1 किस्मत लेकर साथ, जगत में हैं सब आते
सब यह कर्मों का खेल, उसे सब नहीं बनाते ।
धरती के ये लाल , करें अब नहीँ बंदगी
चिंता करें हजार , भागती चले जिंदगी ।
2 अब तो हर इंसान, ओढ़ के चेहरा नकली
घूम रहा शैतान ,पहन के चोला असली ।
अधरों की मुस्कान ,भागमभाग में खोई
कहाँ छुपे भगवान, करें हैं छल सब कोई ।
3 अंधियारी हो रात,राह का राही डरता
मन से करे प्रयास, वही फिर आगे चलता ।
सन्नाटे को चीर ,पथिक जब कदम बढ़ाता
खुश हो कर संसार ,हृदय से उसे लगाता ।
4 करें न कन्यादान,बात यह दिल में चुभती
बेटी भी इंसान , सोच यह छलनी करती ।
दोनो कुल की लाज, वही कर्तव्य निभाती
पीहर या ससुराल,सभी की वह बन जाती
5 यदि बनना हो खास, काम खास सभी करना
खुद पर रख विश्वास ,सदा ही बढ़ते रहना ।
छल प्रपंच का जोर ,दुखी है सारी जनता
बनकर एक मिसाल, बनो तुम दुख के हरता ।
6
छूटे सारे काम,गले जब आलस पड़ता
टूटा हो उत्साह,बोझ सा जीवन लगता ।
मन में भरे उमंग ,कर्म की राह दिखाये
आकर कोई संत, परिश्रम मूल्य बताये ।
7 पेड़ करें उपकार, धरा में जड़ें जमाये
पहरा दें दिन रात, हवा में शीश उठाये।
इससे कब इनकार,मौज रितु संग मनाते
रखना इनका ध्यान, जगत हित में लुट जाते ।
8 मोहक कोमल फूल, कंटक में भी खुश रहते
दिन भर तपता धूप , धूप में तप कर खिलते ।
धीरे से मुख खोल , साँझ ढ़ले ये महकते
आये नवल विहान , रवि को देख ये हँसते।
,9 करें सभी से प्रीत, बैर से रिश्ते टूटें
सब होता बेकार ,जरा भी धीरज छूटे । तरह तरह के लोग ,जगत में मिलते रहते
हरना उनकी पीर,खुशी के पल कम मिलते।
10 अपने आते याद,अगर संकट आ जाये
यदि वे रहें न पास,परख उनकी हो जाये।
गैरों से तो आस, नही है कोई करता
अपनों का हो साथ, तभी दुख भारी घटता ।
11 सुनकर उनकी बात,व्यथा जो हमे सुनाया
देखा उनका हाल,जख्म जो हमे दिखाया ।
वो मासूम अबोध ,शहर में पिसते रहते
जो हैं चतुर चलाक,कलेवा उनका बनते।
राहुल सांकृत्यायन जिन्हें महापंडित की उपाधि दी जाती है हिन्दी के एक प्रमुख साहित्यकार थे । वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद् थे और बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत/यात्रा साहित्य तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए । Talented India News App
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