति को वश में नहीं कर सकती । उसे सुधार नहीं सकती ।
साल भर के भीतर सरिता दी एक बच्ची की माँ बन गई ।
जहां पति कमाऊ नही होता, उसकी पत्नी की भी ससुराल में नौकरानी से अधिक कोई हैसियत नहीं होती ।
बच्ची होने के बाद उपेक्षा और बढ़ गई। अब तो राजेश पैसे की मांग को लेकर पत्नी पर जब तब हाथ उठाने लगे थे। पति पत्नी का आपसी मामला है। कह कर ससुराल वाले कभी दखल नहीं देते ।
जब सरिता के भाई की शादी होने वाली थी । पिता उसे लिवाकर कर ले गये। बेटी की हालत देख कर उनका कलेजा मुंह को आ गया ।
बेटी ने तो कुछ नहीं बताया ।पर पास पड़ोस के रिश्तेदारों ने काफी कुछ बता दिया ।
भाई की शादी के बाद प्रसव के लिए उसे रोक लिया । काम धंधे की मंदी को लेकर फिर से पैसों की मांग आ गई । सरिता ने कहा -- पापा जी एक रुपया भी अब ना देना । हो सके तो मेरी इन दोनों बच्चियों को मेरी निशानी समझ के पाल लेना । यही मेरी आखरी इच्छा है ।
मैं तो शायद ही बचूं । उसने माँ को बताया कि उसे ब्रेस्ट कैंसर है । ऐसा डॉक्टर ने बताया है। मुझे सासु माँ गर्भ परिक्षण कराने ले गई थी ,तब बताया । मेरी जिंदगी जादा दिनों की नहीं है.... खून की कमी के कारण मेरी जान को खतरा है यह भी बताया ।
.. इतना सुनकर माता पिता सन्न रह गए ।आनन फानन में दूसरे शहर के विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाया गया ।
26 सप्ताह के भ्रूण को निकाले बिना इलाज इलाज संभव नहीँ था । टाटा मेमोरियल मुम्बई में इलाज शुरू हुआ । केंसर दूसरे स्टेज में था । डाक्टरों के अथक प्रयासों और दीर्घकालिक इलाज के बाद सरिता के साथ छः माह के 950 ग्राम के भ्रूण को भी बचा लिया गया ।
पहली बेटी अंकिता दूसरी विजेता के साथ सरिता ने अपने माता पिता के घर पुनर्जन्म पाया । स्वस्थ होने के बाद पिता और भाई ने बुटीक खोल दिया गया। सरिता की नई भाभी फैशन डिजाइनर है। दोनो की मेहनत और पार्टनरशिप में विजेता बुटीक को शहर में बड़ी ख्याति मिल रही है । यह बुटीक महिला उद्यमिता के क्षेत्र में मील का पत्थर बनी हुई है ।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
18, 3 ,2021
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लघुकथा समारोह 61 (द्वितीय)
शीर्षक --- " मिस फिजिकल "
हर प्रीत नाम है उसका। सब उसे प्रीतो बुलाते हैं पांच फुट सात इंच का निकलता कद गेंहुआ रंग सुगठित शरीर ,सुंदर चेहरा जुडो कराटे में पारंगत खेल ,नाचने, गाने सब में अव्वल एक दो सामान्य आदमी को तो ऐसे ही उठा के पटक दे । कोई भी उससे पंगा लेने में डरता है।वह महिला फिजिकल कालेज पेंड्रा की शान है ।जहां वह द्विवर्षीय M Ped का प्रशिक्षण लेने आई है । ये फाइनल ईयर है । कालेज के वार्षिक समारोह में उसे मिस फिजिकल का खिताब मिला है । आज उसके एग्जाम का अंतिम पर्चा है ।अपरान्ह 3 से 6 का पेपर है । प्रेक्टिकल तो पहले ही निपट गए हैं। सबने अपना अपना सामान पहले से ही पैक कर रखा है ।
