Sunday 21 March 2021

लघुकथा श्रृंखला 31 --मिलन पिपासा ,आधी अधूरी रोशनी,बन्धुआ कौन ??

शीर्षक   -- "मिलन पिपासा "
         इलाहाबाद के राम कृष्ण मिशन आश्रम में  पल कर वह बड़ा हुआ।वहाँ के चौकीदार का उस पर विशेष स्नेह था।उसके लिए माता- पिता ,भाई बन्धु  सब वही था। आश्रम के स्कूल में ही वह मैट्रिक तक पढ़ा। अब तो गबरू जवान हो गया। पुलिस भर्ती परीक्षा में उसका चयन हो गया ।वह बहुत शांत स्वभाव का चुप चुप रहता है। अपने पाल्य पिता विदा लेकर खूब रोया । उसकी पोस्टिंग यू पी और एम पी बार्डर के पास के शहर में हुई।
                  एक दिन थाने में एक गुम शुदा बच्चे का केस आया तो वह खुद को सम्हाल न पाया फूट फूट कर रो पड़ा । थाने दार ने रोने का कारण पूछा तो  अपनी राम कहानी इस तरह सुनाई -- 
 जब मैं बहुत छोटा था लगभग 5 -6 साल का कुम्भ के मेले में अपने माता पिता के  साथ आया था। वहां  गंगा किनारे हम पँहुचे और भगदड़ मचगई। ।भागते भागते  मेरे पिता का हाथ छूट गया। मैं रोता रहा ।  माँ बापू को ढूंढता रहा । पर मिले नहीं ।किसी ने  मुझे आश्रम में पहुंचा दिया। मुझे न  माता पिता का नाम मालूम नही था  ,न गांव का। 
          उसने थाने दार से पूछा -- सर हम गुम इंसान की खोज करते हैं क्या  मेरे माँ बापू ---  ----- की खो --ज --?
 थाने दार भी बहुत भावुक हो गए । अपना कर्तव्य करते रहो और अपनी खोज जारी रखो । ईश्वर अवश्य तुम्हारी मुराद पूरी करेंगे ।
 किंतु ये काम आसान नहीं है  न गांव का नाम, जिले का नाम , न माँ बाप का नाम  न जाति , न धर्म का पता यह काम विशाल जन सागर में बून्द ढूंढने की तरह ही है। उसका नाम बंटी पिता राम सहाय चौकीदार रामकृष्ण मिशन  इलाहाबाद ।अब यही उसकी  पहिचान है।उसके मन में गांव की कुछ धुंधली सी यादें है। गांव के पास  एक  पहाड़ी के ऊपर  महादेव का मंदिर है।  पहाड़ी के नीचे बड़ा सा तालाब है जहां परिवार वालों के साथ सब नहाने जाते  ।
बापू मंदिर में आरती के समय रोज ढोलक बजाया करते थे।उनको सब ढोलकिया कहते थे । मेरे दादा की छै उंगली थी बचपन में हम उसको खीचते रहते थे ।
जब भी वक्त मिलता बंटी   नक्शा खोल कर  पहाड़ी वाले गांव की खोज करता।अब नौकरी करते तीन साल हो गया।   एक दिन अखबार में  उमरिया के महादेव मन्दिर  के पुजारी की हत्या ओर दानपेटी की चोरी की घटना की खबर छपी ।वह छुट्टी लेकर चल पड़ा।
  मंदिर को देखकर  उसके मन में बसी धुंधली तस्वीर  स्पष्ट होने लगी। आसपास के गांव जाकर ढोलकिया का पता लगाया । छंगुलिया  बुजुर्ग का पता लगाया। जो अब गुजर चुके थे ।उस परिवार का पता किया, जिनका छोटा बच्चा बचपन में कुम्भ मेले में गुम हो गया था।   उस घटना को बीस साल बीत गए थे। बेटे के मिलने की कोई उम्मीद नहीं बची थी। बन्टी से उस घटना के बारे  सुन माँ जो खाट पकड़ ली थी ,उठ कर पास आई । 
बंटी जो दिखने में पिता की कद काठी और मुख छवि पाया है। उसे जीवित देख माँ बापू और बंटी की आंखों से गंगा जमना  की धार बहने   लगी। बंटी की मिलन पिपासा पूरी हुई।  उसने ईश्वर को धन्यवाद दिया ।
             उसने थाने में खुश खबरी की सूचना दी ,अपनी छुट्टी बढ़वाई।माँ बापू ने सारी मन्नतें पूरी की। पूरे गांव में भंडारा हुआ। इस बीच वह अपने पाल्य पिता को साथ लेकर गांव आया। थानेदार का धन्यवाद किया ।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
राय पुर छ ग 
दिनांक 26 3 2021
--------*----------*  --------*-----------*-----------
 लघु कथा लोकसमारोह 62