पेपर खत्म होते ही 3-3 या4 -4 के ग्रुप में बस ,टैक्सी या ट्रेन से अपने अपने गंतव्य की ओर चल पड़ीं।
हॉस्टल में कुल चार लड़कियां बच गई ,जो दूर से आईं थी। उनमें से प्रीतो भी एक है।उन्हें ट्रेन से जाना था। हॉस्टल सूना हो गया है । रात को डेढ़ बजे ट्रेनहै,जिसमे उसका रिजर्वेशन है।उनके हॉस्टल से स्टेशन 5km दूर है। प्रीतो को उसी ट्रेन से जाना मजबूरी है । बिलासपुर से उसे जबलपुर के लिए ट्रेन पकड़नी है।
बिलासपुर में उसका मंगेतर
बलविन्दर उसे लेने आएगा। प्रीतो ने सात बजे ऑटो बुलाया वह जल्दी से जल्दी स्टेशन पहुंच जाना चाहती है । क्योंकि स्टेशन जाने वाला रास्ता सूना पड़ता है । ऑटोवाले को आने में 40 -45 मिनट देर हो गई। उसने समान रखवाया और चल पडी।आधा रास्ता पार होने के बाद एक जीप उनके बगल से गुजरी । बैक करके ऑटो के सामने अड़ गई उसमें 3-4 लोग थे । एक ने उतर करऑटो वाले को बाहर खींचकर दो थप्पड़ मारा। किसी को कुछ समझ मे आता इसके पहले दो लोगों ने बड़ी फुर्ती से प्रीतो को खींच कर जीप में धकेल दिया । पलक झपकते जीप अंधेरे में गुम हो गई।
ऑटो वाला डरा हुआ था वह हॉस्टल गया। मेस मेंकुछ लोग खाना खाना खा रहे थे । उन्हें घटना की जानकारी दी ।समाचार मिलते ही कालेज के प्राचार्य,स्टाफ आये। सब थाने गए F I R दर्ज करवाया ।
प्रीतो के मुंह और आंख में पट्टी बांध कर एक झोपड़ी में ले गए जहाँ तीन चार लोगों ने उसकी इज्जत लूट ली ।और अंधेरे में छोड़ कर भाग गए । रात में जब वह बिलासपुर नहीं पहुंची तो बलविन्दर दूसरे दिन पेंड्रा पहुंचा कालेज में पता लगाया,थाने गया । ऑटो वाले के साथ आस पास खूब खोजा पर पता नहीँ चला ।
प्रीतो क्षोभ,क्रोध,और बेबसी में अपना मानसिक सन्तुलन खो बैठी । सुबह उजाला होने पर वह अस्त पस्त हालत में हाथ मे डंडा लिए मैं जिंदा नहीं छोडूंगी चिल्लाते हुए रास्ते में इधर उधर घूम रही थी ।
यह खबर जंगल के आग की तरह पूरे पेंड्रा में फैल गई कि फिजीकल दीदी को डाकू उठा के ले गए। उधर से गुजरने वालों ने कालेज में खबर दी कि पागल सी लड़की सबको डंडा लेकर दौड़ा रही है। पुलिस को खबर मिलते ही उसे थाने लाया गया ।बलविन्दर ने प्रीतो के पिता को खबर कर दी थी ।वे भी पेंड्रा आ गए।
प्रीतो को हॉस्पिटल ले जाया गया ।जांच हुई मेडिकल रिपोर्ट लेकर उसे नींद की दवा देकर जबलपुर ले गए । जब भी वह होश में आती वह चिल्लाकर कहती -- मैं गन्दी हो गई ...
मेरे पास नई आना ... मुझे टच नई करना .....
लंबे इलाज के बाद वह सामान्य हो पाई । बलविन्दर ने हमेशा उसका साथ दिया ।अपने घरवालोंके विरोध के बावजूद प्रीतो शादी कर ली।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
दिनांक 17 -3-2021
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