शीर्षक  -----  "आधी अधूरी रोशनी'
          आज के अखबार में रोशनी के चित्र  के साथ मुखपृष्ठ पर ये खबर छपी। -- न्यायधानी बिलासपुर के जिला  न्यायालय में सबसे कम उम्र की न्यायाधीश का हार्दिक अभिनंदन है ।
              कोर्ट  परिसर में उनका भव्य स्वागत किया गया । पत्रकारों से उन्होंने पहले ही कह दिया कि -- नो पर्सनल क्वेश्चन ----  केवल  वर्तमान  दौर में न्याय व्यवस्था की स्थिति ,समस्याएं उसे बेहतर बनाने में हमारा योगदान जैसे विषय पर ही हमे ध्यान देना है।
                संक्षिप्त स्वागत कार्यक्रम के बाद  औपचारिक परिचय में समय व्यर्थ न करते हुए उन्होंने कहा-मैं नाम और पद की लिस्ट देख लूँगी ।मेरे लिए व्यक्ति का काम ज्यादा इम्पार्टेंट है।  आज जिनकी सुनवाई होनी है । उनकी फाइल मेरे टेबल पर पंहुचा दिया जाए ,कहकर अपने चेम्बर में चली गई ।  
    रोशनीऔर उसकी माँ सुमन  दिल्ली से फ्लाइट लेकर बिलासपुर आ गईं। आज रात गेस्टहाउस में बिताने का सोचा। थकान के बावजूद उनकी आंखों में दूर दूर तक नींद का नाम भी नहीं था।  सुमन का  चिर प्रतीक्षित सपना  जो पूरा हुआ है । उसका मन अतीत की यादों में  खो गया । चलचित्र की तरह उनके जीवन की एक एक घटना उनकी आंखों के सामने साकार होने लगी।
सुमन समृद्ध परिवार की इकलौती बहू थी ।उनके पति नरेन्द्र इंदौर में रेमंड कम्पनी के मैनेजर हैं। विवाह के बाद नौ साल की दीर्घकालिक प्रतीक्षा के
उपरांत सुमन के पांव भारी हुए।पूरे घर में खुशी की लहर दौड़ गई। निश्चित समय में शहर के सबसे बड़े हॉस्पिटल में सिजेरियन ऑपरेशन के बाद  बच्चे का जन्म हुआ। सारा अस्पताल उसके रुदन से गूंज उठा। नर्स ने बताया बच्चा ट्रांसजेंडर है । इतना सुनते ही परिवार वालों के दिल दिमाग सुन्न हो गए। लगा कि अचानक ब्लेक आउट हो गया। सास ससुर ने कहा -- उसे किसी कुंए- तालाब में फिंकवा दो।
 यह जीवित रहा तो सिवाय बदनामी के कुछ हासिल नहीं हैं। इससे तो निःसन्तान ही भले थे। किसी ने उसे देखा तक नहीं। उसकी माँ को होश आये तो बता देना मृत बच्चा  पैदा हुआ था। घरवाले तो जच्चा बच्चा को अस्पताल में छोड़ कर घर वापस आ गए।जब सुमन को होश आया तो  उसने बच्चे की सीने से लगा लिया ।
             उसे पता चला कि बच्चे को किन्नर को सौंपने की बात चल रही है।
 उसे बच्चे या घर में से एक को चुनना होगा। उसने अपने वकील भाई को बुलवाया और बच्चे को लेकर मायके चली गई। पति को  तलाक दे कर दूसरी शादी के लिए आजाद कर दिया।  उसे हर्जाने के तौर पर अच्छी खासी रकम मिली।उसने एकल अभिभावक बनकर अकेले ही बच्चे का पालन पोषण किया।बच्चे को नाम दिया रोशनी। 
                 रोशनी की माँ उसे बचपन से  सामान्य बच्चों से दूर ही रखती।  भरपूर लाड़  प्यार देती ।अच्छे संस्कार दिए । जब  वह शैशव की दहलीज पार कर  किशोर अवस्था में कदम रखी तो , अच्छे काउंसलर के पास भेजती । शरीर विज्ञान की  जानकारी  देकर बताती कि--रोशनी मैं बहुत खुश किस्मत हूँ कि ईश्वर ने मुझे तुम जैसी स्पेशल बेटी दी है तुम्हे भगवान ने किसी खास मकसद के लिए चुना है। 
               वह पूछती -- माँ  बाहर के लोग मेरा मजाक बनाते हैं।  कहते हैं कि न मैं नारी हूँ, न पुरुष हूँ । मैंने जरूर पिछले जन्म में बहुत पाप किया है। इसीलिए मुझे आधा अधूरा बनाया है।   मैं कहती -- देवों के देव महादेव का आधा शरीर नारी और आधा पुरुष का है। वो सबका कल्याण करते हैं इसीलिए उनकी पूजा होती है। बेटा हम इंसानों से जैसे गलतियां होती हैं ,वैसे ही अनजाने,अनचाहे भगवान से भी हो जाती है। वो अंधेरी कोठरी जैसी जगह में सबसे छुपाकर जीवों की शरीर रचना करते हैं ।उन्हें ढेर सारा काम अकेले करना पड़ता है । तो हड़बड़ी में किसी किसी के साथ गड़बड़ी हो जाती है । किसी का कोई अंग बनना छूट जाता है। तुम्हे तो रंग रूप, नैन नक्श  ,बुद्धि प्रतिभा  ,समझदारी भरपूर दिया है। बस एक अंग में थोड़ी सी चूक रह गई।
 तुझे ऐसा लगता है कि ईश्वर ने तेरे साथ न्याय नहीं किया।तो तू न्यायाधीश बनकर देख ले। तेरे हाथ में अवसर है। देख ले कि ये काम कितने चैलेंज का है----  उसके बाद से रोशनी ने L L B ,L L M ,P H D किया  ।प्रतियोगी परीक्षा  में टॉप किया तब कहीँ जाकर जिला न्यायालय की न्यायाधीश बनी  और अब प्रमुख न्यायाधीश का कार्यभार ग्रहण करने जा रही है।
         रोशनी की जिंदगी का मकसद है ---किसी के साथ भी अन्याय न हो। दूसरा मकसद है --अपने जैसे आधे अधूरे लोगों को शिक्षा की रोशनी देकर आत्मसम्मान से जीने का मार्ग प्रशस्त करना।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर    छ ग 
दिनांक 27 , 3 , 2021
--------------------*-----------------^---------------*---------
लघुकथा समारोह --62   (प्रथम)    

 शीर्षक -- "बंधुआ मजदूर  /कमियां

            ममता को अपनी फ़ास्ट फ्रेंड माणिका की शादी में   3 -4दिनों के लिए अम्बिकापुर जाना है ।कोरोना में लगे लॉक डाउन के कारण वह साल भर से कहीं जा ही नहीं पाई। बच्चों ने तो घर मे आफत मचा रखी है ।काम वाली रज्जो भी इतने महीनों से नही आ रही है। ममता ने हिमांशु से कहा -- अब तो माहौल काफी  समान्य हो चला है। तुम 2 - दिन की छुट्टी ले लो  बच्चों को माँ के घर छोड़ आना ।उन्हें भी अच्छा लगेगा।
हिमांशु --  ये दो शैतान मुझसे नहीं सम्हलने वाले ।फ्रेंड की शादी में जाना इतना क्या जरूरी है?
 ममता  भड़क कर बोली --  इस घर के लिए तो मैं बंधुआ मजदूर बन गई हूं । सारा दिन काम -काम -काम।धोबन मैं,
कुक मैं,बर्तन पोंछा वाली मैँ, बच्चों की ट्यूटर मैँ  अब और नहीं ---- मुझे भी छुट्टी चाहिए । ऊब गई हूं मैं ,  मुझे भी चेंज चाहिए । 3-4 दिन की तो बात है ।मुझे तो जाना है। ममता अपनी एक सहेली के साथ कर बुक करवा के चली गई ।।                  शुभम और सोनम को हिमांशु नानी के गांव छोड़ आये । वहां अमराई में  कच्चे पक्के आम तोड़ना ,खेत की मेड़ पर चलना  नदी में तैरती छोटी छोटी मछलियों  को आटे की गोली खिलाना उन्हें बहुत अच्छा लगता । वो जब भी घर के बाहर जाते  उनका कमियां हमेशा उनके साथ रहता । वह उनका बहुत ध्यान रखता । एक दिन शुभम ने उससे पूछा - - तुम्हारा नाम क्या है  ? 
 उसने कहा -- गोरे लाल 
 पर तुम्हे तो  सब कामियां बुलाते है --
 उसने कहा -- क्योंकि मैं इस घर का कमियां हूँ । यहां काम करता हूँ।
 शुभम --- तुम्हारा घर कहाँ है  ?
कमियां -- यहाँ से दूर दूसरे गांव में। 
 शुभम --- घर में कौन ,कौन हैं ?तुम अपने घर नहीं जाते
कमियां --माँ, पिता ,भाई सब हैं । और मैं तो 12 साल की उम्र से यहीं रहता हूँ।
  शुभम --तुम  यहाँ क्या क्या काम करते हो ?
 कमियां ---  मैं  सुबह से शाम तक सब काम करता हूँ।निदाई,गुड़ाई,गाय ,बैलों को चारा,पानी देना, कोठे की साफ सफाई ।, सब्जी लगाना, सिंचाई करना,सब्जी तोड़ना। 
 शुभम --इतना काम कहां से सीखा ?कब कब कर लेते हो ?
 मेरे से पहले मेरे पिता यहां काम करते थे उनसे सीखा, अब वो बूढ़े हो गएहैं तो मैं करता हूँ । साल में एक बार कुछ दिनों के लिए घर जाने की छुट्टी मिलती  है। बाकी दिन यहीं रहता हूँ। यहीँ खाता और  पीछे वाले कमरे में सोता हूँ। मालिक साल में  कुछ अनाज और पैसा  भी मेरे घर भेज देते हैं ।
    फिर शुभम ने एक दिन अपने मामा से पूछा - यहाँ तो कम पैसे में  पूरे टाइम काम करने वाले मिल जाते हैं । जो छुट्टी नहीं लेते । हमारे घर में तो अलग अलग काम के लिए अलग नौकर लगे है । आये दिन बिना बताए  छुट्टियां मारते हैं । आप हमारे लिए भी एक कमियां यहां से भेज दीजिए न ।
 मामा बोले -- ये गांव है यहां  विश्वसनीय,ईमानदार मेहनती  पीढ़ी दर पीढ़ी  ऐसे काम करने वाले  मिल जाते हैं । शहरों नहीं मिलते ।
उसके बाद सोनम शुभम पापा के साथ अपने घर लौट गए।
 लौटते वक्त चाचा  के घर भी रुके। वे जब जब वहां आते हैं ,उन्होंने यह बात नोटिस किया कि -- बुआदादी सुबह से रात तक  घर का सारा काम करती है।  चाची ऑफिस जाती है ,तो  छोटी बेबी  को  भी वही सम्हालती  है।  वह अपने भाई शुभम से कहती है-- देखो शुभम  यहां की लेडी कमियां है बुआ दादी ।
 उनके पापा ने यह सुन लिया ।
फिर दोनों को समझाया  -बेटा ऐसा नहीं कहते । वो हमारी
 बुआ हैं । आगे से किसी के सामने ऐसा नहीं कहना।वो बुरा मान जाएगी। 
                     शुभम ने कहा--पापा आप अपनी माँ को यानी हमारी दादी को गांव से अपने घर ले आइये न---
 मम्मी कितना काम करती हैं,उन्हें  थोड़ी हेल्प मिल जाएगी ।
बेटे के मुंह से इतना सुनते ही  सुधांशु अवाक रह गया.....
 डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
दिनांक 30 ,3, 2021
 --------;--/---;------------; -----------;; ------ ---------;;------       


No comments:

Post a Comment